भारत-ऑस्ट्रेलिया में एफटीए की खुली राह, 30 दिनों में होगा अर्ली हार्वेस्ट एग्रीमेंट
गोयल ने कहा कि अली हार्वेस्ट समझौते में अनेक मुद्दे शामिल हैं। बल्कि यह कहा जा सकता है कि दोनों देशों की जिन क्षेत्रों में रुचि है उनमें ज्यादातर इसमें शामिल हैं। कुछ संवेदनशील मुद्दे ही सीईसीए के लिए बाकी रहेंगे। उन्हें भी हम अर्ली हार्वेस्ट समझौते के बाद एक से डेढ़ साल के भीतर पूरा करने की उम्मीद रखते हैं
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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) राह खुलती नजर आ रही है। दोनों देशों ने तय किया है कि अगले 30 दिनों के भीतर अर्ली हार्वेस्ट एग्रीमेंट को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। अर्ली हार्वेस्ट एग्रीमेंट मुक्त व्यापार समझौते से पहले का चरण माना जाता है। इसमें दो देश टैरिफ लिबरलाइजेशन के लिए कुछ प्रोडक्ट की पहचान करते हैं। टैरिफ लिबरलाइजेशन का मतलब कुछ वस्तुओं के आयात और निर्यात पर कस्टम ड्यूटी कम करना या खत्म करना होता है। इसके अलावा सर्विसेज का व्यापार बढ़ाने के लिए नियमों को भी आसान बनाया जाता है।
गुरुवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डैन टेहन के साथ मुलाकात के दौरान यह घोषणा की। टेहन प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते पर आगे की बातचीत के लिए भारत में हैं। इसे दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) नाम दिया है। दोनों देश काफी दिनों से लंबित इस समझौते को 2022 के अंत तक पूरा करना चाहते हैं। गोयल ने कहा कि कृषि, खनन, फार्मा, शिक्षा, एजुकेशन टेक्नोलॉजी, रिन्यूएबल, रेलवे ज्वैलरी, पर्यटन, रक्षा, टेक्सटाइल और गेमिंग के क्षेत्र में अनेक अवसर हैं।
गोयल ने कहा, "मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आप बहुत ही मजबूत साझेदारी करने जा रहे हैं। इसे अगले 30 दिनों में अंतिम रूप दे दिया जाएगा। मंत्री टेहन और मैंने मिलकर अपनी टीम के लिए यह समय सीमा तय की है। दोनों टीमों के लिए अगले 30 दिन रात-दिन एक करने वाले होंगे।" वाणिज्य मंत्री के अनुसार यह भारत या ऑस्ट्रेलिया का सबसे कम समय में किया गया मुक्त व्यापार समझौता होगा।
गोयल ने कहा कि अली हार्वेस्ट समझौते में अनेक मुद्दे शामिल हैं। बल्कि यह कहा जा सकता है कि दोनों देशों की जिन क्षेत्रों में रुचि है उनमें ज्यादातर इसमें शामिल हैं। कुछ संवेदनशील मुद्दे ही सीईसीए के लिए बाकी रहेंगे। उन्हें भी हम अर्ली हार्वेस्ट समझौते के बाद एक से डेढ़ साल के भीतर पूरा करने की उम्मीद रखते हैं। इस मौके पर टेहन ने कहा कि हम जल्दी लेकिन क्वालिटी समझौता चाहते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद है। दोनों देश एक दूसरे की डिग्री को मान्यता देने पर भी विचार कर सकते हैं।