आईएसओ के मुताबिक वैश्विक स्तर पर खपत से 21 लाख टन कम रहेगा चीनी उत्पादन
आगामी चीनी सीजन (2023-24) के दौरान वैश्विक स्तर पर चीनी की खपत उत्पादन से 21.18 लाख टन अधिक रहने का अनुमान है। दुनिया भर में चीनी का कुल उत्पादन 17.48 करोड़ टन रहेगा जबकि खपत इसके मुकाबले 21.18 लाख टन अधिक होगी। इंटरनेशनल शुगर आर्गनाइजेशन (आईएसओ) द्वारा 2023-24 के लिए जारी अनुमान में यह जानकारी दी गई है।
आगामी चीनी सीजन (2023-24) के दौरान वैश्विक स्तर पर चीनी की खपत उत्पादन से 21.18 लाख टन अधिक रहने का अनुमान है। इस दौरान दुनिया भर में चीनी का कुल उत्पादन 17.48 करोड़ टन रहेगा जबकि खपत इसके मुकाबले 21.18 लाख टन अधिक होगी। इंटरनेशनल शुगर आर्गनाइजेशन (आईएसओ) द्वारा 2023-24 के लिए जारी अनुमानों में यह जानकारी दी गई है।
आईएसओ ने चीनी सीजन 2023-24 (अक्तूबर, 2023 से सितंबर, 2024) के लिए जारी बैलेंस शीट में कहा है कि 2023-24 में विश्व में चीनी का कुल उत्पादन 17.48 करोड़ टन रहेगा जबकि 2022-23 में उत्पादन 17.70 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं 2023-24 में चीनी की खपत 17.69 करोड़ टन रहेगी जो उत्पादन से 21.18 लाख टन अधिक है। आईएसओ के मुताबिक वैश्विक स्तर पर चीनी की आयात मांग 643.73 लाख टन रहेगी जबकि निर्यात के लिए चीनी की उपलब्धता 615.59 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है। चालू साल (2022-23) में आयात मांग 653.80 लाख टन और निर्यात के लिए उपलब्धता 655.19 लाख टन रहने का अनुमान है। वहीं 2023-24 के अंत में 10.22 करोड़ टन चीनी का स्टॉक रहने का अनुमान लगाया गया है जो चालू सीजन के लिए 10.15 करोड़ टन है।
चीनी के कारोबार और उत्पादन संबंधी आंकड़ों पर काम करने वाली संस्था चीनी मंडी के संस्थापक और एग्री मंडी के सीईओ उप्पल शाह ने आईएसओ द्वारा जारी अनुमानों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि चीनी उत्पादन पर सितंबर और अक्तूबर में होने वाली बारिश का असर पड़ेगा। इसके साथ ही, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते ब्राजील एथेनॉल उत्पादन बढ़ा सकता है। उसका भी असर चीनी की उपलब्धता पर पड़ेगा। इस साल ब्राजील में गन्ने की बेहतर फसल होने की संभावना जताई जा रही है। अगले कुछ महीने भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि चीनी को लेकर सही स्थिति जनवरी, 2024 में स्पष्ट हो सकेगी।
चीनी मंडी के मुताबिक भारत में 2023-24 में चीनी उत्पादन 304 लाख टन रहने का अनुमान है जो चालू सीजन के 329 लाख टन के मुकाबले 7.6 फीसदी कम है। बकाया स्टॉक के साथ आगामी साल में चीनी की कुल उपलब्धता 361 लाख टन रहेगी। इसमें चालू सीजन के अंत की बकाया 57 लाख टन चीनी का स्टॉक शामिल है। चीनी मंडी के मुताबिक देश में चीनी खपत 281 लाख टन रहने का अनुमान है। इसके चलते निर्यात के लिए उपलब्धता प्रभावित हो सकती है। चालू सीजन में देश से 62 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था, लेकिन आगामी साल में निर्यात की संभावना काफी कम रह गई है।
महाराष्ट्र में भारत का एक तिहाई चीनी उत्पादन होता है। उद्योग सूत्रों के अनुसार 1 अक्तूबर से शुरू होने वाले 2023-24 के सीजन में राज्य में 90 लाख टन चीनी उत्पादन की संभावना है। 2022-23 में उत्पादन 105 लाख टन रहा था। महाराष्ट्र और कर्नाटक में देश का आधे से ज्यादा चीनी उत्पादन होता है। मौसम विभाग के अनुसार इन दोनों राज्यों के चीनी उत्पादन वाले जिलों में मानसून के दौरान बारिश औसत से 50% तक कम रही है।
भारत से चीनी निर्यात के लिए महाराष्ट्र में इसका अच्छा उत्पादन होना जरूरी है, लेकिन मुंबई स्थित एक ग्लोबल ट्रेडिंग हाउस के डीलर ने कहा कि मानसून की बारिश को देखते हुए निर्यात की संभावना बहुत कम रह गई है। वर्ष 2021 में महाराष्ट्र में 137 लाख टन रिकॉर्ड चीनी का उत्पादन हुआ था। उस साल भारत से 112 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था। लेकिन वर्ष 2022-23 में महाराष्ट्र में उत्पादन घटकर 105 लाख टन रह गया तो निर्यात भी 61 लाख टन पर अटक गया।
माना जा रहा है कि अक्तूबर से शुरू होने वाले नए सीजन में सरकार मिलों द्वारा चीनी निर्यात पर रोक लगा सकती है। ऐसा 7 साल में पहली बार होगा। एक अधिकारी के अनुसार खाद्य महंगाई बड़ी चिंता है। हाल में चीनी की कीमतों में वृद्धि ने इसकी निर्यात की संभावना को खत्म कर दिया है। विश्व बाजार में भारत की गैर मौजूदगी न्यूयॉर्क तथा लंदन मार्केट की बेंचमार्क कीमतों को बढ़ा सकती है। वहां चीनी की कीमतें पहले ही एक दशक से भी ज्यादा के रिकॉर्ड स्तर पर चल रही हैं।