काला सागर अनाज समझौता टूटने से वैश्विक बाजारों में गेहूं की कीमतें बढ़ी
काला सागर अनाज समझौते से रूस के हाथ खींच लेने के बाद एक बार फिर से खाद्यान्नों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ सकती हैं और दुनिया पर खाद्यान्न संकट का खतरा मंडरा सकता है। अंतरराष्ट्रीय वायदा कारोबार में बुधवार को गेहूं के भाव में लगभग 9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। यह तीन सप्ताह में अपने उच्च स्तर पर पहुंचने की राह पर है क्योंकि यूक्रेन से अनाज के निर्यात की अनुमति देने वाले इस महत्वपूर्ण सौदे से रूस के बाहर निकलने के आश्चर्यजनक फैसले के बाद यूरोप में तनाव बढ़ गया है।
काला सागर अनाज समझौते से रूस के हाथ खींच लेने के बाद एक बार फिर से खाद्यान्नों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ सकती हैं और दुनिया पर खाद्यान्न संकट का खतरा मंडरा सकता है। अंतरराष्ट्रीय वायदा कारोबार में बुधवार को गेहूं के भाव में लगभग 9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। यह तीन सप्ताह में अपने उच्च स्तर पर पहुंचने की राह पर है क्योंकि यूक्रेन से अनाज के निर्यात की अनुमति देने वाले इस महत्वपूर्ण सौदे से रूस के बाहर निकलने के आश्चर्यजनक फैसले के बाद यूरोप में तनाव बढ़ गया है।
इसका असर मक्का के वायदा भाव पर भी देखा जा रहा है। व्यापारियों को आशंका है कि इस सौदे के टूटने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित होगी। इस वजह से मक्का के वायदा भाव में भी 2 फीसदी की तेजी आई। रूस के युद्धकालीन समझौते से हटने से दुनिया भर के उपभोक्ताओं के लिए खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने का खतरा है। इससे लाखों लोग भूखमरी का शिकार हो सकते हैं। यह सौदा दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की कीमतों को कम करने के लिए "महत्वपूर्ण" था। पिछले साल फरवरी में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद खाद्य पदार्थों की वैश्विक कीमतें बढ़ गई थी। बुधवार को दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया जिससे काला सागर से निर्यात होने वाले महत्वपूर्ण वस्तुओं का सौदा फिर से शुरू होने की संभावना सीमित हो गई।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को दावा किया कि दक्षिणी यूक्रेन के ओडेसा पर उसके हमलों में सैन्य और ईंधन बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि रूस ने "जानबूझकर अनाज सौदे के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया है।" रूस के हमले में ओडेसा के बंदरगाह पर "औद्योगिक सुविधा" के साथ-साथ "एक अनाज और तेल टर्मिनल" भी तबाह हो गया।
हालांकि, गेहूं की कीमतें अभी भी मार्च 2022 के अपने उच्चत्तम स्तर से 50 फीसदी नीचे है। काला सागर समझौता मूल रूप से तुर्किये और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुआ था। इसके तहत दुनिया के उन हिस्सों में यूक्रेनी बंदरगाहों से अनाज ले जाने वाले जहाजों का सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया गया था जहां लाखों लोग भूखे रह रहे हैं। मगर रूस ने 17 जुलाई को इस सौदे को निलंबित कर दिया जिससे खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों और अधिक भूखमरी का खतरा पैदा हो गया है।