भारत में दालों का आयात 90 फीसदी बढ़ा, वित्त वर्ष 2023-24 में 47.38 लाख टन हुआ इंपोर्ट
भारत में दालों का आयात वित्त वर्ष 2023-24 में 89.82 फीसदी बढ़कर 47.38 लाख टन हो गया। सोमवार को कृषि राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने संसद में इस बात की जानकारी दी।
एक ओर भारत सरकार देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर देश में दालों का आयात लगातार बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू मांग को पूरा करने के लिए दालों का आयात वित्त वर्ष 2022-23 के मुकाबले 89.82 फीसदी (करीब 90 फीसदी) अधिक रहा। इस बात की पुष्टि खुद केंद्र सरकार के आंकड़े कर रहे हैं।
दालों का आयात बढ़ा, निर्यात घटा
मंगलवार को संसद में कृषि राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने इस बारे में जानकारी दी। कृषि राज्य मंत्री की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में दालों का आयात 26.99 लाख टन और निर्यात 3.87 लाख टन रहा, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में आयात पिछले वर्ष के मुकाबले घटकर 24.96 लाख टन और निर्यात बढ़कर 7.62 लाख टन रहा। 2023-24 में दालों का आयात पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 90 फीसदी बढ़कर 47.38 लाख टन रहा। इस दौरान निर्यात 5.94 लाख टन के साथ पिछले वर्ष के मुकाबले 22 फीसदी कम रहा।
दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ा
राम नाथ ठाकुर ने कहा कि पिछले दस वर्षों में 2014-15 से 2023-24 (तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार) के दौरान, कुल दलहन और तिलहन उत्पादन में क्रमशः 43 फीसदी और 44 फीसदी की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2015-16 में दालों का कुल उत्पादन 163.23 लाख टन था, जो वित्त वर्ष 2023-24 (तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार) में बढ़कर 244.93 लाख टन हो गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के बजट आवंटन को 2013-14 के बजट अनुमान में 27,662.67 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2023-24 के बजट अनुमान में 1,25,035.79 करोड़ रुपये कर दिया है।
पीएम किसान निधि बढ़ाने का कोई विचार नहीं
ठाकुर ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम किसान) के बारे में भी जानकारी दी। इस योजना के तहत भूमि-धारक किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपये की वित्तीय सहायत दी जाती है। यह लाभ दो हजार रुपये की तीन किस्तों में डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से किसानों के खातों में भेजी जाती है। उन्होंने बताया कि अब तक योजना के तहत 17 किस्तों में 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.24 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि भेजी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि फिलहाल इस योजना के तहत वित्तीय लाभ बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।