एफएसएसएआई ने कहा प्लांट बेस्ड उत्पादों की घी और बटर के रूप में ब्रांडिग गैरकानूनी
प्लांट बेस्ड उत्पादों को घी और बटर जैसे डेयरी उत्पादों के रूप में नहीं बेचा जा सकता है। फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड्स अथारिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने सभी फूड सेफ्टी कमिश्नरों और एफएसएसएआई के क्षेत्रीय निदेशकों को 23 जनवरी, 2023 को पत्र लिख कर कहा है कि कुछ कंपनियां वेगन घी, वेगन बटर जैसे नाम से गैर डेयरी उत्पाद बेच रही हैं जो फूड सेफ्टी और स्टेंडर्ड्स नियमों के विरूद्ध है। एफएसएसएआई के निदेशक द्वारा जारी इस पत्र में गया है कि संबंधित अधिकारियों को 15 फरवरी, 2023 तक कंप्लायंस रिपोर्ट भेजनी है
प्लांट बेस्ड उत्पादों को घी और बटर जैसे डेयरी उत्पादों के रूप में नहीं बेचा जा सकता है। फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड्स अथारिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने सभी फूड सेफ्टी कमिश्नरों और एफएसएसएआई के क्षेत्रीय निदेशकों को 23 जनवरी, 2023 को पत्र लिख कर कहा है कि कुछ कंपनियां वेगन घी, वेगन बटर जैसे नाम से गैर डेयरी उत्पाद बेच रही हैं जो फूड सेफ्टी और स्टेंडर्ड्स नियमों के विरूद्ध है। इस तरह के उत्पाद गैर डेयरी फैट से बने हैं। इनको दो या अधिक खाद्य तेलों की ब्लैंडिंग और हाइड्रोजीनेटेड कर उसमे नेचुरल फ्लेवर मिलाकर तैयार किया जा रहा है। इनको प्लांट बेस्ड घी, बटर, वेगन घी, वेगन बटर के नाम से बेचा जा रहा है। फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड (वेगन फूड्स) रेगुलेशन, 2022 के तहत घी या बटर को वेगन फूड नहीं माना जा सकता है। वेगन फूड के दावों और वेगन लेबल को फूड अथारिटी की अनुमति मिलने के बाद ही उपयोग किया जा सकता है। एफएसएसएआई के निदेशक द्वारा जारी इस पत्र में गया है कि संबंधित अधिकारियों को 15 फरवरी, 2023 तक कंप्लायंस रिपोर्ट भेजनी है।
इस पत्र में कहा गया है कि बाजार में प्लांट बेस्ड उत्पादों के लिए डेयरी उत्पादों के नाम का उपयोग किया जा रहा है। यह उत्पाद ई-मार्केट प्लेस में भी बेचे जा रहे हैं। जो पूरी तरह से गलत हैं। यह उत्पादन गैर डेयरी उत्पादों से बने हैं जिनको घी के रूप बेचना पूरी तरह से भ्रामक है।
एफएसएसएआई ने यह कदम इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आर एस सोढ़ी द्वारा दो दिन पहले किये गये उस ट्विट के बाद उठाया है जिसमें उन्होंने कहा था कि प्लांट बेस्ड उत्पादों को घी और मक्खन के रूप में ब्रांडिंग कर बेचना पूरी तरह से गलत है। इन पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।
इस बारे में रूरल वॉयस के साथ बात करते हुए डॉ. आर. एस. सोढ़ी ने कहा कि एफएसएसएआई का यह कदम किसानों के हित में है जो बहुत तेजी के साथ उठाया गया है। उन्होंने बताया कि इस मामले को केंद्रीय पशुपालन और डेयरी सचिव राजेश कुमार सिंह के संज्ञान में लाया गया। जिसके बाद उन्होंने एफएसएसएआई के साथ इस बारे में बात की और जरूरी कदम उठाने के लिए कहा, जिसके चलते ही एफएसएसएआई की यह कार्रवाई हुई है।
डॉ. सोढ़ी ने कहा कि एफएसएसएआई के इस कदम के बाद कोई भी व्यक्ति या कंपनी प्लांट बेस्ड उत्पादों के लिए घी, बटर, मक्खन, चीज, दूध, लस्सी और योगर्ट जैसे उत्पाद नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी। उन्होंने कहा कि इस कदम से जहां करोड़ों छोटे और मध्यम स्तर के डेयरी किसानों के हितों की रक्षा होगी वहीं उपभोक्ताओं को भी सही उत्पाद मिलेंगे। उन्होंने बताया कि यह कंपनियां वनस्पति तेलों की ब्लैंडिंग कर उनको घी के रूप में बेच रही थी। जो पूरी तरह से गलत है। साथ ही इन उत्पादों की कीमत लागत से काफी अधिक रखी गयी थी जो डेयरी कंपनियों द्वारा मिल्क फैट से बनने वाले घी की कीमत से भी अधिक थी।
आश्चर्यजनक रूप से दो दिन के भीतर ही एफएसएसएआई ने सख्त कदम उठाते हुए 23 जनवरी, 2023 को उक्त पत्र जारी किया। इस पत्र में फूड सेफ्टी रेगुलेशन का हवाला देते हुए डेयरी उत्पादों को परिभाषित करने के लिए तय प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है। साथ ही कहा गया है कि पशुओं के दूध से मिलने वाले शतप्रतिशत फैट से तैयार उत्पादों को ही घी और मक्खन माना जा सकता है। प्लांट बेस्ट फैट से बने उत्पाद घी या मक्खन जैसे डेयरी उत्पाद नाम का उपयोग नहीं कर सकते हैं।