अक्तूबर के अंत में डीएपी का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले एकतिहाई पर पहुंचा
उर्वरक विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्तूबर, 2021 को डीएपी और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का स्टॉक पिछले साल की इसी तिथि के एक तिहाई स्तर पर पहंच गया है। उर्वरक विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्तबूर, 2021 को देश में डीएपी का स्टॉक 14.63 लाख टन पर पहुंच गया जो 2020 में इसी समय 44.95 लाख टन पर था। वहीं एमओपी का स्टॉक 31 अक्तूबर, 2021 को 7.82 लाख टन पर था जो अक्तूबर, 2020 के अंत में 21.70 लाख टन पर था
सरकार के तमाम दावों के बावजूद चालू रबी सीजन में डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की उपलब्धता को लेकर किसानों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। सरकार का कहना है कि देश में उर्वरकों का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। वहीं उर्वरक विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्तूबर, 2021 को डीएपी और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का स्टॉक पिछले साल की इसी तिथि के मुकाबले एक तिहाई स्तर पर पहंच गया है। उर्वरक विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्तबूर, 2021 को देश में डीएपी का स्टॉक 14.63 लाख टन पर पहुंच गया जो 2020 में इसी समय 44.95 लाख टन पर था। वहीं एमओपी का स्टॉक 31 अक्तूबर, 2021 को 7.82 लाख टन पर था जो अक्तूबर, 2020 के अंत में 21.70 लाख टन पर था।
हालांकि यूरिया और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (एनपीके) कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के मामले में स्थिति बेहतर है। 31 अक्तूबर को देश में यूरिया का स्टॉक 52.90 लाख टन पर था हालांकि यह 31 अक्तूबर, 2020 के 79.76 लाख टन से कम है। वहीं एनपीके का स्टॉक इस साल अक्तूबर के अंत में 30.98 लाख टन रहा जो 2020 में इसी समय 38.40 लाख टन पर था। लेकिन इनकी उपलब्धता की कोई दिक्कत नहीं है।
इस साल मानसून की बारिश अक्तूबर तक होने के चलते रबी सीजन की फसलों की बुआई में कुछ देरी हुई है। ऐसे में नवंबर में डीएपी की मांग अधिक रहने की संभावना है। वहीं सितंबर और अक्तूबर में अधिक बारिश होने के चलते मिट्टी में नमी के चलते रबी सीजन का बुआई क्षेत्रफल बढ़ सकता है। रबी सीजन में गेहूं, सरसों और अन्य फसलों के लिए बुआई के समय डीएपी की जरूरत होती है। ऐसे में सरकार के लिए यह एक चुनौती है कि वह किस तरह से किसानों को डीएपी की उपलब्धता कराये। वहीं देश के कई हिस्सों से डीएपी की उपलब्धता को लेकर किसानों के सामने मुश्किलें आने की खबरें आ रही हैं। इस तरह की खबरें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब से आ रही हैं। उर्वरक विभाग के एक अधिकारी ने रूरल वॉयस को बताया कि राज्यों की मांग के आधार पर नवंबर में डीएपी की मांग 17.13 लाख टन है। वहीं एनपीके की मांग 12.26 लाख टन है।
वहीं रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि उन्होंने अधिकारियों के साथ नवंबर महीने में उर्वरकों की उपलब्धता के लक्ष्यों की समीक्षा की है। उन्होंने कहा कि देश में उर्वरकों की उपलब्धता का संकट नहीं है। नवंबर में मांग के अधिक डीएपी, एनपीके और यूरिया उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा है कि नवंबर में 17 लाख टन डीएपी की मांग के मुकाबले 18 लाख टन डीएपी उपलब्ध कराया जाएगा। जबकि 15 लाख टन एनपीके की मांग के मुकाबले 30 लाख टन एनपीके और 41 लाख टन यूरिया की मांग के मुकाबले 76 लाख टन यूरिया उपलब्ध होगा।
इसके साथ ही मंडाविया ने किसानों से कहा है कि वह उर्वरकों की जमाखोरी नहीं करे। सरकार द्वारा उर्वरकों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात भी उन्होंने कही। उन्होंने कहा कि सरकार उर्वरकों के उत्पादन, आयात और उनके मूवमेंट की निगरानी कर रही है ताकि जरूरत के हिसाब से सभी जगह उर्वरकों की उपलब्धता कराई जा सके।
अक्तूबर, 2021 में उर्वरकों की कुल बिक्री पिछले साल से अधिक रही है। हालांकि अक्तूबर में डीएपी की बिक्री 13.9 लाख टन रही जो पिछले साल की इसी माह की बिक्री 15.37 लाख टन से कम रही। इसी तरह अक्तूबर में एमओपी की बिक्री पिछले साल के 2.84 लाख के मुकाबले इस साल 2.5 लाख टन रही। लेकिन यूरिया की बिक्री पिछले साल 15.55 लाख टन के मुकाबले इस साल अक्तूबर में 20.66 लाख टन रही। वहीं एनपीके की बिक्री पिछले साल के 8.7 लाख टन के मुकाबले इस साल अक्तूबर में 13.07 लाख टन एनपीके की बिक्री हुई। वहीं सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) की बिक्री पिछले साल 4.69 लाख टन के मुकाबले बढ़कर इस साल अक्तूबर में 7.93 लाख टन एसएसपी की बिक्री हुई। यूरिया, एनपीके और एसएसपी की अधिक बिक्री के चलते अक्तूबर, 2021 में उर्वरकों की कुल बिक्री पिछले साल से अधिक रही है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों के कच्चे माल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी होने के चलते सरकार ने मई में विनियंत्रित उर्वरकों के लिए न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत फॉस्फेट पर सब्सिडी में बढ़ोतरी की थी ताकि किसानों के लिए डीएपी की कीमत को 1200 रुपये प्रति बैग (50किलो) पर रखा जा सके। उसके बाद अक्तूबर में डीएपी और एनपीके पर प्रति बैग सब्सिडी में बढ़ोतरी की। उसके चलते डीएपी 1200 रुपये प्रति बैग पर उपलब्ध है। वहीं एनपीके के तीन ग्रेड पर 100 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी दी। लेकिन इसके बावजूद एनपीके के सबसे अधिक बिकने वाले तीन ग्रेड की कीमतों में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी कंपनियों ने की और इनकी कीमतें 1450 से 1470 रुपये प्रति बैग पर पहुंच गई।