कृषि कानूनों पर अहम बैठक आज, सरकार ने डेढ़ साल तक के लिए टालने का दिया है प्रस्ताव
किसान संगठन और सरकार के बीच बुधवार को 10वें दौर की बातचीत हुई. बैठक के दौरान सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया कि जब तक रास्ता नहीं निकलता है तब तक एक से डेढ़ साल के लिए इसे टाला जा सकता है।
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच आज सरकार और किसानों के बीच अहम बैठक आज है। बढ़ते आंदोलन को देखते हुए सरकार ने तीन कानूनों के अमल पर एक से डेढ़ साल के लिए रोक लगाने का प्रस्ताव किसान संगठनों को दिया था। बीते बुधवार को किसान संगठनों और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत में सरकार ने किसानों को यह प्रस्ताव दिया। इसके साथ ही सरकार कीक ओर से कहा गया कि वह इस संबंध में एक हलफनामा कोर्ट में पेश करने को तैयार है। इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बातचीत के लिए नई कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी जो राय देगी, उसके बाद एमएसपी और कानूनों पर फैसला लिया जाएगा।
इस बीच किसानों ने साफ कर दिया है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली होगी।
लेकिन सरकार के इस प्रस्ताव पर किसान संगठन बहुत आसानी से तैयार होगे, अभी कहना मुश्किल है। रुरल वॉयस ने इस संबंध में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ जो बातचीत की उसमें यह बात साफ दिख रही है कि पंजाब के किसान संगठन कानूनों को रद्द करने से कम किसी भी मांग पर तैयार नहीं होंगे। हालांकि गुरुवार को इस मुद्दे पर किसान संगठनों की बैठक में लंबी चर्चा हो रही है। इसके साथ ही किसान 23 जनवरी के राजभवन घेराव के आंदोलन और 26 जनवरी को दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकालने की तैयारी भी जोरों से कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि ट्रैक्टर परेड की तैयारी और पंजाब व हरियाणा में आंदोलन के फैलने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर देश के दूसरे हिस्सों में किसान आंदोलन में आ रही तेजी के चलते सरकार को अपना रुख नरम करना पड़ा है।
बुधवार की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, 'बातचीत के कई नरम-गरम दौर हुए। हमारे प्रस्ताव को किसानों ने गंभीरता से लिया है। मुझे लगता है 22 जनवरी की बैठक में समाधान की संभावना है। हमने किसानों को प्रस्ताव इसलिए दिया है, क्योंकि आंदोलन खत्म हो और जो किसान कष्ट में हैं, वह अपने घर जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, वो अपना काम कर रही है। किसानों और किसान आंदोलन से बनी स्थितियों के लिए सरकार की भी सीधी जिम्मेदारी है और इसी के तहत हम प्रक्रिया आगे बढ़ा रहे हैं। आंदोलन जब खत्म होगा और किसान अपने घर लौटेंगे, तब भारत के लोकतंत्र की जीत होगी।'
वहीं सरकार के प्रस्ताव को लेकर भी चर्चाएं जारी हैं। एक बड़ा पक्ष यह है कि क्या सरकार संसद में पारित कानूनों को संसद की मंजूरी के बिना उन पर अमल के स्थगन की आधिकारिक घोषणा कर सकती है। संविधान विशेषज्ञों की एक राय यह भी है इसके लिए सरकार को संसद की अनुमति लेनी पड़ सकती है। लेकिन यह बात भी सच है कि सरकार संसद के आगामी सत्र के पहले इस आंदोलन का हल ढ़ूढ़ने का प्रयास कर रही है। आगामी एक फरवरी को संसद में अगले वित्त वर्ष का बजट पेश होना है। इसलिए सरकार की कोशिश है कि वह किसानों के आंदोलन का हल संसद के सत्र के पहले ही ढूंढ़ ले। लेकिन काफी कुछ 22 जनवरी को होने वाली सरकार और किसानों की बैठक में होने वाली बातचीत पर ही निर्भर करेगा।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड को लेकर गुरुवार को किसान संगठनों और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के बीच बैठक हो रही है। किसानों का कहना है कि वह शांतिपूर्वक दिल्ली में बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड करना चाहते हैं। वहीं देश के कई हि्स्सों से इस परेड में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में ट्रैक्टर आने की खबरें आ रही हैं।
इस मुद्दे पर किसान संगठनों और सरकार की ओर जो भी घटनाक्रम सामने आयेगा रुरल वॉयस अपने पाठकों को उसका अपडेट देता रहेगा।