डीएपी समेत कॉम्पलेक्स उर्वरकों के दाम 58 फीसदी तक बढ़े, किसानों के लिए बड़ा झटका
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से देश की सबसे बड़ी उर्वरक उत्पादक और विपणन संस्था इफको ने डीएपी और दूसरे विनियंत्रित उर्वरकों की कीमतों में 45 से 58 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। इस कीमत बढ़ोतरी के चलते डीएपी के 50 किलो बैग की कीमत 1200 रुपये से बढ़कर 1900 रुपये हो गई है। जो करीब 58 फीसदी अधिक है।
खरीफ सीजन की शुरुआत के पहले ही किसानों को विनियंत्रित उर्वरकों (गैर यूरिया) की कीमतों में भारी बढ़ोतरी का झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से देश की सबसे बड़ी उर्वरक उत्पादक और विपणन संस्था इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने विनियंत्रित उर्वरकों की कीमतों में 45 से 58 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। इस कीमत बढ़ोतरी के चलते डीएपी के 50 किलो बैग की कीमत 1200 रुपये से बढ़कर 1900 रुपये हो गई है। जो करीब 58 फीसदी अधिक है। हाल के दशकों में उर्वरक कीमतों में यह अभी तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। उर्वरक कीमतों में बढ़ोतरी का यह दबाव आगे भी जारी रह सकता है क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में भारी गिरावट आई है। बुधवार को 1.13 रुपये प्रति डॉलर की यह गिरावट उर्वरक उत्पादक और आयात कंपनियों पर कीमत में बढ़ोतरी का दबाव बना सकती है। इस समय देश में आयातित डीएपी की कीमत बढ़कर 550 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। हालांकि इस कीमत बढ़ोतरी के बीच इफको ने कहा है कि उसके पास 11.26 लाख टन कॉम्प्लेक्स उर्वरकों का पुराना स्टॉक है और उसकी बिक्री पुरानी कीमतों पर ही की जाएगी। इसके साथ ही इफको ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय बाजार में वह कच्चे माल के आपूर्तिकत्ताओं के साथ भी कीमतों को लेकर बातचीत कर रही है।
देश के बडे़ हिस्से में किसानों का आंदोलन चल रहा है। इस कीमत बढ़ोतरी से उनकी नाराजगी बढ़ेगी। वहीं कीमतों में इस बढ़ोतरी का इस समय पश्चिम बंगाल में चल रहे विधान सभा चुनावों में पड़ सकता है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनावों में भी सत्ताधारी भाजपा को किसानों की नाराजगी भुगतनी पड़ सकती है। हालांकि किसानों को अगले दो माह में ही किसानों की उर्वरकों की ज्यादा जरूरत पड़ेगी। उस समय ही वह इस कीमत बढ़ोतरी का झटका महसूस करेंगे।
इफको द्वारा 7 अप्रैल को एक अंतरविभागीय पत्र में विनियंत्रित उर्वरकों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी की जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक 1 अप्रैल से डीएपी की कीमत 1200 रुपये से बढ़कर 1900 रुपये प्रति बैग (50 किलो) , एनपीके 10:26:26 की कीमत 1175 रुपये बढ़कर 1775 रुपये प्रति बैग, एनपीके 12:32:16 की कीमत 1185 रुपये से बढ़कर 1800 रुपये और एनपीएस 20:20:0:13 की कीमत 925 रुपये से बढ़कर 1350 रुपये प्रति बोरी है। वहीं एनपीके 15:15:15 की कीमत 1500 रुपये प्रति बैग होगी।
उर्वरक उद्योग सूत्रों ने रुरल वॉयस को बताया कि पिछले करीब छह माह में अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों और उनके कच्चे माल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस समय देश में डीएपी की आयातित कीमत 550 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। जबकि अक्तूबर, 2020 में यह कीमत 400 डॉलर प्रति टन थी। वहीं कच्चे माल के रूप में उपयोग होने वाली अमोनिया और सल्फर की कीमतें 280 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 500 डॉलर प्रति टन और 85 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 220 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। म्यूरेट ऑफ पोटाश की कीमत 230 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 280 डॉलर प्रति टन और यूरिया की कीमत 275 डॉलर से बढ़कर 380 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं।
