खाद्य तेल इंडस्ट्री ने दिलाया भरोसा, रूस-यूक्रेन संकट का बेजा फायदा नहीं उठाएगी

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ एक चर्चा में इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने कहा कि उनके पास करीब डेढ़ महीने का स्टॉक है। आने वाले दिनों में यूक्रेन का विकल्प तलाशने के लिए वे हर संभव कोशिश करेंगे

खाद्य तेल इंडस्ट्री ने दिलाया भरोसा, रूस-यूक्रेन संकट का बेजा फायदा नहीं उठाएगी

खाद्य तेल इंडस्ट्री ने सरकार को भरोसा दिलाया है कि वह रूस-यूक्रेन संकट का बेजा फायदा नहीं उठाएगी। खासकर यह देखते हुए कि भारत, यूक्रेन से सबसे अधिक सनफ्लावर ऑयल का आयात करता है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ एक चर्चा में इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने कहा कि उनके पास करीब डेढ़ महीने का स्टॉक है। आने वाले दिनों में यूक्रेन का विकल्प तलाशने के लिए वे हर संभव कोशिश करेंगे।

घरेलू बाजार में सरसों तेल 200 रुपए प्रति लीटर से ऊपर जाने के बाद पिछले कुछ हफ्तों के दौरान इसके दाम घटे हैं। लेकिन यूक्रेन और रूस से सनफ्लावर ऑयल का आयात बंद होने पर जल्दी ही खाद्य तेलों की उपलब्धता की समस्या हो सकती है, जिसका असर इसकी कीमतों पर दिख सकता है। इंडस्ट्री का कहना है कि इंडोनेशिया और मलेशिया के पास सरप्लस पाम ऑयल है। उनका आयात किया जा सकता है। भारत खाद्य तेलों में सबसे अधिक पाम ऑयल का ही आयात करता है।

भारत में हर साल करीब 25 लाख टन सनफ्लावर ऑयल की खपत होती है। लेकिन इसका घरेलू उत्पादन मुश्किल से 50,000 टन के आसपास है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 में देश में 25 लाख टन सनफ्लावर ऑयल का आयात हुआ। 2020-21 में आयात 22 लाख टन का रहा। 2019-20 में यूक्रेन से आयात 19.3 लाख टन का और 2020-21 में 17.4 लाख टन का रहा। इस दौरान रूस से क्रमशः 3.8 लाख टन और 2.8 लाख टन सनफ्लावर ऑयल आयात किया गया।

कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2021-22 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्पादन 371.5 लाख टन अनुमानित है। यह 2020-21 के 359.5 लाख टन की तुलना में 12 लाख टन अधिक है। 

पेट्रोलियम में एक लाख करोड़ के राजस्व का नुकसानः एसबीआई रिसर्च

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम भी बढ़े हैं। ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गया है। एसबीआई रिसर्च का अनुमान है कि अगर तेल की कीमत 90 डॉलर से अधिक रही तो सरकार को 2022-23 में करीब एक लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो सकता है। इसने एक रिपोर्ट में कहा है कि अगर सरकार मार्च में पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी सात रुपए प्रति लीटर घटाती है तो सरकार को प्रतिमाह एक्साइज ड्यूटी के रूप में 8000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। रेटिंग एजेंसी इक्रा का भी अनुमान है कि महामारी से पहले के स्तर पर एक्साइज ड्यूटी करने पर सरकार को 2022-23 मई 92 हजार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होगा।

युद्ध से प्रभावित होगी आर्थिक रिकवरीः सीतारमण

इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि युद्ध के कारण भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की आर्थिक रिकवरी प्रभावित हो सकती है। गुरुवार को पुणे इंटरनेशनल सेंटर की तरफ से आयोजित एशिया इकोनामिक डायलॉग 2022 में सीतारमण ने कहा कि जब ग्लोबल वैल्यू चेन तमाम देशों को करीब ला चुके हैं तब किसी एक देश के लिए अपनी रिकवरी का अलग रास्ता चुनना मुश्किल है। युद्ध जैसी परिस्थिति में सिर्फ भारत नहीं बल्कि सभी देशों में रिकवरी पर असर पड़ेगा। आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के प्रमुखों ने भी कहा है कि यूक्रेन में युद्ध का इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर होगा। इसके दूरगामी आर्थिक और सामाजिक प्रभाव होंगे।

 

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