खतौली विधानसभा उपचुनाव में 2018 के कैराना लोक सभा सीट के उप चुनाव की झलक
विपक्ष के बड़े नेताओं का कहना है कि 2024 के लोक सभा चुनावों के पहले अगर यह सीट हम जीत लेते हैं तो हम पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नया राजनीतिक माहौल बनाने में कामयाब हो जाएंगे। वहीं भाजपा किसी भी कीमत पर यह सीट खोना नहीं चाहती क्योंकि यहां हार से गलत संदेश जाएगा। यही वजह है कि इसको लेकर पार्टी और स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान दिन-रात एक किए हुए हैं। ऐसे में मुकाबला उम्मीदवारों के बीच कम और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन और भाजपा के बीच अधिक हो गया है
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन के अंतिम कुछ घंटों में केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री संजीव बालियान बिना किसी तामझाम के फुलत, पलड़ी, याहियापुर, खेड़ी कुरैश जैसे गावों में मतदाताओं के बीच भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार राजकुमारी सैनी को जिताने के लिए जन संपर्क करते हैं। इन गावों का अंतिम दिन ही प्रचार के लिए चुनाव क्यों, इस सवाल पर वह कहते हैं कि इन गांवों में एक खास समानता है। वह है यहां दलित व मुस्लिम मतदाताओं का बाहुल्य। रूरल वॉयस के सवाल पर वह आगे कहते हैं, हमारी कोशिश है कि जो वोट परंपरागत भाजपा का नहीं है उसके एक बड़े हिस्से को जोड़ा जाए। पिछले करीब 15 दिन से वह इसी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं।
दूसरी ओर संयुक्त विपक्ष के रूप में यहां से राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार मदन भैया चुनाव लड़ रहे हैं। राष्ट्रीय लोक दल इस सीट को जीतने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने दस दिन से अधिक समय इस विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए लगाया। विधानसभा के लगभग सभी 70 गांवों में वह मतदाताओं तक पहुंचे। जयंत चौधरी के राजनीतिक जीवन में किसी एक विधानसभा के लिए इतना सघन प्रचार करने का यह पहला उदाहरण है। इस बारे में रूरल वॉयस के साथ बात करते हुए वह कहते हैं कि यह चुनाव राष्ट्रीय लोक दल और विपक्ष के लिए बहुत अहम है। इस सीट को जीतने में हम अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं।
भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत पार्टी के अनेक पदाधिकारी और मंत्री लगातार मतदाताओं के बीच पहुंचे। भूपेंद्र चौैधरी तो 3 दिसंबर को प्रचार के अंतिम दिन कई सभाएं करने के लिए यहां आए। इसी में एक सभा जंधेड़ी गांव में हुई जिसको लेकर राष्ट्रीय लोक दल ने आरोप लगाया कि यह सभा चुनाव प्रचार की निर्धारित अवधि के बाद की गई। इस संबंध में जयंत चौधरी ने कहा कि हम इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करेंगे। उनका आरोप है कि भूपेंद्र चौधरी 5 बजकर 45 दिन मिनट पर भी चुनाव प्रचार कर रहे थे जबकि चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक चुनाव प्रचार शाम पांच बजे बंद हो गया था।
असल में यहां के समीकरण बड़े अहम हैं। खतौली विधानसभा सीट मुजफ्फरनगर लोक सभा सीट का हिस्सा है। इस समय मुजफ्फरनगर लोक सभा सीट में आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से तीन सीटें चरथावल, बुढ़ाना और मीरापुर विपक्ष के पास हैं। बुढ़ाना और मीरापुर राष्ट्रीय लोक दल के पास हैं जबकि चरथावल समाजवादी पार्टी के पास। मुजफ्फरनगर सीट भाजपा के पास है और खतौली सीट पर भाजपा के जीते हुए विधायक विक्रम सैनी को मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगों के एक मामले में सजा होने के चलते विधायकी गंवानी पड़ी है। उसी के चलते यहां उप चुनाव हो रहा है। भाजपा ने विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को टिकट दिया है। राष्ट्रीय लोक दल ने मदन भैया को टिकट दिया है जो गाजियाबाद के लोनी से एक बार विधायक रहे और 2022 के विधानसभा चुनाव में उस सीट से ही हार गये थे।
