ग्लोबल मार्केट में गेहूं-चावल के दाम घटे, लेकिन चीनी एक साल पहले की तुलना में 47% महंगी
चावल, गेहूं और पाम ऑयल की कीमतों में कमी के चलते अक्टूबर में वर्ल्ड फूड प्राइस इंडेक्स में थोड़ी गिरावट आई है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की तरफ से जारी मासिक बुलेटिन में कहा गया है कि वर्ल्ड फूड कमोडिटी प्राइस इंडेक्स अक्टूबर में 120.6 अंक पर था। यह सितंबर 2023 की तुलना में 0.5 प्रतिशत कम है। अक्टूबर 2022 से तुलना करें तो इसमें 10.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।
चावल, गेहूं और पाम ऑयल की कीमतों में कमी के चलते अक्टूबर में वर्ल्ड फूड प्राइस इंडेक्स में थोड़ी गिरावट आई है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की तरफ से जारी मासिक बुलेटिन में कहा गया है कि वर्ल्ड फूड कमोडिटी प्राइस इंडेक्स अक्टूबर में 120.6 अंक पर था। यह सितंबर 2023 की तुलना में 0.5 प्रतिशत कम है। अक्टूबर 2022 से तुलना करें तो इसमें 10.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।
अनाज की कीमतों का इंडेक्स सितंबर 2023 की तुलना में एक प्रतिशत कम हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों में दो प्रतिशत की कमी आई है। विश्व स्तर पर चावल की मांग में कमी आने के चलते दाम कम हुए हैं। गेहूं की कीमतों में 1.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। अमेरिका से गेहूं की सप्लाई बढ़ने तथा निर्यातकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने के चलते ऐसा हुआ है। हालांकि मोटे अनाजों के इंडेक्स में मामूली बढ़ोतरी हुई है, खासकर मक्के की वजह से। अर्जेंटीना से इसकी सप्लाई घटने लगी है।
सितंबर के मुकाबले एफएओ का वनस्पति तेल प्राइस इंडेक्स 0.7 प्रतिशत और चीनी का 2.2 प्रतिशत कम हुआ है। वनस्पति तेलों के इंडेक्स में कमी पाम ऑयल के दाम घटने की वजह से आई है। सीजन में सप्लाई बढ़ने और आयात मांग कम रहने के कारण ऐसा हुआ है। हालांकि सोया, सनफ्लावर और रेपसीड तेल के दाम बढ़े हैं। चीनी की कीमतों का इंडेक्स सितंबर की तुलना में भले ही 2.2 प्रतिशत बढ़ा हो, लेकिन अक्टूबर 2022 की तुलना में 46.6 प्रतिशत ज्यादा है। ब्राज़ील में उत्पादन अच्छा होने के कारण पिछले महीने इसमें गिरावट आई है। हालांकि आने वाले महीनों में वैश्विक सप्लाई कम रहने के आसार बने हुए हैं। डेयरी प्राइस इंडेक्स पिछले महीने 2.2 प्रतिशत बढ़ा है। इसमें 9 महीने से लगातार गिरावट आ रही थी। आयात मांग बढ़ने के चलते मिल्क पाउडर के दाम बढ़े हैं।
इस वर्ष 281.9 करोड़ टन अनाज उत्पादन का अनुमान
एफएओ ने अनाज की सप्लाई और डिमांड के भी आंकड़े जारी किए हैं। संगठन का अनुमान है कि मौजूदा वर्ष में 281.9 करोड़ टन अनाज का उत्पादन होगा जो अब तक का रिकॉर्ड है। हालांकि इसने देश और क्षेत्र के आधार पर उत्पादन अनुमान में कुछ बदलाव किए हैं। चीन और पश्चिमी अफ्रीका में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है तो अमेरिका और यूरोपियन यूनियन में गिरावट का अंदेशा है। इराक और अमेरिका के लिए गेहूं उत्पादन का अनुमान बढ़ाया गया है जबकि यूरोपियन यूनियन और कजाकिस्तान के लिए इसमें कमी की गई है। इस वर्ष चावल का उत्पादन पिछले साल की तुलना में थोड़ा अधिक रहने की संभावना है। इसमें भारत में बेहतर उत्पादन का योगदान रहेगा।
2023-24 में अनाज की खपत 281 करोड़ टन रहने के आसार हैं। गेहूं और मोटे अनाज की खपत 2022-23 की तुलना में अधिक रहने जबकि चावल की पिछले सीजन के बराबर ही रहने की संभावना है। 2023-24 में अनाज का ग्लोबल ट्रेड 46.9 करोड़ टन का रहने की संभावना है। यह पिछले साल की तुलना में 1.6 प्रतिशत कम रहेगा।
युद्ध से खाद्य असुरक्षा बढ़ने का खतरा
एफएओ ने कहा है कि युद्ध के कारण खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य कमोडिटी के दाम भले ही कम हुए हों लेकिन ज्यादातर कम आय वाले देशों में इनकी वैल्यू गिरी है, जिससे उन्हें कमोडिटी के दाम घटने का फायदा नहीं मिल पाएगा। अफ्रीका के 33 देशों समेत दुनिया के 46 देश खाद्य पदार्थों के लिए बाहरी मदद पर निर्भर हैं। इसने कहा है कि गाजा पट्टी में आधे से ज्यादा लोग 2022 में ही गंभीर खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे थे। अभी जो युद्ध चल रहा है उससे हालात और गंभीर होंगे। इससे लेबनान में भी खाद्य असुरक्षा की स्थिति खराब होगी।