गेहूं और आटा निर्यात पर अगले वित्त वर्ष में भी बरकरार रहे पाबंदीः फ्लोर मिलर्स फेडरेशन
फेडरेशन का कहना है कि अभी देश में आटे की औसत थोक कीमत 2,600-3,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। जबकि जनवरी के मध्य में यह 3,400-3,800 रुपये प्रति क्विंटल थी। गेहूं की घरेलू उपलब्धता कम होने के कारण जनवरी मध्य में थोक कीमत 3,200-3,600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी। इसे देखते हुए ही सरकार ने 50 लाख टन गेहूं की खुली बिक्री करने का फैसला किया था।
आटा मिलों के शीर्ष संगठन रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने मांग की है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भी गेहूं और गेहूं उत्पादों (आटा, मैदा, सूजी) के निर्यात पर पाबंदी बरकरार रहनी चाहिए। केंद्र सरकार ने पिछले साल मई में गेहूं और आटे की घरेलू कीमतों में वृद्धि को देखते हुए निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फेडरेशन ने बताया कि सरकार की खुले बाजार बिक्री योजना (ओपन मार्केट सेल्स स्कीम) के कारण गेहूं की थोक कीमतें 600-800 रुपये प्रति क्विंटल तक घटी है। थोक भाव घटने से खुदरा कीमतों में भी कमी आई है। इससे आम लोगों और उद्योग जगत को राहत मिली है। फेडरेशन का कहना है कि अभी देश में आटे की औसत थोक कीमत 2,600-3,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। जबकि जनवरी के मध्य में यह 3,400-3,800 रुपये प्रति क्विंटल थी। गेहूं की घरेलू उपलब्धता कम होने के कारण जनवरी मध्य में थोक कीमत 3,200-3,600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी। इसे देखते हुए ही सरकार ने 50 लाख टन गेहूं की खुली बिक्री करने का फैसला किया था।
फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने संवाददाताओं से कहा कि खुली बिक्री योजना से आटा और गेहूं की बढ़ती कीमतें थामने में मदद मिली है। केंद्र सरकार की ओर से समय पर हस्तक्षेप करने से न केवल गरीब, निम्न और मध्यम वर्ग को राहत मिली है, बल्कि ब्रेड और बिस्कुट निर्माताओं सहित गेहूं उत्पाद बनाने वाले अन्य उद्योगों को भी फायदा हुआ है।
फेडरेशन के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट नवनीत चितलांगिया ने दावा किया कि जिन राज्यों में मांग के मुताबिक केंद्रीय पूल से की गई बिक्री वाले गेहूं की पूरी खेप पहुंच गई है वहां थोक कीमत घटकर 23-24 रुपये प्रति किलो पर आ गई है। जबकि जिन राज्यों में खेप पहुंचाने की प्रक्रिया अभी चल रही है वहां भाव 24-25 रुपये प्रति किलो है। हम कीमतों में कटौती कर सरकार के उद्देश्य का पूरा समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया यदि सरकार ने समय पर हस्तक्षेप न किया होता तो कीमतें 40-45 रुपये प्रति किलो तक जा सकती थीं।
फेडरेशन ने बताया कि खुली बिक्री योजना के तहत हुई ई-नीलामी में एफसीआई लगभग 32-33 लाख टन गेहूं बाजार में उतार चुका है। फेडरेशन ने अपने शुरुआती अनुमान में चालू रबी सीजन में गेहूं का रकबा करीब 343.23 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान लगाया है। साथ ही कहा कि चालू रबी सीजन 10.6-11 करोड़ टन रिकॉर्ड गेहूं की पैदावार होने की उम्मीद है। सरकार ने चालू सीजन में 3.4 करोड़ टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य
रखा है।