कलगुडी के कुबेर किसानों और छोटे व्यवसायियों को बना रहे हैं आर्थिक रूप से सशक्त

कृषि-डिजिटल समाधान कंपनी कलगुडी उद्यमियों, उत्साही किसानों और ग्रामीण युवाओं को कृषि इनपुट और आउटपुट मार्केटप्लेस के जरिए आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में काम कर रही है। इस कंपनी ने कृषि और ग्रामीण आजीविका क्षेत्रों के लिए एक सामाजिक वाणिज्य आईटी प्लेटफार्म 'कुबेर' विकसित किया है। यह छोटे व्यवसायियों और व्यक्तियों को अपने सामाजिक चैनलों के माध्यम से अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद करती है

कलगुडी के कुबेर किसानों और छोटे व्यवसायियों को बना रहे हैं  आर्थिक रूप से सशक्त

हैदराबाद

हैदराबाद की कृषि-डिजिटल समाधान कंपनी कलगुडी उद्यमियों, उत्साही किसानों और ग्रामीण युवाओं को कृषि इनपुट और आउटपुट मार्केटप्लेस के जरिए आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में काम कर रही है। इस कंपनी ने कृषि और ग्रामीण आजीविका क्षेत्रों के लिए एक सामाजिक वाणिज्य आईटी प्लेटफार्म 'कुबेर' विकसित किया है। यह छोटे व्यवसायियों और व्यक्तियों को अपने सामाजिक चैनलों के माध्यम से अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद करती है। हाल ही में हैदराबाद में आयोजित एग्री बिज़नेस समिट एंड एग्री अवार्डस, 2021 के आयोजन के दौरान इस एप को लांच किया गया।   

कुबेर कैसे काम करता है

किसान कड़ी मेहनत कर विभिन्न प्रकार के कृषि उत्पादों का उत्पादन करता हैं। लेकिन उनको अपने उत्पादन का उचित मूल्य हासिल करने के लिए सप्लाई चैन के आखिरी पड़ाव  तक पहुंचने में कई मुद्दों और परेशानी का सामना करना पड़ता है। कलगुडी कंपनी के संस्थापक राज वल्लभनेनी कहते हैं कि कुबेर इस समस्या के समाधान के समाधान के लिए ही काम आता है। यह महत्वाकांक्षी ग्रामीण युवाओं और छोटे व्यवसाइयों को सशक्त बनाने और किसानों की परेशानी को हल करने का एक प्रयास है।

सबसे पहले ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है जिन्हें कलगुडी कुबेर कहा जाता है। इसके बाद ग्रामीण युवा कलगुडी प्लेटफार्म के ज़रिए किसानों  के समाजिक संबंधों का उपयोग करके किसानों को सही सुझाव देता है ताकि कमियों को दूर किया जा सके।

कलगुडी का सबसे पहला उद्देश्य यह होता है कि कुबेरों को कृषि उत्पादों के बारे में उचित शिक्षा देकर सक्षम बनाया जाए। उसके बाद सामाजिक नेटवर्क  का उपयोग करके उस क्षेत्र में लाए जा सकने वाले  संभावित उत्पादों का पता लगाया जाता है। उनका इस्तेमाल किन फसलों के लिए किया जा सकता है और उनके अपयोग से कैसे नतीजे मिलते है, इसका भी अध्ययन किया जाता है।  कलगुडी कुबेरों को किसानो से  प्रभावी तरीके से जुड़ने मे मदद भी करता है ।

इसके बाद संभावित बाजार की प्रतिस्पर्धा को पहचान कर कुबेर सप्लाई चेन के खरीददार और किसान के बीच व्हाट्सएप या अन्य माध्यमों जरिए उत्पाद के बारे में जानकारी और कीमत साझा करता है । सप्लाई चेन के आखिरी पड़ाव में खरीददार की सहमति मिल जाने के बाद उत्पाद को डिलीवरी करेगा । जिस कीमत पर कुबेर ने उत्पाद सप्लाई चेन के आखिरी पड़ाव वाले उपभोक्ता को बेचा है किसान की उस कीमत में कुबेर मार्जिन शामिल है, लेकिन यह अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तक सीमित है ।

वल्लभनेनी कहते हैं, "कलगुडी, जो एक मूल संगठन है, पहले से ही डिजिटल मार्केटप्लेस के माध्यम से कृषि इनपुट बी2बी (एफपीओ या बड़े किसानों को बिक्री) के साथ काम करता है। कुबेर के किसी भी थोक ऑर्डर को हमारी बी2बी प्रक्रियाओं के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।"

2018 में लॉन्च किए गए कलगुडी प्लेटफॉर्म में देश भर के लाखों किसान जुड़े हुए हैं। कलगुडी मुख्य रूप से तेलंगाना, आंध्र प्रदेशऔर कर्नाटक में काम कर रही है। आने वाले समय में इसकी देश भर में कलगुडी का विस्तार करने की योजना है। राज वल्लभनेनी कहते हैं, "ग्रामीण भारत के हर उत्पाद की एक कहानी है और हम यह सुनिश्चित करते हैं कि यह सब हमारे प्लेटफार्म के अंदर आ जाए ।

कलगुडी एक फ्री प्लेटफॉर्म है जिसका इस्तेमाल कृषि संबंधित नई पहल करने के लिए किया जा सकता है। इस ऐप को मोबाइल और वेब ब्राउज़र के माध्यम से उपयोग कर सकते हैं । यह ऐप खेती से जुडे़ सुझाव देता है और किसानो को बाजार से जुड़ने मे भी मदद करता है। वर्तमान समय मे कलगुडी आईसीआरआईएसएटी (इक्रीसेट) और  सीसीजी के साथ उनके कृषि विस्तार के कार्यक्रमों से भी जुड़ी हुई है ।  

इसके अलावा कंपनी ने कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी)  के प्रबंधन के लिए आईएग्रीमार्क (IAgriMarC) नाम से एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है जिसका उद्देश्य कृषि उपज विपणन समिति की मंडियो के गेट–टू-गेट  संचालन और राज्यों की सभी मंडियो को जोडना ।

मंडी संचालन के लिए इस सॉफ्टवेयर को कर्नाटक कृषि मार्केटिंग विभाग मे 2009-2017 के दौरान डिजाइन और संचालित किया गया था। वल्लभनेनी का दावा है कि इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से 45 हजार से भी ज्यादा व्यापारियों और दस लाख से ज्यादा किसानों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा हुआ है ।

(एम. सोमशेखर, हैदराबाद के स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह डेवपलमेंट से संबंधित मुद्दों, साइंस और बिजनेस पर लिखते हैं )

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