लाल बहादुर शास्त्री की पहल ने अनाज उत्पादन में भारत को बनाया आत्मनिर्भरः नरेंद्र तोमर
1965 में खाद्यान्न संकट के समय उन्होंने न केवल अपने सरकारी आवास पर खेती की, बल्कि 'जय जवान, जय किसान' के नारे के साथ देश के किसानों का आह्वान भी किया ताकि एक देश के रूप में हम आत्मनिर्भर बनें और कभी दूसरों पर निर्भर न रहना पड़े।
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री आवास पर खेती करने की पहल ने भारतीय किसानों को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया था। 1965 में खाद्यान्न संकट के समय उन्होंने न केवल अपने सरकारी आवास पर खेती की, बल्कि 'जय जवान, जय किसान' के नारे के साथ देश के किसानों का आह्वान भी किया ताकि एक देश के रूप में हम आत्मनिर्भर बनें और कभी दूसरों पर निर्भर न रहना पड़े। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर ने विश्व जल दिवस पर धानुका समूह द्वारा आयोजित कार्यक्रम में लालबहादुर शास्त्री को याद करते हुए यह बात कही।
नरेंद्र तोमर ने कहा कि शास्त्री जी ने अपना पूरा जीवन किसानों के कल्याण और प्रगति के लिए समर्पित कर दिया। यदि भारत आज खाद्यान्न में आत्मनिर्भर है तो इसका बहुत बड़ा श्रेय शास्त्री जी को जाता है। शास्त्री जी की तरह आज लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अनुसरण करते हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कैसे लोगों ने पीएम के आह्वान पर गैस सब्सिडी छोड़ दी। इस मौके पर तोमर ने लाल बहादुर शास्त्री के पोट्रेट और उनके पौत्र संजय नाथ सिंह द्वारा उनके जीवन पर लिखी गई एक पुस्तिका का भी अनावरण किया। पोट्रेट पर 'जय जवान जय किसान' का नारा अंकित है। इसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदन सहित संसद के सभी सदस्यों को दिया जाएगा।
इससे पहले आईसीएआर-आईएआरआई के संयुक्त निदेशक डॉ. रवींद्र नाथ पदारिया, धानुका समूह के चेयरमैन आरजी अग्रवाल और अखिल भारतीय किसान संघ के कार्यकारी अध्यक्ष और शास्त्री जी के पोते संजय नाथ सिंह ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जल संरक्षण के महत्व के बारे में बताया। आरजी अग्रवाल ने कहा, “अनुमान के मुताबिक देश में कृषि कार्यों के लिए 70-80 फीसदी पानी का उपयोग किया जाता है। लगातार घटते भूजल स्तर को देखते हुए पारंपरिक सिंचाई तकनीक की बजाय ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इस तरह की सटीक सिंचाई प्रणाली ने 60 फीसदी से अधिक बंजर भूमि वाले इजराइल जैसे देश को बेहतर गुणवत्ता और ज्यादा उपज वाली फसलों का उत्पादन करने वाले देश के रूप में फलने-फूलने में सक्षम बनाया है। हमें भी इसे बड़े पैमाने पर अपनाने की जरूरत है ताकि फसल की गुणवत्ता, उत्पादन और मुनाफे में वृद्धि के साथ-साथ पानी की बचत की जा सके।”
डॉ. रवींद्र नाथ पदारिया ने कहा, “पिछले 30 वर्षों में हमारे फसल पैटर्न, खेती की तकनीक और हमारी प्राथमिकताएं पानी को लेकर बदल गई हैं। दृष्टिकोण में और सुधार की आवश्यकता है और फसल पैटर्न को बदलने का समय आ गया है। इससे किसानों सहित सभी हितधारकों को लाभ होगा।”
धानुका समूह एक दशक से अधिक समय से कृषि और अन्य आर्थिक गतिविधियों में पानी के सतत उपयोग को बढ़ावा देने और जागरूकता फैलाने में आगे रहा है। समूह अपने प्रमुख अभियान "खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में" के माध्यम से जल संरक्षण पर शिक्षित और जागरूकता फैला रहा है। कंपनी ने बारिश के पानी के संरक्षण के लिए राजस्थान के सीकर जिले के जुगलपुरा, देवीपुरा, मैनपुरकी ढाणी और संकोत्रा (जयपुर) में चेक डैम के निर्माण के लिए आर्थिक मदद दी है। ये डैम अब पूरी तरह से चालू हैं और बारिश के पानी से भरे हुए हैं।