यूएसडीए का भारत में रिकॉर्ड चावल उत्पादन का अनुमान, कपास का क्षेत्र घटा

यूएसडीए के अनुसार, इस साल भारत में धान की बुवाई का क्षेत्र रिकॉर्ड 4.85 करोड़ हेक्टेअर तक पहुंच सकता है जो पिछले साल के मुकाबले करीब दो फीसदी अधिक है। देश में धान की पैदावार 4.30 टन प्रति हेक्टर रहने का अनुमान है।

यूएसडीए का भारत में रिकॉर्ड चावल उत्पादन का अनुमान, कपास का क्षेत्र घटा

अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने वर्ष 2024-25 के लिए भारत में रिकॉर्ड 13.90 करोड़ टन चावल उत्पादन का अनुमान लगाया है। यूएसडीए के नवीनतम विश्व कृषि उत्पादन अनुमान के अनुसार, भारत में चालू खरीफ सीजन में धान का रकबा बढ़ा है। साथ ही मानसून में अधिक बारिश के कारण जलाशयों का स्तर ऊंचा हो गया है जिससे रबी सीजन के लिए अच्छी संभावना है। वर्ष 2023-24 में भारत में 13.67 करोड़ टन चावल उत्पादन हुआ था जो एक रिकॉर्ड था।

यूएसडीए के अनुसार, इस साल भारत में धान की बुवाई का क्षेत्र रिकॉर्ड 4.85 करोड़ हेक्टेअर तक पहुंच सकता है जो पिछले साल के मुकाबले करीब दो फीसदी अधिक है। देश में धान की पैदावार 4.30 टन प्रति हेक्टर रहने का अनुमान है। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की ओर से 30 अगस्त तक आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सीजन में धान की बुवाई का क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले करीब 4 फीसदी बढ़कर 4.08 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंच गया था जो खरीफ धान की बुवाई के सामान्य क्षेत्र (पांच साल के औसत क्षेत्र) 4.01 करोड़ हेक्टेयर से भी अधिक है। 

पिछले साल मानसून सीजन के दौरान कम बारिश को देखते हुए केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात पर पाबंदियां लगा दी थी। इस साल धान की बुवाई और चावल उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह बासमती निर्यात पर लागू 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य हटा दिया है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस धान की अच्छी फसल को देखते हुए सरकार गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगी पाबंदी भी हटा सकती है। 

कपास उत्पादन में आएगी गिरावट 

धान की बुवाई में बढ़ोतरी के पीछे किसानों के कपास छोडकर धान की खेती  शुरू करने को भी वजह माना जा रहा है। कपास की तुलना में अधिक पैदावार की संभावना तथा कम लागत के कारण भारत के किसान चावल की खेती की ओर आकर्षित हुए है। इसके अलावा, प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में अधिक बारिश के चलते धान की बुवाई बढ़ी है। खासकर पूर्वी राज्यों में पिछले साल की तुलना में बेहतर मानसून वर्षा हुई है।

यूएसडीए की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024-25 में भारत का कपास उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 7 फीसदी घटकर 2.4 करोड़ बेल्स (480 पाउंड) रहने का अनुमान है। कपास की बुवाई का क्षेत्र गत वर्ष के मुकाबले 7 फीसदी घटकर 1.18 करोड़ हेक्टयर रह सकता है जबकि कपास की पैदावार पिछले साल से थोड़ी अधिक 443 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहेगी। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के 30 अगस्त तक जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सीजन में कपास की बुवाई का क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले लगभग 9 फीसदी घटकर 1.12 करोड़ हेक्टेयर रह गया है।    

यूएसडीए की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कपास का क्षेत्र घटने के पीछे किसानों के अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की ओर रुख करना और कपास उत्पादक इलाकों में अत्यधिक गर्मी प्रमुख वजह हैं। मध्य कपास क्षेत्र गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना में कपास की बुआई कम हुई है। वहां किसानों ने चावल, सोयाबीन और मूंगफली की बुआई शुरू कर दी है। खरीफ सीजन की शुरुआत में उत्तरी कपास क्षेत्रों में मानसून से पहले तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जिसका असर बुवाई पर पड़ा। परिणामस्वरूप, उत्तरी कपास क्षेत्र की बुवाई में 35 प्रतिशत तक की कमी आई है। 

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