वनस्पति तेलों के आयात में 21 फीसदी की वृद्धि, पाम ऑयल का बढ़ता आयात घरेलू उद्योग और किसानों को पहुंचा रहा नुकसान
पाम ऑयल के आयात में तेज बढ़ोतरी की वजह से चालू तेल वर्ष 2022-23 के पहले छह महीनों में वेजिटेबल ऑयल का आयात 21 फीसदी बढ़कर 81.10 लाख टन पर पहुंच गया है। तेल वर्ष 2021-22 की इसी अवधि में आयात 67.07 लाख टन रहा। अप्रैल में वेजिटेबल ऑयल का आयात पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 15 फीसदी बढ़कर 10.5 लाख टन हो गया। इसमें खाद्य तेलों के हिस्सेदारी 10.21 लाख टन और गैर-खाद्य तेलों की 28.51 हजार टन रही। अप्रैल 2022 में 9.11 लाख टन वनस्पति तेल का आयात देश में हुआ था। हालांकि, मार्च 2023 की तलुना में यह 10 फीसदी कम है। मार्च में 11.72 लाख टन वनस्पति तेल का आयात हुआ था।
पाम ऑयल के आयात में तेज बढ़ोतरी की वजह से चालू तेल वर्ष 2022-23 के पहले छह महीनों में वेजिटेबल ऑयल का आयात 21 फीसदी बढ़कर 81.10 लाख टन पर पहुंच गया है। तेल वर्ष 2021-22 की इसी अवधि में आयात 67.07 लाख टन रहा। तेल वर्ष नवंबर से अक्टूबर तक चलता है। बढ़ते आयात की वजह से घरेलू तेल उद्योग और किसानों को नुकसान हो रहा है। तेल उद्योग जहां अपनी रिफाइनिंग क्षमता का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है और सिर्फ पैकर्स बन कर रह गया है, वहीं तिलहन फसलों का घरेलू भाव इससे प्रभावित हो रहा है जिससे किसानों को उनकी उपज की सही कीमत नहीं मिल पा रही है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा वेजिटेबल ऑयल इम्पोर्टर है। अप्रैल में वेजिटेबल ऑयल का आयात पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 15 फीसदी बढ़कर 10.5 लाख टन हो गया। इसमें खाद्य तेलों के हिस्सेदारी 10.21 लाख टन और गैर-खाद्य तेलों की 28.51 हजार टन रही। अप्रैल 2022 में 9.11 लाख टन वनस्पति तेल का आयात देश में हुआ था। हालांकि, मार्च 2023 की तलुना में यह 10 फीसदी कम है। मार्च में 11.72 लाख टन वनस्पति तेल का आयात हुआ था। खाद्य तेलों के संगठन सॉल्वेंट एक्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) की ओर से शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
एसईए के बयान के मुताबिक, "मौजूदा तेल वर्ष के पहले छह महीनों में आरबीडी पामोलिन के आयात में 11.01 लाख टन की वृद्धि हुई है जो कुल पाम तेल आयात का लगभग 22 फीसदी है। घरेलू तेल उद्योग के लिए यह बहुत बड़ी चिंता का कारण है क्योंकि इसकी वजह से वे अपनी रिफाइनिंग क्षमता का बहुत कम इस्तेमाल कर पा रहे हैं। घरेलू उद्योग केवल पैकर्स में तब्दील हो रहा है।"
इस समस्या का समाधान करने के लिए एसईए ने कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और रिफाइंड पाम तेल (आरबीडी) के बीच शुल्क अंतर को मौजूदा 7.5 फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 15 फीसदी करने की मांग की है। एसईए ने कहा है कि आरबीडी पामोलीन पर अतिरिक्त 7.5 फीसदी कृषि उपकर लगाया जाना चाहिए। आरबीडी पामोलिन के आयात में वृद्धि के कारण कुल वनस्पति तेल आयात में पाम तेल का हिस्सा 49 फीसदी से बढ़कर 61 फीसदी हो गया है। जबकि सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का आयात चालू तेल वर्ष के पहले छह महीनों में कम हो गया है।
नवंबर-अप्रैल के दौरान कच्चे और रिफाइंड पाम तेल दोनों का आयात पिछले तेल वर्ष की इसी अवधि के 32.25 लाख टन से बढ़कर 49.09 लाख टन हो गया है। एसईए ने कहा है कि सूरजमुखी और सोयाबीन तेलों का कुल आयात चालू तेल वर्ष की पहली छमाही में भले ही कम होक 30.92 लाख टन रहा है लेकिन इन दोनों तेलों के आयात में तेज उछाल आया है।
1 मई तक विभिन्न बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का स्टॉक 33.74 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले महीने के 34.47 लाख टन से थोड़ा कम है। भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम ऑयल का आयात करता है। जबकि अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल का और रूस व यूक्रेन से सूरजमुखी तेल आयात करता है।