समावेशी विकास और किसानों की आय बढ़ाने में हाइब्रिड तकनीक महत्वपूर्ण: पीके मिश्रा
ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (तास) की ओर से “फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए हाइब्रिड तकनीक” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पीके मिश्रा ने हाइब्रिड तकनीक की क्षमताओं और चुनौतियों को रेखांकित किया
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने कहा है कि देश में खेती की छोटी जोत और कृषि पर निर्भर किसानों की बड़ी तादाद को देखते हुए हाईब्रिड तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए न सिर्फ ऊंची आर्थिक वृद्धि जरूरी है बल्कि आर्थिक विकास का समावेशी, न्यायपूर्ण और टिकाऊ होना भी आवश्यक है। इसमें कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका रहेगी।
ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (तास) की ओर से “फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए हाइब्रिड तकनीक” विषय पर नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पीके मिश्रा ने कहा कि जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 1977 में 42 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 18 प्रतिशत होने के बावजूद देश के कार्यबल का 46 प्रतिशत अभी भी खेती पर निर्भर है, जबकि 1977 में यह 70 प्रतिशत था। कृषि क्षेत्र में 2016-17 से 2022-23 के दौरान 5 फीसदी की अभूतपूर्व ग्रोथ रही है। लेकिन 88 फीसदी छोटे किसान हैं। औसत जोत एक हेक्टेयर से कम हो गई है। कृषि की इन बुनियादी समस्याओं का सामना करने में हाइब्रिड तकनीक महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
पीके मिश्रा ने कृषि की उत्पादकता व पोषण बढ़ाने तथा जलवायु जोखिम का मुकाबला करने में हाइब्रिड तकनीक की संभावनाओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मक्का व कपास जैसी फसलों में हाइब्रिड तकनीक की मदद से पैदावार बढ़ाने में मदद मिली है। हालांकि, उत्पादकता बढ़ाने और प्रतिकूल जलवायु का सामना करने में हाईब्रिड किस्मों की क्षमताओं के बावजूद मक्का, बाजरा और कपास के अलावा अन्य फसलों में हाईब्रिड किस्मों का बहुत विस्तार नहीं हो सका है। जबकि सब्जियों व कई बागवानी फसलों की पैदावार बढ़ाने में हाईब्रिड किस्मों ने उल्लेखनीय परिणाम दिये हैं।
पीके मिश्रा के मुताबिक, यह समझने की जरूरत है कि किसान कुछ हाइब्रिड किस्मों को क्यों नहीं अपना पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए हाइब्रिड तकनीक को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से ऐसे हाइब्रिड बीज विकसित करने का सुझाव दिया जिन्हें सुरक्षित रखकर फिर से उपयोग किया जा सकता है। ताकि बीज की लागत में बचत हो।
कृषि क्षेत्र के विकास के लिए पीके मिश्राा ने बागवानी, पशुधन और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने, तकनीक के उपयोग, छोटे किसानों पर ध्यान देने, फसल विविधीकरण और फसल उत्पादकता में वृद्धि के साथ समग्र रणनीति अपनाने पर जोर दिया।