अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय गेहूं की बढ़ी मांग, मिस्र भारत से 10 लाख टन गेहूं का कर सकता है आयात
मिस्र दुनिया के बड़े गेहूं आयातकों में है। उसने 2020 में और रूस से 1.8 अरब डॉलर और यूक्रेन से 61 करोड़ डॉलर का गेहूं आयात किया था। मात्रा के लिहाज से देखा जाए तो मिस्र ने कुल 1.2 करोड़ टन गेहूं का आयात किया था जिसमें से 80 फ़ीसदी आयात रूस और यूक्रेन से हुआ था। मिस्र 26 देशों से गेहूं का आयात करता है। इस सूची में पहली बार भारत को शामिल किया गया है
भारत के गेहूं निर्यातकों और किसानों के लिए अच्छी खबर है। मिस्र ने भारत से गेहूं आयात को मंजूरी दे दी है। मिस्र दुनिया के सबसे बड़े गेहूं आयातकों में है और अभी तक वह रूस और यूक्रेन से गेहूं का आयात करता रहा है। लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वह इन देशों से आयात नहीं कर पा रहा है। युद्ध के कारण विश्व बाजार में गेहूं की उपलब्धता में भी गिरावट आई है। युद्ध शुरू होने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम करीब 30 फ़ीसदी बढ़ गए हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में यह जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि भारतीय किसान दुनियाभर को खिला रहे हैं। मिस्र ने भारत से गेहूं आयात को मंजूरी दी है। ऐसे समय जब पूरी दुनिया निरंतर खाद्य आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोत तलाश रही है तब मोदी सरकार ने इस दिशा में कदम रखा है। हमारे किसानों ने यह सुनिश्चित किया है कि हमारे अनाज के भंडार भरे रहें और हम दुनिया भर को खिला सकें।
मिस्र भारत से 10 लाख टन गेहूं का आयात करना चाहता है। अप्रैल में उसे 2.4 लाख टन गेहूं की जरूरत पड़ेगी। मिस्र दुनिया के बड़े गेहूं आयातकों में है। उसने 2020 में और रूस से 1.8 अरब डॉलर और यूक्रेन से 61 करोड़ डॉलर का गेहूं आयात किया था। मात्रा के लिहाज से देखा जाए तो मिस्र ने कुल 1.2 करोड़ टन गेहूं का आयात किया था जिसमें से 80 फ़ीसदी आयात रूस और यूक्रेन से हुआ था। मिस्र 26 देशों से गेहूं का आयात करता है। इस सूची में पहली बार भारत को शामिल किया गया है।
भारत से गेहूं का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में कई गुना बढ़ा है। अप्रैल से जनवरी 2021-22 के दौरान भारत ने 1.74 अरब डॉलर का गेहूं निर्यात किया जबकि एक साल पहले इसी अवधि में सिर्फ 34 करोड़ डॉलर का गेहूं निर्यात किया गया था। अभी तक पड़ोसी देश ही भारत से ज्यादा गेहूं आयात किया करते थे। भारत से गेहूं आयात करने वाले प्रमुख देशों में बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका प्रमुख हैं। भारत गेहूं का बड़ा उत्पादक तो है, लेकिन उत्पादन का बड़ा हिस्सा घरेलू खपत में चला जाता है। विश्व के कुल गेहूं निर्यात में भारत की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम है।
वैसे एक तरफ निर्यात बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले साल की बेहतर सरकारी खरीद के बावजूद 1 अप्रैल, 2022 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 189.90 लाख टन पर आ गया जो एक साल पहले इसी समय 273 लाख टन पर था। हालांकि 1 अप्रैल के लिए केंद्रीय पूल के बफर मानक 74.60 लाख टन के मुकाबले यह करीब ढाई गुना है। चालू रबी मार्केटिंग सीजन (अप्रैल से जून) में सरकार ने 444 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग के चलते कुछ स्थानों पर भारतीय किसानों को भी गेहूं की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से जाना मिल रही है।