खरीफ के लिए फर्टिलाइजर सब्सिडी की नई दरों को मंजूरी, एनबीएस के तहत 38 हजार करोड़ का प्रावधान, दाम में बदलाव की संभावना कम
केंद्रीय मंत्रीमंडल ने खरीफ सीजन 2023 (एक अप्रैल, 2023 से 30 सितंबर, 2023) के लिए विनियंत्रित उर्वरकों पर सब्सिडी के लिए न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम के तहत नई दरों को मंजूरी दे दी है। इस अवधि के लिए 38 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 17 मई को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सब्सिडी की नई दरों को मंजूरी दी गई है।
केंद्रीय मंत्रीमंडल ने खरीफ सीजन 2023 (एक अप्रैल, 2023 से 30 सितंबर, 2023) के लिए विनियंत्रित उर्वरकों पर सब्सिडी के लिए न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम के तहत नई दरों को मंजूरी दे दी है। इस अवधि के लिए 38 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 17 मई को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सब्सिडी की नई दरों को मंजूरी दी गई है।
एनबीएस के तहत नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी), पोटाश (के) और सल्फर (एस) के लिए सब्सिडी दरें तय की जाती है। विनियंत्रित उर्वरकों में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी), म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी), सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) और एन, पी, के और एस से तैयार कॉम्प्लेक्स उर्वरक शामिल हैं। रबी सीजन (अक्तूबर 2022 से 31 मार्च, 2023) के लिए तय एनबीएस सब्सिडी दरों के मुकाबले खरीफ सीजन की दरों में बदलाव किए जाने की संभावना है। हालांकि, इन पर सब्सिडी की दरों में किया गया बदलाव उर्वरक विभाग द्वारा नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही पता लगेगा।
सूत्रों के मुताबिक, अधिकांश न्यूट्रिएंट की सब्सिडी दरों में कटौती किए जाने की संभावना है। दिसंबर 2022 के बाद से यूरिया, डीएपी और इनके कच्चे माल अमोनिया और फॉस्फोरिक एसिड की कीमतों में भारी गिरावट आई है जिसके चलते सरकार को सब्सिडी दरों में कटौती करने का मौका मिला है। हालांकि, सब्सिडी दरों में बदलाव के बावजूद उर्वरकों की कीमतों में बदलाव की संभावना कम है।
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कैबिनेट के फैसले के बाद सरकार द्वारा जारी सूचना में कहा गया है कि पीएंडके उर्वरकों के लिए खरीफ 2023 सीजन में सरकार 38 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देगी। इसका मकसद किसानों को वाजिब कीमतो पर पीएंडके उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। एनबीएस के हत सरकार पीएंडके उर्वरकों के 25 ग्रेड पर सब्सिडी देती है। सरकार ने कहा कि इस फैसले के चलते जहां किसानों को वाजिब कीमत पर इन उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चिति हो सकेगी, वहीं पीएंडके उर्वरकों पर दी जा रही सब्सिडी को भी तर्कसंगत बनाया जा सकेगा।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के बजट में कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी का प्रावधान किया है। इसमें 1.31 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी यूरिया के लिए है, जबकि बाकी सब्सिडी विनियंत्रित उर्वरकों के लिए है। विनियंत्रित उर्वरकों पर एनबीएस के तहत सब्सिडी दी जाती है और इनकी कीमतें उत्पादक कंपनियों को तय करने का अधिकार है। सरकार के ताजा फैसले से उर्वरकों की कीमतों पर क्या असर होगा यह एनबीएस दरों की अधिसूचना आने के बाद ही स्पष्ट होगा। लेकिन उम्मीद है कि सरकार एमओपी और दूसरे कॉम्प्लेक्स उर्वरकों व डीएपी की कीमतों के बीच में संतुलन स्थापित करने की कोशिश नई दरों में करेगी।
फिलहाल किसानों के लिए डीएपी की कीमत 1350 रुपये प्रति बैग (50 किलो) है, जबकि एमओपी व कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की कीमत इससे अधिक है। पिछले साल तक डीएपी के मुकाबले कॉम्पलेक्स उर्वरकों की कीमतें कम रही थी। लेकिन अभी विभिन्न ग्रेड के कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की कीमतें 1400 रुपये से 1500 रुपये प्रति बैग के बीच हैं।
केंद्र सरकार ने 2 नवंबर को रबी सीजन 2022-23 के लिए विनियंत्रित उर्वरकों के लिए एनबीएस की नई दरों को मंजूरी दी थी। इसके तहत नाइट्रोजन (एन) के लिए 98.02 रुपये प्रति किलो, फॉस्फोरस (पी) के लिए 66.93 रुपये प्रति किलो, पोटाश (के) के लिए 23.65 रुपये प्रति किलो और सल्फर (एस) के लिए 6.12 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी दर तय की गई थी।
डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और यूरिया की कीमतों में लगातार गिरावट का रुख जारी है। पिछले महीने वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत गिरकर 553 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी, जो फरवरी में 640 डॉलर प्रति टन थी। नई कीमत पर सऊदी अरब की एक कंपनी के साथ हाल ही में निजी क्षेत्र की एक भारतीय कंपनी का सौदा किया था। वहीं यूरिया की कीमत 315 से 325 डॉलर प्रति टन (सीएफआर) पर आ गई है। करीब डेढ़ साल पहले डीएपी की कीमत 1000 डॉलर प्रति टन को पार कर गई थी, जबकि यूरिया की 900 डॉलर पर पहुंच गई थी। उद्योग सूत्रों के मुताबिक कीमतों में गिरावट की बड़ी वजह वैश्विक बाजार में उर्वरकों की उपलब्धता में बढ़ोतरी के साथ ही चीन का निर्यात बाजार में बड़े पैमाने पर उतरना है