चीनी उत्पादन 18 लाख टन घटने का अनुमान, निर्यात पर रोक जारी रहने के आसार
एक अक्टूबर से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्तूबर 2024 से सितंबर 2025) के दौरान देश में चीनी का कुल उत्पादन पिछले सीजन के मुकाबले 18 लाख टन गिरकर 325 लाख टन रहने का अनुमान है। महाराष्ट्र में गन्ने की कमजोर फसल और कम रिकवरी के चलते इस साल सबसे अधिक उत्पादन उत्तर प्रदेश में होने की संभावना है। हालांकि, इस साल उत्तर प्रदेश में भी गन्ने की फसल बहुत बेहतर नहीं है। इस स्थिति का असर पेराई सीजन की अवधि घटने के रूप में देखने को मिल सकता है।
चालू पेराई सीजन के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 340 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जिसके लिए 10.25 फीसदी चीनी रिकवरी को आधार बनाया गया है। चीनी उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र की चीनी मिलों में गन्ने की पेराई 15 नवंबर से शुरू होगी जबकि उत्तर प्रदेश में नवंबर के पहले सप्ताह में पेराई शुरू हो जाएगी। महाराष्ट्र में गन्ने की कमजोर फसल के चलते पेराई सीजन 115-120 दिनों में समाप्त हो सकता है। जबकि सामान्य स्थिति में गन्ना पेराई सीजन 180 दिनों तक चलता है। गन्ने की कमजोर फसल और पेराई सीजन का छोटा होना चीनी मिलों की आर्थिक सेहत के लिए ठीक नहीं है। क्रशिंग सीजन के छोटा होने के पीछे चीनी मिलों द्वारा क्रशिंग क्षमता बढ़ाया जाना भी एक बड़ी वजह है।
कुल चीनी उत्पादन 325 लाख टन
पिछले साल देश में कुल 343 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ था। इसमें से 24 लाख टन चीनी का उपयोग एथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया था। उद्योग के अनुमान के मुताबिक, इस साल कुल चीनी उत्पादन 325 लाख टन रहेगा जिसमें से 40 लाख टन चीनी का उपयोग एथेनॉल उत्पादन में किया जाएगा। इस तरह मार्केट में आने वाली चीनी यानी नेट शुगर प्रोडक्शन 285 लाख टन रहेगा जो पिछले सीजन में 319 लाख टन था।
पिछले साल 57.23 लाख टन के बकाया स्टॉक के साथ चीनी की कुल उपलब्धता 376.23 लाख टन रही थी। वहीं, चालू सीजन के शुरू में 80.23 लाख टन के बकाया स्टॉक के चलते चीनी की कुल उपलब्धता 365.23 लाख टन रहेगी। सालाना 295 लाख टन की खपत के चलते साल के अंत में 55.23 लाख टन का बकाया स्टॉक रहने का अनुमान है। देश में सामान्य रूप से तीन महीने की खपत के बराबर स्टॉक रहना चाहिए जो करीब 74 लाख टन बैठता है। इसलिए देश से चीनी निर्यात की संभावना नहीं है।
चीनी निर्यात की गुंजाइश नहीं
उद्योग सूत्रों के मुताबिक, इस स्थिति में चीनी के निर्यात की संभावना नहीं है। सरकार ने चीनी निर्यात को रेट्रिक्टेड लिस्ट में रखा हुआ है। पिछले सीजन में चीनी निर्यात का कोटा जारी नहीं होने से चीनी का निर्यात नहीं हुआ था। उत्पादन और स्टॉक के अनुमानों को देखते हुए इस बात की संभावना है कि सरकार चीनी निर्यात पर लागू रोक को जारी रख सकती है। चीनी को 31 अक्तूबर, 2024 के बाद भी रेट्रिक्टेड सूची में रखे जाने की उम्मीद जताई जा रही है। क्योंकि निर्यात की संभावना लगभग न के बराबर हैं।
इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत से निर्यात होने वाली चीनी की कीमत (एफओबी) व्हाइट शुगर के लिए 4540 रुपये प्रति क्विंटल और रॉ शुगर की कीमत 4315 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। वहीं, घरेलू बाजार में उत्तर प्रदेश में एम ग्रेड चीनी की कीमत 3915 रुपये प्रति क्विंटल, तमिलनाडु में एम ग्रेड की कीमत 3850 रुपये प्रति क्विंटल और महराष्ट्र में एस ग्रेड चीनी की कीमत 3600 रुपये प्रति क्विंटल व कर्नाटक में 3600 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है।