भारत का डेयरी सहकारिता मॉडल बेजोड़, गरीब देशों के लिए यह अनुकरणीय: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि डेयरी क्षेत्र में जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने की क्षमता है वहीं यह दुनिया भर में करोड़ों लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है। भारत में डेयरी सेक्टर की विशेषता अधिक उत्पादन 'मास प्राडक्शन' नहीं बल्कि जनमानस द्वारा उत्पादन यानी 'प्रॉडक्शन बाय मासेज' के रूप में देखी जाती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है लेकिन इसके आधार में एक या दो पशु रखने वाले छोटे किसान हैं। प्रधानमंत्री ने यह बातें दिल्ली के नजदीक ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपोमार्ट सेंटर में इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन की वर्ल्ड डेयरी समिट (आईडीएफ डब्ल्यूडीएस) 2022 का उद्घाटन करने के मौके पर डेयरी सेक्टर के घरेलू और अंतरराष्टीय प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि डेयरी क्षेत्र में जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने की क्षमता है वहीं यह दुनिया भर में करोड़ों लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है। भारत में डेयरी सेक्टर की विशेषता अधिक उत्पादन (मास प्राडक्शन) नहीं बल्कि जनमानस द्वारा उत्पादन यानी 'प्रॉडक्शन बाय मासेज' के रूप में देखी जाती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है लेकिन इसके आधार में एक या दो पशु रखने वाले छोटे किसान हैं। प्रधानमंत्री ने यह बातें दिल्ली के नजदीक ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपोमार्ट सेंटर में इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन की वर्ल्ड डेयरी समिट (आईडीएफ डब्ल्यूडीएस) 2022 का उद्घाटन करने के मौके पर डेयरी सेक्टर के घरेलू और अंतरराष्टीय प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड डेयरी समिति विचारों के आदान-प्रदान का एक बड़ा माध्यम बनेगी।
आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022 का आयोजन 12 से 15 सितंबर, 2022 के दौरान चार दिन के लिए वैश्विक और घरेलू डेयरी सेक्टर द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। भारत में इसका आयोजन 1974 के बाद पहली बार हो रहा है। जिसमें इंडस्ट्री लीडर, किसान, एक्सपर्ट और योजनाकार हिस्सा ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत में पशु धन केंद्रित बिजनेस और सांस्कृतिक परिदृश्य पर जोर देते हुए कहा कि इसने भारत के डेयरी क्षेत्र को अद्वितीय बनाया है और भारत में विकसित देशों के उलट छोटे किसान डेयरी सेक्टर की ताकत हैं। इसीलिए भारत में दूध के उत्पादन को मास प्रॉडक्शन की बजाय प्रॉडक्शन बाय मासेज के रूप में चित्रित किया जाता है। देश में डेयरी सेक्टर आठ करोड़ परिवारों की आजीविका का साधन है।
उन्होंने कहा कि भारत के डेयरी सेक्टर की दूसरी बड़ी विशेषता यहां का डेयरी कोआपरेटिव मॉडल है जिसका दुनिया में दूसरा कोई उदाहरण नहीं मिलता है। भारत की डेयरी सहकारी समितियां देश के दो लाख गांवों के दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध का संग्रह करती हैं और उसे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं। इनके जरिये किसानों से दूध की खरीद से इसके ग्राहकों तक पहुंचने तक कोई बिचौलिया नहीं होता है और यही वजह है कि ग्राहक द्वारा चुकाई जाने वाली कीमत का 70 फीसदी पैसा सीधे किसानों की जेब में पहुंचता है। दुनिया में कहीं भी ग्राहकों द्वारा चुकाई जाने वाली कीमत का हिस्सा इस अनुपात में किसानों को नहीं मिलता है। उन्होंने डेयरी सेक्टर में डिजिटल पेमेंट सिस्टम की कामयाबी पर जोर देते हुए कहा कि इससे दूसरे देश सीख ले सकते हैं।
