चीनी निर्यात पर प्रतिबंध, अधिसूचना जल्द, उत्पादन में 32 लाख टन गिरावट का अनुमान
चालू सीजन (2022-23) में चीनी के उत्पादन में 32 लाख टन की गिरावट के चलते कीमतों में तेजी की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला ले लिया है। इस संबंध में अधिसूचना जल्द ही जारी हो सकती है। रूरल वॉयस के सूत्रों के मुताबिक 27 अप्रैल को मंत्रियों की समिति (सीओएम) ने देश में चीनी के उत्पादन, इसकी उपलब्धता और कीमतों में बढ़ोतरी की समीक्षा के बाद तय किया कि चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। इस संबंध में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री को प्रस्ताव को मंजूरी देने की सलाह दी गई है। सूत्रों के मुताबिक समिति ने तय किया है कि चीनी मिलों से निर्यात के लिए चीनी के डिस्पैच पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी जाए।
चालू सीजन (2022-23) में चीनी के उत्पादन में 32 लाख टन की गिरावट के चलते कीमतों में तेजी की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला ले लिया है। इस संबंध में अधिसूचना जल्द ही जारी हो सकती है। रूरल वॉयस के सूत्रों के मुताबिक 27 अप्रैल को मंत्रियों की समिति (सीओएम) ने देश में चीनी के उत्पादन, इसकी उपलब्धता और कीमतों में बढ़ोतरी की समीक्षा के बाद तय किया कि चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है।
इस संबंध में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री को प्रस्ताव को मंजूरी देने की सलाह दी गई है। सूत्रों के मुताबिक समिति ने तय किया है कि चीनी मिलों से निर्यात के लिए चीनी के डिस्पैच पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी जाए। सूत्रों ने रूरल वॉयस को बताया कि मंत्रियों की समिति से पहले 24 अप्रैल को सचिवों की समिति की इस मुद्दे पर बैठक हुई थी।
सरकारी अनुमानों में चालू पेराई सीजन (2022-23) में 327 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। जबकि पिछले साल (2021-22) 359 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 1 नवंबर, 2022 से 25 अप्रैल, 2023 तक चीनी मिलों ने निर्यात के लिए 58.04 लाख टन चीनी के डिस्पैच की जानकारी सरकार को दी है। मंत्रियों की समिति को जानकारी दी गई कि पिछले एक माह में घरेलू बाजार में चीनी की एक्स-मिल कीमतों में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उत्पादन में कमी को देखते हुए बाजार सेंटीमेंट प्रभावित हुआ है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में बहुत अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई है। लेकिन चीनी की कीमत में यह वृद्धि महंगाई दर पर असर डाल सकती है जिसके चलते किफायती दाम पर कमजोर वर्ग तक चीनी की पहुंच प्रभावित हो सकती है। देश में किफायती कीमतों पर चीनी की उपलब्धता को बरकरार रखने के लिए निर्यात के चीनी के डिस्पैच पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है।
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इसके मद्देनजर उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री को चीनी मिलों से निर्यात के लिए चीनी के डिस्पैच पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने की सिफारिश की गई है। उद्योग सूत्रों के मुताबिक चालू साल में सरकार को 327 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है। चालू साल के शुरू में चीनी का बकाया स्टॉक 70 लाख टन था। वहीं इस सीजन के लिए सरकार ने 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी। देश में चीनी की सालाना खपत 275 लाख टन है। ऐसे में चालू सीजन के अंत में देश में करीब 62 लाख टन चीनी का स्टॉक ही उपलब्ध होगा जो करीब ढाई माह की घरेलू जरूरत के बराबर है। पिछले साल देश से 110 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था जो एक रिकॉर्ड था।
चीनी उद्योग के एक सूत्र ने रूरल वॉयस को बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की बेहतर कीमतों के चलते भारत से निर्यात में पिछले साल भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। चालू साल के लिए सरकार ने 60 लाख टन की निर्यात सीमा तय की थी। वहीं उत्पादन में गिरावट को देखते हुए निर्यात पर प्रतिबंध की स्थिति बनी है। इस साल 9 राज्यों में विधान सभा चुनाव हैं और उसके बाद 2024 में आम चुनाव होने हैं। सरकार नहीं चाहती है कि चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी को राजनीतिक मुद्दा बनने देने का जोखिम मोल लिया जाए। इसे देखते हुए ही निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का कदम उठाया जा रहा है ताकि उत्पादन में गिरावट के चलते देश में चीनी की कीमतों में तेजी का माहौल न बन सके। हालांकि चालू साल के लिए निर्धारित कोटा में से अधिकांश चीनी निर्यात हो चुकी है लेकिन करीब दो लाख टन चीनी अभी सरकार के रिकॉर्ड में निर्यात के लिए डिस्पैच नहीं हुई है। उसका निर्यात सरकार के इस फैसले से प्रभावित हो सकता है।
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चीनी निर्यात के आंकड़ों के मुताबिक, चालू साल में 8 अप्रैल, 2023 तक भारत से सबसे अधिक 6.31 लाख टन चीनी का निर्यात बांग्लादेश को हुआ है। वहीं दूसरे बड़े आयातकों में दिजीबुती, इराक, सोमालिया, सूडान, इंडोनेशिया, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, सऊदी अरब, लीबिया, अफगानिस्तान, कैमरून और जॉर्डन प्रमुख हैं।