एथेनॉल के लिए अनाजों की उपलब्धता बढ़ाने के विकल्प तलाश रही सरकार, खाद्य सचिव ने इस्मा के चीनी उत्पादन अनुमान को किया खारिज
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने सरकार द्वारा विकल्प तलाश करने की जानकारी देते हुए कहा है कि चावल की अनुपलब्धता के कारण डिस्टिलरीज को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एथेनॉल निर्माताओं ने सरकार को बताया है कि मक्का और टूटे चावल की कीमतें खुले बाजार में बहुत अधिक हैं। यह मुद्दा हमारे विचाराधीन है। हम इस समस्या से अवगत हैं और बहुत जल्द हम इस पर उचित निर्णय लेंगे।
एथेनॉल उत्पादन के लिए चावल और मक्का जैसे अनाजों की अनुपलब्धता की समस्या के समाधान के लिए सरकार विकल्प तलाश रही है। पिछले महीने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुदरा बाजार में चावल के बढ़ते दाम को देखते हुए एथेनॉल निर्माताओं के लिए चावल की आपूर्ति पर रोक लगा दी थी जिससे उनके सामने संकट खड़ा हो गया है।
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने सरकार द्वारा विकल्प तलाश करने की जानकारी देते हुए कहा है कि चावल की अनुपलब्धता के कारण डिस्टिलरीज को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एथेनॉल निर्माताओं ने सरकार को बताया है कि मक्का और टूटे चावल की कीमतें खुले बाजार में बहुत अधिक हैं। यह मुद्दा हमारे विचाराधीन है। हम इस समस्या से अवगत हैं और बहुत जल्द हम इस पर उचित निर्णय लेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार एथेनॉल बनाने के लिए अब मक्के को प्रोत्साहित कर रही है। एथेनॉल उत्पादन में मक्का का इस्तेमाल पूरी दुनिया में होता है। कुछ वजहों से भारत में ऐसा नहीं हो पाया। अगले तीन वर्षों में मक्का का उत्पादन बढ़ाने की योजना है ताकि एथेनॉल बनाने के लिए अधिक मक्का उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि पिछले 2-3 वर्षों में अनाज आधारित एथेनॉल की हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ी है। 2021-22 में यह 17 फीसदी थी जो चालू वर्ष में 17 फीसदी से अधिक हो चुकी है। पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण 11.7 फीसदी तक पहुंच गया है। इस साल 12 फीसदी का लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद है।
चीनी उद्योग के शीर्ष संगठन इस्मा (भारतीय शुगर मिल्स एसोसिएशन) द्वारा एथेनॉल के दाम 69.85 रुपये प्रति लीटर करने की मांग पर चोपड़ा ने कहा कि एक समिति इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रही है। चालू एथेनॉल वर्ष (दिसंबर-नवंबर) के आखिरी महीने में कीमतें बढ़ाने पर सरकार फैसला करेगी। अभी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
अगले चीनी वर्ष 2023-24 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन घटने के इस्मा के शुरुआती अनुमान को खारिज करते हुए संजीव चोपड़ा ने कहा कि गन्ना का रकबा पिछले साल के 53 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस साल 56 लाख हेक्टेयर हो गया है। मोटे तौर पर हमने पाया है कि फसल की स्थिति अच्छी है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, कम बारिश को लेकर थोड़ी चिंता है लेकिन रकबा बढ़ने से उसकी भरपाई हो सकती है। इस्मा ने अगले चीनी वर्ष में उत्पादन 10 लाख टन घटकर 317 लाख टन रह जाने का शुरुआती अनुमान लगाया है। इस्मा के मुताबिक, चालू सीजन में 328 लाख टन चीनी उत्पादन रहने का अनुमान है।
चोपड़ा ने कहा, "फसल अभी भी परिपक्वता के चरण में है। लगभग एक महीने के बाद हम गन्ना उत्पादन के बारे में अधिक निश्चित हो पाएंगे।" उन्होंने जोर देकर कहा कि आगामी त्योहारी सीजन के दौरान चीनी, खाद्य तेल, चावल या गेहूं की कीमतों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। कीमतें स्थिर रहेंगी।
चीनी की उपलब्धता के बारे में उन्होंने कहा कि देश में 108 लाख टन चीनी उपलब्ध है, जबकि अगस्त और सितंबर में मांग को पूरा करने के लिए 46-48 लाख टन चीनी की आवश्यकता होगी। चीनी की वर्तमान उपलब्धता मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा से अधिक है। इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है। देश में चीनी की कुल खपत लगभग 275 लाख टन है।