नेपाल से सस्ते खाद्य तेलों के आयात में भारी इजाफा, उद्योग संगठन ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने नेपाल से सस्ते खाद्य तेलों के भारी आयात को नियंत्रित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
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नेपाल से जीरो ड्यूटी पर खाद्य तेलों का भारी आयात भारतीय खाद्य तेल उद्योग के लिए चिंता का सबब बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट मंत्रियों को लिखे एक पत्र में, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने नेपाल से सस्ते खाद्य तेलों के आयात को नियंत्रित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
एसईए ने आरोप लगाया कि नियमों का उल्लंघन कर नेपाल से साउथ एशिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (SAFTA) के तहत जीरो ड्यूटी पर रिफाइंड सोयाबीन और पाम तेल का बहुत आयात हो रहा है। इससे घरेलू रिफाइनर, किसानों और देश के हितों को नुकसान पहुंच रहा है। ड्यूटी फ्री होने के कारण, नेपाल से भारत में प्रति माह कम से कम 50-60 हजार टन रिफाइंड तेल आने की उम्मीद है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि साफ्टा देशों से आयातित खाद्य तेलों पर न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) लागू किया जाए। यह एमआईपी भारत में तिलहनों के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आधार पर तय होना चाहिए। यानी आयातित खाद्य तेलों का दाम भारत में तिलहनों से निकलने वाले तेल के दाम से कम नहीं होना चाहिए।
नेपाल से आयात में भारी वृद्धि
एसईए की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, नेपाल से भारत को खाद्य तेलों के निर्यात में अचानक भारी वृद्धि हुई है। जुलाई-अगस्त 2024 में यह निर्यात केवल 687 टन से बढ़कर 15 दिसंबर, 2024 और 15 जनवरी, 2025 के बीच 56,444 टन हो गया। यह अगस्त-सितंबर में 2,240 टन, सितंबर-अक्टूबर में 6,765 टन, अक्टूबर-नवंबर में 18,165 टन और नवंबर-दिसंबर में 32,816 टन तक पहुंच गया।
आरोप है कि नेपाल के व्यापारी मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देशों से कच्चे खाद्य तेलों का आयात कर रहे हैं और रिफाइन कर SAFTA समझौते के तहत जीरो ड्यूटी पर भारत को निर्यात कर रहे हैं।
15 अक्टूबर, 2024 से 15 जनवरी, 2025 के बीच नेपाल ने 1,94,974 टन खाद्य तेलों (ज्यादातर कच्चा सोयाबीन और सूरजमुखी तेल) का आयात किया। इसी अवधि में नेपाल ने भारत को 1,07,425 टन खाद्य तेलों का निर्यात किया था। जबकि नेपाल की अपनी मासिक खाद्य तेल की खपत लगभग 35,000 टन है। इससे स्पष्ट है कि नेपाल से बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों का पुन: निर्यात किया जा रहा है।
भारतीय तेल उद्योग की चिंता
एसईए के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने पत्र में कहा, "नेपाल से साफ्टा समझौते के तहत जीरो ड्यूटी पर खाद्य तेलों का आयात न केवल उत्तरी और पूर्वी भारत में बल्कि अब दक्षिणी और मध्य भारत में भी नुकसान पहुंचा रहा है।" इससे घरेलू कीमतें बिगड़ रही हैं और घरेलू खाद्य तेल उद्योग और किसानों को नुकसान पहुंच रहा है। संगठन ने मांग की है कि साफ्टा देशों में आयात की कीमत और भारत को पुनः निर्यात के बीच वैल्यू एडिशन के मानकों का पालन किया जाना चाहिए।
अस्थाना ने जोर देकर कहा, "जो कुछ धीरे-धीरे शुरू हुआ था, वह अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे न केवल रिफाइनर को खतरा है, बल्कि भारत सरकार को भी भारी राजस्व घाटा हो रहा है। खाद्य तेलों पर उच्च आयात शुल्क बनाए रखने का उद्देश्य पूरी तरह से नाकाम हो रहा है।"