इफको ने 8 अप्रैल को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि इफको के पास बकाया 11.26 लाख टन कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के स्टॉक की बिक्री पुरानी दरों पर ही की जाएगी। बाजार में उर्वरकों की नई दरें किसानों को बिक्री के लिए नहीं हैं। इफको द्वारा उर्वरकों की नई कीमतों के जारी करने के तुरंत बाद इस पर किसान संगठनों और राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। साथ ही पश्चिम बंगाल में चल रहे विधान सभा चुनावों में इसे एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया है।
इस प्रतिक्रिया के बीच इफको ने कहा है कि कीमतों में इस बदलाव का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। इनकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रही कच्चे माल की कीमतों से सीधे प्रभावित होती हैं। जहां तक नई दरों की बात है तो वह पहले बकाया 11.26 लाख टन कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के स्टॉक पर लागू नहीं है और किसानों को वह पुरानी कीमतों पर ही उपलब्ध होगा। इफको का कहना है कि कॉम्प्लेक्स उर्वरकों का मूल्य नियंत्रण-मुक्त है इसलिए किसी राजनीतिक दल या किसी सरकार से इसका कोई संबंध नहीं है । कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के लिए इफको द्वारा उल्लिखित मूल्य केवल अस्थायी हैं। कंपनियों द्वारा कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को अभी अंतिम रूप दिया जाना है। कच्चे माल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य में तेजी का रुझान है। विनिर्माण संगठन होने के नाते हमें अपने संयंत्रों द्वारा प्रसंस्कृत नई सामग्री को प्रेषित करने के लिए बैगों पर मूल्य अंकित करना पड़ता है। पत्र में उल्लिखित मूल्य केवल बैगों पर दिखाने के लिए उद्धृत अस्थायी मूल्य है, जो अनिवार्य है। इफको यह सुनिश्चित करता है कि बाजार में पुराने मूल्य पर पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है और इफको विपणन टीम को यह निर्देश दिया गया है कि किसानों को केवल पुराने मूल्ययुक्त पैकशुदा सामान ही बेचे जाएं। हम हमेशा किसानों के सर्वोपरि हित को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लेते हैं। देश में उत्पादित फॉस्फेटिक उर्वरकों में इफकी की 32.1 फीसदी हिस्सेदारी है वहीं नाइट्रोजन उर्वरकों के उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 21.3 फीसदी है। इफको के पास भारत में पांच उर्वरक संयंत्र है । उर्वरक क्षेत्र में इफको देश की सबसे बड़ी और प्रमुख संस्था है।
उर्वरकों की कीमतों में इस बढ़ोतरी का किसानों के बीच सही संदेश नहीं जाएगा। जहां तक दूसरी उर्वरक कंपनियों की बात है तो उन्होंने मार्च में ही कीमतों में इजाफा कर दिया था लेकिन उनकी बढ़ोतरी नई कीमतों से कम रही है। विनियंत्रित उर्वरकों पर सरकार न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के तहत सब्सिडी देती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद अभी तक सरकार ने एनबीएस के रेट तय नहीं किये हैं। अगर सरकार समय रहते एनबीएस की दरों में इजाफा करती तो उर्वरकों की कीमतों में इतनी भारी बढ़ोतरी नहीं होती। इसके पहले डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते किसानों की उत्पादन लागत बढ़ी है। इस स्थिति में सरकार पर खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है। पहले से ही महंगाई दर में हो रही बढ़ोतरी के चलते सरकार पर दबाव रहेगा कि वह कैसे इस मुद्दे पर संतुलन बनाती है। उर्वरक कीमतों में बढ़ोतरी का मुद्दा काफी संवेदनशील है और चुनावों में इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही एलपीजी और पेट्रोलियम कीमतों में भारी बढ़ोतरी को मुद्दा बना रही है।