भारत के डेयरी सेक्टर की कामयाबी के पीछे उन्होंने यहां पशुधन की नस्ल विविधता को बताते हुए कहा कि हमारे देश में तमाम उदाहरण हैं जब मुश्किल मौसम के दौरान भी हमारी भैसें और गायें दूध देती रहती हैं। गुजरात की बन्नी भैंस की नस्ल का उदाहरण उन्होंने दिया। इसी तरह उन्होंने मुर्रा, मेहसाणा, जाफराबादी, नील रावी और पंढरपुरी नस्लों का जिक्र किया। इसके साथ गायों में गिर, साहीवाल, कांकेर, थारपारकर और हरियाणा नस्लों का जिक्र किया।
डेयरी सेक्टर में महिलाओं की भूमिका का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसमें उनकी भागीदारी 70 फीसदी है और वह भारत के डेयरी सेक्टर की रीढ़ हैं। साथ ही वह इसमें अग्रणी भूमिका भी निभा रही हैं। सहकारी समितियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व एक तिहाई है। देश में डेयरी सेक्टर की वैल्यू साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये है और यह गेहूं और चावल की कुल वैल्यू से अधिक है।
उन्होंने कहा कि पिछले आठ साल में देश में दूध का उत्पादन साल 2014 के 14.6 करोड़ टन से बढ़कर 21 करोड़ टन हो गया ह और यह वृद्धि 44 फीसदी की है। जहां दुनिया में दूध उत्पादन में वृद्धि दर केवल दो फीसदी है वहीं भारत में दूध उत्पादन की वृद्धि दर छह फीसदी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम एक संतुलित डेयरी इकोसिस्टम का विकास करने पर काम कर रहे हैं जिसमें उत्पादन में वृद्धि के साथ आने वाली चुनौतियों का भी हल हो। इसके लिए किसानों की अधिक आय, गरीबों का सशक्तीकरण, स्वच्छता, रसायनमुक्त खेती, क्लीन इनर्जी और पशुओं की बेहतर देखभाल शामिल हैं। इसके तहत गावों के ग्रीन और टिकाऊ विकास के लिए पशुपालन और डेयरी को एक सशक्त माध्यम के रूप में देखा जा रहा है। इसमें राष्ट्रीय गोकुल मिशन, गोबरधन योजना, डेयरी सेक्टर का डिजिटाइजेशन, पशुओं का यूनिवर्सल वैक्सीनेशन और सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध जैसे कदम शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पशुओं की बायोमीट्रिक पहचान के लिए 'पशु आधार' के जरिये डाटाबेस तैयार किया जा रहा है जो उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता के आंकड़े भी दे सकेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पशुओं की फुट एंड माउथ डिजीज (एफएमडी) पर नियंत्रण के लिए वैक्सीनेशन किया जा रहा है। इस बीमारी से देश को एक लक्षित समय सीमा में साल 2025 तक मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हाल के कुछ माह में लंपी स्किन बीमारी से देश के कई राज्यों में किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। इस बीमारी से बचाव के लिए लंपी प्रोवैक इंड नाम से स्वदेशी वैक्सीन विकसित कर लिया गया है। साथ ही इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए पशुओं की आवाजाही की निगरानी की जा रही है।
इसके साथ ही डेयरी सेक्टर में कृषि उत्पादन संगठन (एफपीओ), स्वसहायता समूह (एसएचजी) और एग्री स्टार्ट-अप जैसे विकास के माडलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। हाल के कुछ समय के भीतर ही देश में एक हजार से अधिक एग्री स्टार्ट-अप स्थापित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि मैं विश्व के डेयरी उद्योग को आमंत्रित करता हूं कि वह हमारे साथ मिलकर भारत के डेयरी सेक्टर को मजबूत करने में सहयोग करे। इसके साथ ही उन्होंने इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन के योगदान की भी सराहना की।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, केंद्रीय मत्स्य पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव कुमार बालियान, केंद्रीय मत्स्य पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री एल. मुरूगन, इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन के प्रेसिडेंट पी. ब्रैजले, इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन की डायरेक्टर जनरल कैथरीन एमोंड भी उपस्थित थीं।