एमएसपी पर जल्द गठित हो सकती है समिति, लेकिन कानूनी गारंटी के प्रावधान की संभावना कम
कृषि मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार एमएसपी पर जल्दी ही समिति का गठन कर सकती है। लेकिन समिति के कामकाज के दायरे में एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने का प्रावधान जोड़ने की संभावना नहीं है। उनका कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा को मंत्रालय ने जो चिट्ठी लिखी थी उसमें कहीं भी एमएसपी पर कानूनी गारंटी का जिक्र नहीं था
केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर समिति गठित करने के बारे जल्दी ही फैसला ले सकती है। संयुक्त किसान मोर्चा ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ 13 माह का आंदोलन समाप्त करने के लिए तीन कानूनों को रद्द करने की मांग माने जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की शर्त रखी थी। सरकार ने तीन कानून रद्द कर दिये थे और एमएसपी पर एक समिति गठित करने का वादा किया था। यह वादा केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे एक पत्र में किया गया था। साथ ही दूसरी शर्तों को मानने के संबंध में भी जानकारी इस पत्र में दी गई थी। लेकिन एमएसपी पर कानूनी गारंटी के मुद्दे पर अभी तक समिति गठित नहीं की गई है।
कृषि मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक एमएसपी पर समिति गठित करने के बारे में कोई दुविधा नहीं है और जल्दी ही यह समिति गठित की जा सकती है। समिति के गठन में देरी के बारे में पूछे जाने पर उक्त सूत्र का कहना है कि पिछले दिनों पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों के मद्देनजर चुनाव आयोग की शर्तों को देखते हुए यह समिति गठित नहीं की जा सकी। लेकिन अब चुनाव प्रक्रिया पूरी हो गई है इसलिए समिति गठन के रास्ते में अब कोई बाधा नहीं है।
एमएसपी पर समिति का गठन किन शर्तों के साथ होगा यानी उसकी टर्म्स ऑफ रेफरैंस क्या होगी, इस सवाल पर तो उक्त सूत्र ने कुछ साफ नहीं किया लेकिन यह जरूर कहा कि समिति के कामकाज के दायरे में एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने का प्रावधान इसमें जोड़ने की संभावना नहीं है। उनका कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा को मंत्रालय ने जो चिट्ठी लिखी थी उसमें कहीं भी एमएसपी पर कानूनी गारंटी का जिक्र नहीं था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 19 नवंबर, 2021 को राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीन विवादास्पद केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की गई थी। उसके बाद इन कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया संसद में पूरी की गई और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तीनों कानून रद्द हो गए। इसके बाद कृषि मंत्रालय के सचिव ने संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर किसान संगठनों की मांगों को मानने और उन पर विचार की जानकारी दी। इसमें आंदोलन के दौरान मृतक किसानों को मुआवजा और किसानों के खिलाफ आंदोलन के दौरान दर्ज किये गये केस वापस लेने की बात थी। इन दोनों मुद्दों पर राज्यों को अमल करने की बात कही थी और कुछ राज्यों ने इन पर अमल किया भी लेकिन यह प्रक्रिया अभी अधूरी है। वहीं एमएसपी पर एक समिति गठित करने की बात इस पत्र में की गई थी। यह समिति अभी तक गठित नहीं की गई है। कृषि सचिव के पत्र के बाद किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे अपने धरनों और आंदोलन को समाप्त कर दिसंबर, 2021 के दूसरे सप्ताह में अपने घरों को लौट गये थे।
वहीं केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए किसान संगठनों ने सांकेतिक विरोध दर्ज कराया है। इस तरह का विरोध 21 मार्च को भी जिला अधिकारियों को ज्ञापन देकर दर्ज कराया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार द्वारा मांगों पर अमल नहीं किये जाने की स्थिति में एक आंदोलन की रूपरेखा की भी घोषणा कर रखी है।
इस आंदोलन में सबसे बड़ी भागीदारी वाले राज्य पंजाब के कुछ किसान संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा बनाकर विधान सभा का चुनाव भी लड़ा और उसमें उनकी बुरी तरह हार हुई। वहीं पंजाब में अब आम आदमी पार्टी की सरकार मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में बन गई है। इसलिए आने वाले दिनों में वहां की राजनीति और किसान आंदोलन के इन मुद्दों पर किसानों का रुख काफी अहम होगा। वहीं दूसरी ओर 22 मार्च को दिल्ली में कुछ किसान संगठनों ने एमएसपी की कानूनी गारंटी पर एक मोर्चा गठित कर आंदोलन करने की घोषणा की है। एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा की तरफ से आयोजित इस विरोध में 20 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस संगठन में महाराष्ट्र के किसान संगठन स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी और आल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डिनेशन कमेटी के पूर्व संयोजक और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी.एम. सिंह समेत कई किसान नेता इस मोर्चा में मुख्य भूमिका में हैं। इसलिए अब देखना है कि सरकार जल्दी ही एमएसपी पर समिति गठित करती है या इस मुद्दे पर किसान संगठन अगले आंदोलन की शुरुआत करते हैं। हालांकि मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें जो समिति का गठन जल्दी हो सकता है।