डीएपी कीमतों की कुंजी मोरक्को के ओसीपी ग्रुप के पास, उर्वरक के निर्यात बाजार में चीन की वापसी
पिछले दिनों भारतीय कंपनियों ने कुछ आयात किया भी है लेकिन यह मात्रा एक लाख टन से कम ही है। भारत सरकार ने कंपनियों को 920 डॉलर प्रति टन या उससे कम कीमत पर ही डीएपी आयात की सलाह दे रखी है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में अब भी डीएपी की कीमत एक हजार डॉलर प्रति टन से अधिक चल रही है
विनियंत्रित उर्वरकों में सबसे अधिक खपत वाले उर्वरक डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतों और उपलब्धता के मोर्चे पर अभी सरकार को कोई बड़ी राहत मिलती नहीं दिख रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने डिप्लोमेटिक रिश्तों का उपयोग करते हुए कुछ आयात की व्यवस्था सऊदी अरब और रूस से की है। पिछले दिनों भारतीय कंपनियों ने कुछ आयात किया भी है लेकिन यह मात्रा एक लाख टन से कम ही है। भारत सरकार ने कंपनियों को 920 डॉलर प्रति टन या उससे कम कीमत पर ही डीएपी आयात की सलाह दे रखी है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में अब भी डीएपी की कीमत एक हजार डॉलर प्रति टन से अधिक चल रही है। हालांकि बांग्लादेश के एक टेंडर में चीन की शिरकत से इस बात के संकेत हैं कि चीन निर्यात बाजार में प्रवेश कर रहा है। लेकिन रॉक फॉस्फेट खनन, फॉस्फोरिक एसिड और उर्वरक उत्पादन करने वाली मोरक्को की सरकारी कंपनी ओसीपी ग्रुप डीएपी के कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड की कीमत 1530 डॉलर से नीचे नहीं कर रही है। साथ ही जून का महीना समाप्त होने को है लेकिन अभी तक ओसीपी ने अप्रैल से जून की तिमाही के लिए डीएपी और फॉस्फोरिक एसिड की कीमत घोषित नहीं की है। अभी तक केवल 1530 डॉलर की प्रोविजनल कीमत पर ही फॉस्फोरिक एसिड के सौदे हो रहे हैं जिनकी अंतिम कीमत ओसीपी की तरफ से कीमत घोषणा के बाद ही तय होगी।
उर्वरक उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ओसीपी ने जनवरी से मार्च तिमाही के लिए 1530 डॉलर प्रति टन की कीमत तय की थी। लेकिन अप्रैल से जून की तिमाही के लिए कीमत तय नहीं की है। विश्व में फॉस्फेटिक उर्वरकों के कच्चे माल का 70 से 75 फीसदी रिजर्व मोरक्को में है और वहां की सरकारी कंपनी ओसीपी ग्रुप ही वैश्विक कीमतों की दिशा तय करती है। बाकी रिजर्व रूस, जार्डन, सऊदी अरब और चीन में हैं। पिछले करीब डेढ़ माह से ओसीपी ने भारत के साथ कोई नया कांट्रैक्ट नहीं किया है। भारत में पारादीप फॉस्फेट्स लिमिटेड (पीपीएल) के साथ उसका संयुक्त उद्यम भी है।
वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत 1025 से 1030 डॉलर के बीच चल रही है। पिछले दिनों बांग्लादेश के टेंडर में चीन ने हिस्सेदारी की और इसके लिए 1019 से 1040 डॉलर तक की बोली आई। पाकिस्तान ने भी कुछ डीएपी आयात किया है। यह आयात सऊदी उर्वरक कंपनी माडेन से हुआ है और उसकी कीमत 1030 डॉलर प्रति टन रही है।
एक निजी भारतीय कंपनी ने एक टेंडर निकाला है जिसमें 900 डॉलर प्रति टन तक की कीमत पर आयात सौदे की बात है, लेकिन अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। भारत के लिए राहत की बात है कि चीन डीएपी निर्यात शुरू करने के संकेत दे रहा है। चीन द्वारा पिछले साल डीएपी निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के पहले भारत सालाना करीब 30 लाख टन डीएपी चीन से खरीदता रहा है।
जहां तक घरेलू बाजार में डीएपी की उपलब्धता की बात है तो इसका संकट पिछले साल खरीफ सीजन में शुरू हुआ था जब कंपनियों ने अप्रैल, 2021 में डीएपी की खुदरा कीमत 1200 रुपये प्रति बैग (50 किलो) से बढ़ाकर 1800 रुपये कर दी थी, लेकिन सरकार ने मई में सब्सिडी बढ़ाकर इसकी कीमत 1200 रुपये करा दी थी। उसके बाद रबी सीजन में डीएपी की उपलब्धता का संकट पैदा हुआ और सरकार ने एक बार फिर डीएपी और कॉम्प्लेक्स उर्वरक एनपीके के कुछ वेरियंट पर सब्सिडी बढ़ा दी थी। लेकिन वैश्विक बाजार में कीमत वृद्धि का दौर जारी रहा है और सरकार को इस साल एक बार फिर डीएपी पर सब्सिडी में बढ़ोतरी करनी पड़ी। हालांकि कंपनियों ने डीएपी की कीमत 1200 रुपये से बढ़ाकर 1350 रुपये प्रति बैग कर दी। एमओपी और कॉम्पलेक्स उर्वरकों की कीमतों में भी बढ़ोतरी की गई। एनपीके के कुछ वेरिएंट को उर्वरक कंपनियां 1800 रुपये प्रति बैग तक बेच रही हैं।
जहां तक उपलब्धता का सवाल है, तो अब खरीफ सीजन की पीक मांग शुरू होने वाली है। सरकार का कहना है कि देश में खरीफ सीजन की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है। वहीं उर्वरक कंपनियों के सूत्रों का भी कहना है कि खरीफ में उपलब्धता की दिक्कत नहीं आयेगी। खरीफ सीजन में करीब 40 लाख टन डीएपी की खपत होती है। लेकिन वैश्विक बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए लगता है कि सरकार को कोई बड़ी राहत कीमतों के मोर्चे पर शायद ही मिले। सरकार ने उर्वरक कंपनियों के लिए 920 डॉलर प्रति टन का अधिकतम आयात मूल्य तय कर रखा है और कंपनियों को इस कीमत पर या इससे कम पर ही आयात करना है।