अमीर देश ज्यादा खरीद रहे खाना, लेकिन महंगाई के कारण गरीब देशों की खाद्य खरीद घटी
इस वर्ष खाद्य आयात बिल में जो वृद्धि हुई है वह मुख्य रूप से अधिक आय वाले देशों के कारण है। उन देशों ने ऊंची कीमत पर अधिक मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात किया है। कीमत बढ़ने से आर्थिक रूप से कमजोर देश ज्यादा प्रभावित हुए हैं। उदाहरण के लिए कम आय वाले देशों का खाद्य आयात बिल पिछले साल के बराबर ही रहने का अनुमान है, जबकि मात्रा के लिहाज से उनका आयात बीते वर्ष की तुलना में 10% कम होगा
वर्ष 2022 में दुनिया के विभिन्न देशों का खाद्य आयात बिल 1.94 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने अपनी नई रिपोर्ट में यह बात कही है। इस फूड आउटलुक के अनुसार खाद्य आयात बिल 2021 में भी सबसे ऊंचे स्तर पर था। लेकिन इस साल उसमें और 10% वृद्धि होने के आसार हैं। हालांकि आयात बिल में वृद्धि की दर पिछले साल के 18% की तुलना में कम ही रहेगी। इसके दो प्रमुख कारण हैं। एक तो खाद्य पदार्थों के दाम काफी बढ़ गए हैं और दूसरा, अमेरिकी डॉलर की तुलना में विभिन्न देशों की करेंसी काफी गिर गई है। इन दोनों वजहों से खाद्य आयातक देशों की क्षमता प्रभावित होगी और वे कम खाद्य पदार्थ आयात करेंगे।
इस वर्ष खाद्य आयात बिल में जो वृद्धि हुई है वह मुख्य रूप से अधिक आय वाले देशों के कारण है। उन देशों ने ऊंची कीमत पर अधिक मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात किया है। कीमत बढ़ने से आर्थिक रूप से कमजोर देश ज्यादा प्रभावित हुए हैं। उदाहरण के लिए कम आय वाले देशों का खाद्य आयात बिल पिछले साल के बराबर ही रहने का अनुमान है, जबकि मात्रा के लिहाज से उनका आयात बीते वर्ष की तुलना में 10% कम होगा। इससे पता चलता है कि इन देशों की क्षमता कितनी प्रभावित हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है की खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से चिंताजनक संकेत मिलते हैं। आयात करने वाले देशों के लिए ग्लोबल मार्केट में बढ़ती कीमत पर खाद्य पदार्थ खरीदना मुश्किल हो रहा है। यह इस बात का भी संकेत है कि वे देश संभवतः ऊंची कीमतों के सामने घुटने टेक रहे हैं।
फूड आउटलुक रिपोर्ट में विभिन्न खाद्य पदार्थों के समूह और पैटर्न की जानकारी भी दी गई है। इसमें कहा गया है कि अधिक आय वाले देश हर तरह के खाद्य पदार्थों का आयात कर रहे हैं जबकि विकासशील देशों ने सिर्फ रोजाना इस्तेमाल होने वाले सामान्य खाद्य पदार्थों (स्टेपल फूड) पर ही फोकस किया है। इस संदर्भ में एफएओ ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ की फूड शॉक विंडो का स्वागत किया है। यह कम आय वाले देशों के लिए खाद्य आयात की फाइनेंसिंग के लिए है।
महंगे उर्वरकों और ऊर्जा से कृषि इनपुट आयात 48% ज्यादा
फूड आउटलुक रिपोर्ट में उर्वरकों तथा अन्य आयातित कृषि इनपुट पर दुनिया भर में होने वाले खर्च का आकलन भी किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 2022 में दुनिया भर में इनपुट का आयात 424 अरब डॉलर पहुंच जाने की उम्मीद है। यह 2021 की तुलना में 48% और 2020 के मुकाबले 112% अधिक होगा। इसमें सबसे अधिक वृद्धि ऊर्जा और उर्वरकों के आयात में होगी। ऊर्जा आयात बिल 2021 के 125.2 अरब डॉलर से बढ़कर 197.5 अरब डॉलर और उर्वरकों का 107.5 अरब डॉलर से बढ़कर 168 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है।
