सरसों किसानों के लिए इस साल भी अच्छी खबर, एमएसपी से 50 फ़ीसदी तक ज्यादा है बाजार भाव
सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि इस समय बाजार में भाव 6,000 से 7,500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। यानी बाजार भाव एमएसपी से 20 से 50 फ़ीसदी तक ज्यादा हैं। पिछले साल भी सरसों के भाव 7,000 से 8,000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे
सरसों किसानों के लिए इस साल भी अच्छी खबर है। नई फसल की खरीद शुरू हो गई है और पिछले साल की तरह इस बार भी बाजार में भाव ऊंचे चल रहे हैं। सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि इस समय बाजार में भाव 6,000 से 7,500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। यानी बाजार भाव एमएसपी से 20 से 50 फ़ीसदी तक ज्यादा हैं। पिछले साल भी सरसों के भाव 7,000 से 8,000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। दो साल पहले सरसों 3,500 रुपए से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल बिकती थी।
राजस्थान के पीलीबंगा, रावतपुर, चिड़ावा, हनुमानगढ़ समेत कई अनाज मण्डियों में सरसों का भाव 6,000 रुपये से लेकर 6500 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहा है। बुधवार को उत्तर प्रदेश के ललितपुर में भाव 6,400 रुपए, हरदोई में 6,325 और वाराणसी में 6,820 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे थे। मध्य प्रदेश के सीहोर में भाव 6,290 रुपए, हरदा में 6,360 रुपए और धार में 6,080 रुपये प्रति क्विंटल के आस-पास चल रहे हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले ही सरसों की कीमतों में गिरावट आई थी।
सरकार ने सरसों का एमएसपी 2022-23 के लिए 5050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। हालांकि, ज्यादातर मंडियों में कीमतें एमएसपी से ऊपर बनी हुई हैं। बाजार में एमएसपी से ज्यादा दाम मिलने से किसान बेहद खुश हैं। पिछले वर्ष सरसों की अच्छी कीमत पाने वाले जिला जयपुर के देवा ग्राम निवासी मोहन लाल यादव व महेंद्र यादव ने इस वर्ष पांच एकड़ में सरसों की फसल लगाई है। दोनों किसानों ने बताया कि पतली दाने वाली सरसों की कीमत 6,500 रुपये और मोटी सरसों की कीमत 7,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापारी घर से ही खरीद कर ले जा रहे हैं।
महेश कुमार निनवाडिया बाघवास जयपुर के गल्ला व्यापारी हैं। उन्होंने रूरल वॉयस को बताया कि इस बार सरसों मिलों पर सरसों की काफी मांग है। उन्होंने बताया कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने स्वास्थ्य कारणों के चलते पिछले साल से सरसों के तेल में मिलावट करने पर रोक लगा दी थी। वर्तमान में बाजार में सरसों का तेल 180 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा है, जिससे सरसों की मांग बढ़ गई है। वे वर्तमान में किसानों से सामान्य सरसों की उपज 6,000 रुपये से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद रहे हैं। निनवाडिया ने बताया कि बीकानेर और नागौर में हम किसानों से 7500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सरसों खरीद रहे हैं। सरसों की कुछ प्रजातियों में तेल 42 प्रतिशत से उपर है।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यूक्रेन संकट ने सरसों की खेती को बढ़ावा दिया है। यदि युद्ध लंबे समय तक जारी रहा तो सरसों की कीमतों में और तेजी आ सकती है। फिलहाल घरेलू मांग के अलावा निर्यात मांग भी बनी हुई है। इससे सरसों की कीमतों में तेज उछाल आ सकता है। हालांकि, जैसे-जैसे बाजारों में सरसों की आवक बढ़ने लगती है, कीमतों में भी स्थिरता देखी जा सकती है। भारत में सरसों की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में की जाती है। इस बार हरियाणा में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की गई है।
पिछले साल खाद्य तेलों की ऊंची कीमतों के कारण किसानों ने इस बार अधिक क्षेत्रों में सरसों की खेती की है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार रबी सीजन में तिलहन का रकबा 18.30 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। सीओओआईटी के आंकड़ों के मुताबिक, सरसों का उत्पादन 29 फीसदी बढ़कर 2021-22 में 109.5 लाख टन होने का अनुमान है। भारत में घरेलू खाद्य तेल की जरूरत लगभग 250 लाख टन की है जबकि इसका घरेलू उत्पादन 111.6 लाख टन है। यानी करीब 60 फीसदी खाद्य तेल बाहरी देशों से आयात किया जाता है। पिछले साल खाद्य तेल आयात 72,000 करोड़ रुपये से बढ़कर करीब 1.17 लाख करोड़ रुपये हो गया।