उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर खाद्य तेल उपलब्ध नहीं कराएगी सरकार
घरेलू उत्पादन से देश में खाद्य तेलों की मांग को पूरा करना संभव नहीं है। घरेलू मांग और आपूर्ति के बीच 56 फ़ीसदी का अंतर है जिसे आयात के जरिए पूरा किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने का असर घरेलू बाजार पर भी हुआ है
सरकार ने स्पष्ट किया है कि रियायती दरों पर उपभोक्ताओं को खाद्य तेल की आपूर्ति करने का फिलहाल उसका कोई इरादा नहीं है। खाद्य और उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि खाद्य तेल समेत आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हैं। इसकी कई वजह हैं- मांग की तुलना में कम आपूर्ति, मौसम की परिस्थितियां, लॉजिस्टिक्स की समस्या और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों का बढ़ना।
उन्होंने कहा कि घरेलू उत्पादन से देश में खाद्य तेलों की मांग को पूरा करना संभव नहीं है। घरेलू मांग और आपूर्ति के बीच 56 फ़ीसदी का अंतर है जिसे आयात के जरिए पूरा किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने का असर घरेलू बाजार पर भी हुआ है। उन्होंने बताया कि 2020-21 में खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन 111.57 लाख टन था जबकि 134.5 लाख टन का आयात किया गया। उस वर्ष 246 लाख टन की कुल मांग थी।
यूक्रेन से खाद्य तेल आयात घटा, रूस से बढ़ा
उन्होंने यूक्रेन और रूस से आयात किए जाने वाले खाद्य तेलों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यूक्रेन से 2018-19 में 24.87 लाख टन, 2019-20 में 19.77 लाख टन और 2020-21 में 17.44 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया गया। वहीं रूस से इस दौरान 0.46 लाख टन, 3.81 लाख टन और 3.48 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ। यानी बीते 3 वर्षों में यूक्रेन से खाद्य तेलों के आयात में लगातार गिरावट आई है और रूस से इनका आयात बढ़ा है।
दाम नियंत्रित करने के लिए आयात शुल्क में कमी
घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित रखने के मकसद से सरकार की तरफ से हाल में उठाए गए कदमों की जानकारी भी मंत्री ने दी। उन्होंने बताया कि क्रूड पाम ऑयल, क्रूड सोयाबीन ऑयल और क्रूड सनफ्लावर ऑयल पर बेसिक ड्यूटी 2.5 फ़ीसदी से घटाकर शून्य कर दी गई है। इन तीनों पर एग्रीकल्चर सेस भी घटाकर 5 फ़ीसदी किया गया है। रिफाइंड सोयाबीन ऑयल और रिफाइंड सनफ्लावर ऑयल पर बेसिक ड्यूटी 32.5 फ़ीसदी से घटाकर 17.5 फ़ीसदी की गई है। रिफाइंड पाम ऑयल पर बेसिक ड्यूटी 17.5 फ़ीसदी से घटाकर 12.5 फ़ीसदी कर दी गई है। रिफाइंड पाम ऑयल के मुक्त आयात की समय सीमा भी बढ़ाकर 31 दिसंबर 2022 कर दी गई है। खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एनसीडीईएक्स में सरसों तेल की फ्यूचर ट्रेडिंग रोक दी गई और उस पर स्टॉक लिमिट भी लगाई गई।