खाद्य आयात बिल में ऊर्जा और उर्वरकों का हमेशा बड़ा हिस्सा रहा है। इनके आयात बिल में वृद्धि कम आय और मध्य आय वर्ग के देशों के चालू खाता घाटे को प्रभावित करेगी। इसलिए कुछ देश कृषि इनपुट का आयात घटाने के लिए मजबूर हो सकते हैं। लेकिन इससे उनके यहां उत्पादकता प्रभावित होगी और घरेलू स्तर पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता भी कम होगी। इसलिए एफएओ ने चेतावनी दी है कि वैश्विक कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा का नकारात्मक प्रभाव 2023 में भी जारी रहेगा।
एफएओ साल में दो बार फूड आउटलुक जारी करता है। पहला जून में और दूसरा नवंबर में। इसमें अनाज, तिलहन, चीनी, मीट, डेरी, मछली सबका आकलन किया जाता है। इसके अलावा समुद्री जहाज से माल ढुलाई की दरों का ट्रेंड भी बताया जाता है। इन सभी प्रमुख कमोडिटी की सप्लाई रिकॉर्ड स्तर पर या रिकॉर्ड के करीब है।
गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन, लेकिन स्टॉक रूस और चीन में ही बढ़ेगा
रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 में गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 78.4 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है। कनाडा और रूस में अच्छी फसल के कारण ऐसा होगा। ज्यादा उत्पादन से गेहूं का स्टॉक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा, लेकिन यह स्टॉक मुख्य रूप से चीन और रूस में ही होगा। दुनिया के बाकी देशों में गेहूं के स्टॉक में इस साल 8% गिरावट आने के आसार हैं।
मोटे अनाज की इन्वेंटरी 2013 के बाद सबसे निचले स्तर पर होगी क्योंकि उत्पादन में गिरावट के अनुमान के बाद प्रमुख देशों में पुराने स्टॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वर्ष मोटे अनाज का उत्पादन 2.8% घटकर 146.7 करोड़ टन रहने का अनुमान है। हालांकि चावल उत्पादन हाल के वर्षों के औसत के समान ही रहेगा। एशिया में धान की रोपाई बढ़ी है और अफ्रीका में रिकवरी में सुधार हुआ है। 2022-23 में चावल उत्पादन 51.26 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। यह 2 साल पहले 51.81 करोड़ टन और पिछले साल 52.51 करोड़ टन था।
तिलहन और चीनी का उत्पादन भी बढ़ने का अनुमान
जहां तक तिलहन की बात है तो इसका उत्पादन 2022-23 के मार्केटिंग वर्ष में बढ़कर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इस वर्ष सूरजमुखी के उत्पादन में जो कमी आने का अंदेशा है उसकी भरपाई सोयाबीन और रेपसीड के ज्यादा उत्पादन से हो जाएगी। कुल तिलहन उत्पादन 65.45 करोड़ टन रहेगा। यह 2021-22 के मुकाबले 7% अधिक होगा।
चीनी उत्पादन भी दुनिया में बढ़ने का अनुमान है। इसका एक कारण तो ब्राजील में गन्ने से चीनी की रिकवरी में अच्छी खासी वृद्धि है। दूसरे, चीन और थाइलैंड में ज्यादा क्षेत्र में गन्ने की खेती की गई है। इसके विपरीत चीनी की खपत बढ़ने की दर कम हुई है। 2022-23 में 17.96 करोड़ टन ग्लोबल चीनी उत्पादन का अनुमान है जो पिछले साल से 2.6% अधिक होगा।