डॉ. आर.एस. परोदा को ATSE ने फैलो पद से सम्मानित किया
ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (तास) के चेयरमैन और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर.एस. परोदा का आस्ट्रेलियन एकेडमी ऑफ टेक्नीकल साइंसेज एंड इंजीनियरिंग (एटीएसई) के फैलो के रूप में चयन किया गया है। इस साल एटीएसई के चुने जाने वाले वह एकमात्र विदेशी फैलो हैं
ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (TAAS) के चेयरमैन और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर.एस. परोदा ऑस्ट्रेलियन एकेडमी ऑफ टेक्नीकल साइंसेज एंड इंजीनियरिंग (एटीएसई) के फैलो बनाए गए हैं। इस साल एटीएसई की तरफ से बनाए जाने वाले वह एकमात्र विदेशी फैलो हैं। एटीएसई ने कहा है कि डॉ. परोदा का इस समूह में जुड़ना हमारे के लिए हर्ष का क्षण है। एटीएसई ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों, टेक्नोलॉजिस्ट और इंजीनियर्स का सबसे प्रभावी नेटवर्क है। डॉ. परोदा को वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र में एक अथारिटी के रूप में सम्मान हासिल है।
भारत में पहला आधुनिक ''राष्ट्रीय जीन बैंक'' स्थापित करने वाले डॉ. परोदा आनुवांशिकी और प्रजनन विशेषज्ञ कृषि वैज्ञानिक हैं। प्रजनन और आनुवांशिक संसाधन प्रबंधन में उनके योगदान को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। उन्होंने अपने कृषि अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से कृषि व जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। साथ ही ग्लोबल फोरम ऑन एग्रीकल्चरल रिसर्च (GFAR) और एशिया-पैसिफिक एसोसिएशन ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूशंस (APAARI) सहित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की स्थापना की तथा उनका नेतृत्व किया। कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव के रूप में उन्होंने भारत की कृषि अनुसंधान प्रणाली का आधुनिकीकरण किया और 30 से अधिक नए शोध संस्थान बनाए।
उनके नेतृत्व और योगदान के चलते भारत का खाद्यान्न उत्पादन 1980 के 130 मिलियन टन से बढ़कर 2011 में 260 मिलियन टन हो गया था। जिसके चलते बढ़ती जनसंख्या के बीच भारत को खाद्य सुरक्षा हासिल करने में कामयाबी मिली। कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (CSIRO) सहित ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों और संगठनों के साथ उनका लंबा जुड़ाव है। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (ACIAR) की सलाहकार परिषद में भी काम किया है।
ऑस्ट्रेलियाई प्रौद्योगिकी विज्ञान और इंजीनियरिंग अकादमी फैलोशिप में दुनियाभर से 900 से ज्यादा कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक जुड़े हुए हैं। इस साल 72 वैज्ञानिकों को इस फैलोशिप के लिए चयनित किया गया है। इस फैलोशिप की मदद से वैज्ञानिक महत्वपूर्ण उद्योगों में जलवायु परिवर्तन से निपटने के नये व वैज्ञानिक उपाय, कृषि समस्या समाधान व वैज्ञानिक पद्धतियों द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर कदम उठाते हैं।