राष्ट्रीय लोक दल 90 हजार से अधिक मुस्लिम, करीब 22 हजार गूजर व करीब 25 हजार जाट मतों को जीत का आधार मान रहा है। जबकि भाजपा अपने परंपरागत मतों के आधार पर जीत की उम्मीद बनाए हुए है। लेकिन यहां के चुनाव को करीब से देखने वाले लोगों की मानें तो फैसला करीब 45 हजार दलित मतदाताओं के रुख से होगा। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उप चुनाव नहीं लड़ रही है। ऐसे में भाजपा नेताओं का कहना है यह मत भाजपा को मिलेंगे क्योंकि मायावती सपा गठबंधन को भाजपा से बड़ा दुश्मन मानती है। दलित मतदाता बसपा का परंपरागत वोट हैं। इसी साल फरवरी में हए विधानसभा चुनावों में बसपा की कम सक्रियता के आधार पर विश्लेषकों का मत रहा है कि बड़े पैमाने पर दलित मत भाजपा को मिले थे।
विपक्ष भी इन मतों की अहमियत समझ रहा है। राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन ने यहां आम समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर को अपने साथ ले लिया है। चंद्रशेखर और जयंत चौधरी ने संयुक्त रैली भी की, साथ ही साथ जनसंपर्क भी किया। इसलिए राष्ट्रीय लोक दल का दावा है कि दलित मतों का बड़ा हिस्सा उसे मिलने जा रहा है। पिछले चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल के परंपरागत जाट मतों का एक बड़ा हिस्सा भाजपा को गया था, लेकिन इस बार लोक दल का दावा है कि अधिकांश जाट मत उसे मिलेंगे। इसके लिए उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने जमीनी स्तर पर प्रचार में बहुत मशक्कत की है।
जहां तक उम्मीदवारों की बात है तो दोनों उम्मीदवारों की बजाय उनकी पार्टी के बड़े नेता खुद के लिए वोट मांग रहे हैं। विक्रम सैनी के विवादित बयानों को लेकर लोगों में भारी नाराजगी है और अब उनकी पत्नी चुनाव लड़ रही हैं तो यह नाराजगी बरकरार है। यह चुनाव प्रचार के समय दिख जाती है। वहीं मदन भैया को बाहरी होने के साथ उनकी बाहुबली छवि को भी उनके विरोध में इस्तेमाल किया जा रहा है। राष्ट्रीय लोक दल यहां गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) की अभी तक घोषणा नहीं किये जाने को किसानों के बीच मुद्दा बना रहा है। वह कह रहा है कि पांच तारीख को भाजपा के खिलाफ वोट कर किसान सरकार को चेतावनी दे देगा। संजीव बालियान कहते हैं इस सीट पर खतौली और मंसूरपुर चीनी मिलें हैं और दोनों का भुगतान बहुत बेहतर हैं। इसलिए समय से भुगतान मिलने के चलते किसान को राहत है।
मई 2018 में कैराना लोक सभा उप चुनाव एक बड़ी राजनीतिक हलचल में बदल गया था। 2019 के आम चुनावों से करीब एक साल पहले उस उपचुनाव में भारी राजनीतिक जोर आजमाइश के बीच लोकदल ने जीत दर्ज की थी। राष्ट्रीय लोक दल और विपक्ष खतौली विधान सभा सीट के उप चुनाव को उसी रणनीति के तहत लड़ रहा है। इसके बड़े नेताओं का कहना है कि 2024 के लोक सभा चुनावों के पहले अगर यह सीट हम जीत लेते हैं तो हम पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नया राजनीतिक माहौल बनाने में कामयाब हो जाएंगे। वहीं भाजपा किसी भी कीमत पर यह सीट खोना नहीं चाहती क्योंकि यहां हार से गलत संदेश जाएगा। यही वजह है कि इसको लेकर पार्टी और स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान दिन-रात एक किए हुए हैं। ऐसे में मुकाबला उम्मीदवारों के बीच कम और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन और भाजपा के बीच अधिक हो गया है।