सोलर पंप के लिए मिलती है 60% सब्सिडी, खेती की लागत कम करने को पीएम कुसुम योजना का उठा सकते हैं फायदा, यहां करें आवेदन
खेती की लागत और बिजली पर निर्भरता कम करने के लिए पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को सोलर पंप लगवाने पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कुल 60 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना के तहत बिजली या डीजल से चलने वाले सिंचाई पंप को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप में भी बदला जा सकता है।
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खेती की लागत और बिजली पर निर्भरता कम करने के लिए पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को सोलर पंप लगवाने पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कुल 60 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है। डीजल महंगा होने से खेती की लागत काफी बढ़ गई है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं है, वहां किसानों को डीजल पंपों से सिंचाई करनी पड़ती है। जिन इलाकों में सिंचाई के लिए बिजली की व्यवस्था है, वहां भी अक्सर पर्याप्त मात्रा में बिजली नहीं मिल पाती है। ऐसे किसानों के लिए सोलर पंप लगवाना फायदेमंद है।
इस योजना के तहत बिजली या डीजल से चलने वाले सिंचाई पंप को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप में भी बदला जा सकता है। पीएम कुसुम योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी में 30-30 फीसदी हिस्सेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की है। साथ ही, 30 फीसदी बैंक लोन दिया जाता है यानी किसानों को सोलर पंप लगावाने के लिए अपनी जेब से सिर्फ 10 फीसदी राशि ही खर्च करनी होती है। इस योजना के तहत व्यक्तिगत किसान 1 एचपी से लेकर 10 एचपी तक के पंप लगवा सकते हैं।
जिन इलाकों में बिजली की आपूर्ति उपलब्ध नहीं है, वहां व्यक्तिगत किसानों को 7.5 एचपी तक के सोलर पंप लगवाने के लिए सरकारी सहायता मिलती है। इसके अलावा, उत्तर पूर्वी राज्यों, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, लक्षद्वीप और अंडमान एवं निकोबार द्वीप द्वीप समूह में व्यक्तिगत किसानों को सोलर पंप की बेंचमार्क लागत या निविदा लागत का कुल 50 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है और 30 फीसदी लोन मिलता है। इन राज्यों के किसानों को अपनी जेब से 20 फीसदी राशि खर्च करनी पड़ती है।
सोलर पंप का उपयोग सिर्फ सिंचाई के लिए ही नहीं, बल्कि बिजली उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है और इस्तेमाल की बाद बची बिजली को वितरण वितरण कंपनियों को बेचा जा सकता है। इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी होगी। किसानों से संबंधित राज्य के विद्युत नियामक आयोग (एसईआरसी) द्वारा निर्धारित फीड-इन-टैरिफ (एफआईटी) पर बिजली खरीदा जाएगा। हर राज्य में यह टैरिफ अलग-अलग हो सकती है।
वर्ष 2019 में ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत किसानों के समूह, सहकारी समितियां, पंचायतें, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), जल उपयोगकर्ता संघ (डब्ल्यूए) भी 500 किलोवाट से 2 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्र लगा सकते हैं। उन्हें भी व्यक्तिगत किसानों की तरह ही 60 फीसदी सब्सिडी और 30 फीसदी लोन मिलता है।
कहां करें आवेदन
अगर आप भी अपने खेतों में सोलर पंप लगवाना चाहते हैं तो आधिकारिक वेबसाइट pmkusum.mnre.gov.in पर जाकर सब्सिडी वाला पंप पाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं। इसके अलावा जिस राज्य के आप निवासी हैं, उस राज्य के आधिकारिक वेबसाइट पर भी ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं। साथ ही, राज्यों के बिजली विभाग से भी इस संबंध में विस्तृत जानकारी ली जा सकती है।
किन दस्तावेजों की होगी जरूरत
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने के बाद आधार कार्ड, जमीन के दस्तावेज (खाता-खसरा नंबर), एक घोषणा पत्र, बैंक खाते का ब्यौरा जो आधार से लिंक्ड हो, मोबाइल नंबर जैसी आवश्यक जानकारी देनी होगी।
इस योजना का लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 30,800 मेगावाट की सौर क्षमता जोड़ना और 15 लाख कृषि पंपों को सोलर पंप में बदलना है।