एफसीआई ने ई-नीलामी के दूसरे दौर में 3.85 टन गेहूं बेचा, थोक भाव 2,500 रुपये से नीचे आए
15 फरवरी को की गई इस नीलामी से एफसीआई ने 901 करोड़ रुपये जुटाए हैं। पहले दौर की ई-नीलामी में 9.2 लाख टन गेहूं की बिक्री की गई थी। इस तरह दो दौर में अब तक 13.05 लाख टन गेहूं की बिक्री आटा मिलों, गेहूं उत्पाद निर्माताओं और व्यापारियों जैसे थोक खरीदारों को की गई है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा की जा रही गेहूं की ई-नीलामी के दूसरे दौर में 3.85 लाख टन गेहूं की बिक्री की गई। 15 फरवरी को की गई इस नीलामी से एफसीआई ने 901 करोड़ रुपये जुटाए हैं। पहले दौर की ई-नीलामी में 9.2 लाख टन गेहूं की बिक्री की गई थी। इस तरह दो दौर में अब तक 13.05 लाख टन गेहूं की बिक्री आटा मिलों, गेहूं उत्पाद निर्माताओं और व्यापारियों जैसे थोक खरीदारों को की गई है। बढ़ती घरेलू कीमतों को थामने के लिए सरकार ने 26 जनवरी को केंद्रीय पूल से खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं की बिक्री करने का फैसला किया था। इसमें से 25 लाख गेहूं की बिक्री एफसीआई ने ई-नीलामी के जरिये थोक खरीदारों को करने का फैसला किया था। बाकी 5 लाख टन गेहूं केंद्रीय एजेंसियों और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश को बिना नीलामी के देने का फैसला किया गया था।
खुली बिक्री करने के सरकार के कदम का असर बाजार में साफ दिखने लगा है। ई-नीलामी शुरू होने के बाद से गेहूं की थोक और खुदरा कीमतों में गिरावट आने लगी है। रूरल वॉयस ने पहली नीलामी के बाद ही कारोबारियों और बाजार विशेषज्ञों से बातचीत कर यह जानकारी दे दी थी कि थोक में गेहूं के भाव 600-700 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गए हैं। अब सरकार ने भी यह बात स्वीकार की है कि कीमतों में गिरावट आई है। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा है कि ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री किए जाने से थोक भाव 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर से घटकर 2,500 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे आ गए हैं। जबकि खुदरा भाव 3,300-,3400 रुपये प्रति क्विंटल से लुढ़क कर 2,800-2,900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कीमतों पर बारीकी से नजर रख रही है। घरेलू कीमतें घटाने के लिए अगर किसी और कदम की जरूरत पड़ेगी तो सरकार वह कदम भी उठाएगी।
गेहूं के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने के बारे में उन्होंने कहा कि अभी इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है। पिछले रबी सीजन में गेहूं की पैदावार घटने की वजह से घरेलू कीमतें बढ़ने लगी थी जिसे देखते हुए मई 2022 में सरकार ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा थी। करीब छह महीने तक कीमतें स्थिर रहने के बाद नवंबर से फिर से गेहूं के दाम बढ़ने लगे थे। इसे देखते हुए ही सरकार ने खुली बिक्री की योजना बनाई। गेहूं की नई फसल की आवक मार्च में शुरू होगी। सरकार ने इस रबी सीजन में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार 11.21 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया है।
नीलामी के दूसरे दौर में एफसीआई ने 2,338.01 रुपये प्रति क्विंटल की औसत दर पर गेहूं की बिक्री की है। पहले दौर में थोक खरीदारों को 2,474 रुपये प्रति क्विंटल की औसत दर से गेहूं बेचा गया था। एफसीआई ने ई-नीलामी के लिए गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,350 रुपये प्रति क्विंटल रखा है। पहले दौर में रिजर्व प्राइस के साथ माल ढुलाई का खर्च अलग से वसूला गया था। उसके बाद सरकार ने माल ढुलाई का खर्च नहीं वसूलने का फैसला किया था यानी उसी कीमत में माल ढुलाई को भी शामिल कर लिया गया है। इसलिए इस बार औसत कीमत पहले के मुकाबले कम रही है। 15 मार्च तक हर बुधवार को गेहूं की ई-नीलामी की जाएगी।
दूसरे दौर की नीलामी में थोक खरीदारों द्वारा 100 से 499 मीट्रिक टन की मांग ज्यादा मांग रही। इसके बाद 500-1000 मीट्रिक टन की मांग रही और तीसरे नंबर पर 50-100 मीट्रिक टन गेहूं की मांग रही। इससे स्पष्ट है कि नीलामी में छोटे और मंझोले आटा मिलों तथा कारोबारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। 3,000 मीट्रिक टन की अधिकतम मात्रा के लिए केवल पांच बोलियां ही प्राप्त हुई। इस सेगमेंट में पिछली बार भी केवल 27 बोलियां ही एफसीआई को मिली थी।