गेहूं खरीद में नया ट्रेंड, पंजीकरण के बावजूद बड़ी संख्या में किसान सरकारी केंद्रों पर पहुंचे ही नहीं
हाल तक किसान सरकारी खरीद केंद्रों पर अपनी उपज बेचने के लिए परेशान रहते थे। खरीद केंद्रों पर काफी इंतजामात भी करने पड़ते हैं। फिर भी स्थिति यह है कि उत्तराखंड में 1,050 किसानों ने गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण करवाया था, लेकिन सिर्फ एक किसान सरकारी खरीद केंद्र पहुंचा और उसने 3.2 टन गेहूं बेचा है
इस बार गेहूं खरीद में नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। रबी मार्केटिंग वर्ष 2022-23 के लिए कई राज्यों में सरकारी खरीद के लिए बड़ी संख्या में किसानों ने पंजीकरण करवा रखे थे, लेकिन अपनी उपज बेचने वे सरकारी खरीद केंद्रों पर आए ही नहीं। इस बार का नजारा इसलिए भी बदला हुआ है कि हाल तक किसान सरकारी खरीद केंद्रों पर अपनी उपज बेचने के लिए परेशान रहते थे। यही नहीं, खरीद केंद्रों पर काफी इंतजामात करने पड़ते हैं। फिर भी स्थिति यह है कि उत्तराखंड में 1,050 किसानों ने गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण करवाया था, लेकिन सिर्फ एक किसान सरकारी खरीद केंद्र पहुंचा और उसने 3.2 टन गेहूं बेचा है।
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सेंट्रल फूडग्रेन्स प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़े देखें तो ऐसी स्थिति और कई राज्यों की है। मसलन, गुजरात में पंजीकरण तो करवाया 11,463 किसानों ने, लेकिन सरकारी खरीद केंद्र पर सिर्फ तीन किसान पहुंचे। इसी तरह राजस्थान में पंजीकरण कराने वाले 12,430 किसानों में से सिर्फ 85 और जम्मू-कश्मीर में 9,239 में से सिर्फ 58 पहुंचे। हिमाचल प्रदेश में 2,744 किसानों ने पंजीकरण कराया था, लेकिन उनमें से सिर्फ 976 सरकारी खरीद केंद्रों पर पहुंचे।
हालांकि अभी तक सबसे अधिक खरीद वाले राज्यों पंजाब और मध्य प्रदेश में पंजीकरण की तुलना में ज्यादा किसान पहुंचे। पंजाब में 4.20 लाख किसानों ने पंजीकरण कराया था, जबकि अब तक 7.39 लाख किसान सरकारी खरीद केंद्रों पर अपनी उपज बेच चुके हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश में 5.03 लाख पंजीकृत के मुकाबले 5.18 लाख किसान आए हैं। इससे पता चलता है कि यहां की मंडियों में जो भी उपज लेकर आ रहा है, उससे खरीदा जा रहा है। दूसरे राज्यों से आकर उपज बेचने वालों और राउंड ट्रिपिंग रोकने के लिए किसानों के पंजीकरण की व्यवस्था शुरू की गई थी। लेकिन पंजाब और मध्य प्रदेश के आंकड़ों से पता चलता है कि बिना रजिस्ट्रेशन वाले भी बेच रहे हैं। सर्वाधिक खरीद के मामले में तीसरे राज्य हरियाणा में 4.19 लाख किसानों ने पंजीकरण कराया था, जबकि आए 3.05 लाख।
हालांकि, नौ राज्यों में कुल रजिस्टर्ड किसानों और सरकारी खरीद केंद्रों में आने वाले किसानों का योग देखें तो अंतर ज्यादा नहीं लगता। इन नौ राज्यों के 230 जिलों में 16.99 लाख किसानों ने गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण करवाया था और आए 16.19 लाख किसान। उनसे 178.18 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है। लेकिन राज्यवार आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
इस बार एक तो मौसम का तापमान अचानक बढ़ने से खास कर उत्तरी राज्यों में गेहूं उत्पादन में गिरावट आई है और दूसरे, अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की मांग के चलते निर्यात मांग काफी है। इससे सरकारी खरीद केंद्रों के बाहर किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत मिल रही है। निर्यातकों के राजस्थान और गुजरात से ज्यादा गेहूं खरीदने की खबरें हैं।
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उत्तराखंड में सिर्फ एक, गुजरात में तीन किसान आए
राज्य |
रजिस्टर्ड किसान |
लाभान्वित किसान |
पंजाब |
4.20 लाख |
7.39 लाख |
मध्य प्रदेश |
5.03 लाख |
5.18 लाख |
हरियाणा |
4.19 लाख |
3.05 लाख |
उत्तर प्रदेश |
3.20 लाख |
54,728 |
राजस्थान |
12,430 |
85 |
गुजरात |
11,463 |
3 |
जम्मू-कश्मीर |
9,239 |
58 |
हिमाचल प्रदेश |
2,744 |
976 |
उत्तराखंड |
1,050 |
1 |