एक किलो आलू-प्याज-टमाटर का खर्च 220 रुपये तक, लेकिन किसानों से ज्यादा ट्रेडर्स को फायदा

आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव से किसानों और उपभोक्ताओं को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने TOP स्कीम शुरू की थी। लेकिन यह सरकारी कवायद न तो किसानों को कीमतों में गिरावट से बचाने में कारगर रही और न ही उपभोक्ताओं को महंगाई की मार से बचा पा रही है

एक किलो आलू-प्याज-टमाटर का खर्च 220 रुपये तक, लेकिन किसानों से ज्यादा ट्रेडर्स को फायदा

भारतीय रसोई की तीन सबसे प्रमुख सब्जियों आलू, प्याज और टमाटर की महंगाई ने आम जनता का बजट बिगाड़ दिया है। सब्जियों की महंगाई के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 फीसदी पर पहुंच गई। देश के कई इलाकों में एक किलो आलू, प्याज और टमाटर खरीदने के लिए 220 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। लेकिन इनके बढ़े दाम का फायदा किसानों से ज्यादा ट्रेडर्स की जेब में जा रहा है।

आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव से किसानों और उपभोक्ताओं को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने टमैटो-्अनियन एंड पोटैटो (TOP) स्कीम शुरू की थी। लेकिन यह सरकारी कवायद न तो किसानों को कीमतों में गिरावट से बचाने में कारगर रही और न ही उपभोक्ताओं को महंगाई की मार से बचा पा रही है। आरबीआई के एक हालिया वर्किंग पेपर के अनुसार, आलू, टमाटर और प्याज की खुदरा कीमतों का लगभग एक-तिहाई ही किसानों को मिल पाता है। बड़ा हिस्सा ट्रेडर्स की जेब में जाता है। 

प्याज के दाम देश के कई इलाकों में 80 से 100 रुपये किलो तक पहुंच गये हैं जो पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक है। दिल्ली-एनसीआर में प्याज 70-80 रुपये किलो बिक रहा है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय की प्राइस मॉनिटरिंग के अनुसार, देश में प्याज का अधिकतम खुदरा भाव 100 रुपये किलो और मॉडल भाव 60 रुपये किलो है।

प्याज की महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार सहकारी संस्थाओं नेफेड और एनसीसीएफ के जरिए 35 रुपये के रियायती रेट पर प्याज की बिक्री करवा रही है। लेकिन इन कोशिशों का प्याज की कीमतों पर सीमित असर है। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया कि प्याज की कीमतों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। कीमतों को स्थिर रखने के लिए खुदरा बाजारों में बफर स्टॉक से अधिक मात्रा में प्याज उतारने का फैसला किया गया है। सरकार ने उत्तर भारत के राज्यों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सोनीपत के कोल्ड स्टोरेज में रखे प्याज को उतारने का भी निर्णय लिया है।

महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने रूरल वॉयस को बताया कि अब रबी सीजन का बहुत कम प्याज किसानों के पास बचा है। लासलगांव मंडी में किसानों को नए सीजन के प्याज (लाल प्याज) का भाव औसतन 4600 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। जबकि रबी सीजन के प्याज का औसत भाव 5700 रुपये प्रति क्विंटल है। दिघोले का मानना है कि प्याज के दाम बढ़ना किसानों के हित में है और विपक्षी दलों को इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। सरकार की गलत नीतियों के चलते प्याज उत्पादक किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। 

रबी प्याज की आवक लगभग समाप्त होने और अक्टूबर में बारिश से खरीफ प्याज की आवक में देरी के कारण प्याज के दाम बढ़े हैं। अगले कुछ सप्ताह में खरीफ प्याज की आवक बढ़ने के साथ प्याज की कीमतें सामान्य हो सकती हैं। इस साल खरीफ प्याज की बुवाई का क्षेत्र पिछले साल के 2.85 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 3.82 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इससे आने वाले दिनों में प्याज की आपूर्ति सुधरने की उम्मीद लगाई जा रही है। 

टमाटर की बुवाई के क्षेत्र में कमी और सितंबर में हुई भारी बारिश के कारण टमाटर के रेट कई शहरों में 80-90 रुपये किलो तक पहुंच गये हैं। जबकि आलू 40-50 रुपये किलो तक बिक रहा है। क्रिसिल की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में सब्जियों की महंगाई के कारण शाकाहारी थाली 20 फीसदी महंगी हुई। टमाटर की कीमतें पिछले साल के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा हो गई हैं, प्याज की कीमतों में 46 फीसदी और आलू की कीमतों में में 51 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर को 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचाने में सबसे ज्यादा योगदार सब्जियों की महंगाई का रहा है। अक्टूबर में सब्जियों की महंगाई सालाना आधार पर 42.18 फीसदी बढ़ी है।  

कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के टमाटर उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश से टमाटर की आवक प्रभावित हुई है। साथ ही कई इलाकों में फसल पर कीटों का प्रकोप है जिससे उत्पादन पर असर पड़ा है। मंडियों में कम आवक के चलते आलू के दाम भी 40-50 रुपये किलो के आसपास हैं। तीन प्रमुख सब्जियों आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित रखने के लिए केंद्र सरकार ने 2018 में TOP स्कीम शुरू की थी। बाद में इसका दायरा सभी फल व सब्जियों तक बढ़ा दिया। लेकिन आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में स्थिरता लाने में सफलता नहीं मिली। ऐसे में सरकार का पूरा दारोमदार सहकारी संस्थाओं के जरिए रियायती दरों पर प्याज और टमाटर की बिक्री पर है। 

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