भारत का दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी निर्यातक बनने का लक्ष्य: अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि भारत की दूध प्रसंस्करण क्षमता रोजाना करीब 12.6 करोड़ लीटर है जो दुनिया में सबसे अधिक है। वर्ष 1970 में जब देश में श्वेत क्रांति हुई थी तब से 2022 तक जनसंख्या चार गुना बढ़ गई है लेकिन दूध का उत्पादन दस गुना बढ़ा है। हमें दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक बनकर ही संतुष्ट नहीं होना चाहिए। हमें दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी निर्यातक बनने का भी प्रयास करना चाहिए। देश को एक दूसरी श्वेत क्रांति की जरूरत है। नरेंद्र मोदी सरकार उसी दिशा में काम कर रही है।
गांधीनगर : केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनकर ही संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि सबसे बड़ा डेयरी निर्यातक बनने का भी लक्ष्य रखना चाहिए। सरकार ने दो लाख नई डेयरी सहकारी समितियों (पंचायत स्तर पर) के गठन के जरिये आने वाले वर्षों में वैश्विक दूध उत्पादन में हिस्सेदारी बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके जरिये कुल वैश्विक उत्पादन में 33 फीसदी हिस्सेदारी की संभावना है। गांधीनगर में इंडियन डेयरी एसोसिएशन द्वारा आयोजित 49वें डेयरी उद्योग सम्मेलन में के तीसरे और अंतिम दिन शनिवार को हिस्सा लेते हुए अमित शाह ने यह बात कही। इस सम्मेलन का विषय "दुनिया के लिए भारत डेयरी : अवसर और चुनौतियां" था।
अमित शाह ने कहा कि भारत की दूध प्रसंस्करण क्षमता रोजाना करीब 12.6 करोड़ लीटर है जो दुनिया में सबसे अधिक है। वर्ष 1970 में जब देश में श्वेत क्रांति हुई थी तब से 2022 तक जनसंख्या चार गुना बढ़ गई है लेकिन दूध का उत्पादन दस गुना बढ़ा है। हमें दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक बनकर ही संतुष्ट नहीं होना चाहिए। हमें दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी निर्यातक बनने का भी प्रयास करना चाहिए। देश को एक दूसरी श्वेत क्रांति की जरूरत है। नरेंद्र मोदी सरकार उसी दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक दशक में भारतीय डेयरी क्षेत्र में सालाना 6.6 फीसदी की वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार गांवों में 2 लाख डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना कर रही है। ऐसा होने के बाद डेयरी क्षेत्र की वृद्धि 13.80 फीसदी तक पहुंच जाएगी और वैश्विक दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 33 फीसदी होगी। डेयरी निर्यात भी मौजूदा स्तर से पांच गुना अधिक होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डेयरी दुनिया के लिए एक कारोबार है लेकिन भारत में यह आजीविका का एक स्रोत है क्योंकि यहां 9 करोड़ परिवार डेयरी से सीधे जुड़े हुए हैं। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, पोषण संबंधी चुनौतियों का समाधान करने और महिला सशक्तिकरण में भी बड़ा योगदान देता है।
इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा, “छोटे डेयरी किसान भारतीय डेयरी क्षेत्र की असली ताकत हैं। गुजरात समग्र विकास का एक मॉडल रहा है और देश के दूध उत्पादन में 20 फीसदी हिस्सेदारी के साथ डेयरी उद्योग में भी अग्रणी है। डेयरी किसानों को वैल्यू एडीशन और निरंतर विकास के लिए दूध और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।”
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.एस. सोढ़ी ने इस दौरान कहा कि दूध में आत्मनिर्भर बनने के दृढ़ प्रयासों, किसानों द्वारा प्रबंधित मजबूत आपूर्ति श्रृंखला और बुनियादी ढांचे में निवेश के कारण भारतीय डेयरी उद्योग ने अभूतपूर्व वृद्धि हासिल की है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना चाहिए कि हमारे उत्पादों को विदेशी बाजारों में भी स्वीकार किया जाए। हम अपने उत्पादन का 20 फीसदी निर्यात कर रहे हैं।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीबीबी) के अध्यक्ष मीनेश शाह ने कहा कि भारत को इस क्षेत्र में नेतृत्व करना चाहिए और अपने सहकारी मॉडल को पड़ोसी देशों तक ले जाना चाहिए। श्रीलंका को आत्मनिर्भर बनाने में मदद के लिए हमने पहले ही उसके साथ बातचीत शुरू कर दी है। हम नेपाल और केन्या के साथ भी विचार विमर्श कर रहे हैं ताकि हमारी सीख को अमल में लाकर उनके डेयरी किसानों की मदद की जा सके।
इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन (आईडीएफ) के अध्यक्ष पियरक्रिस्टियानो ब्राजाले ने कहा कि इस क्षेत्र के ग्लोबल लीडर्स को डेयरी क्षेत्र में भारत की सफलता पर ध्यान देना चाहिए और उचित नीतियों के साथ अपने डेयरी किसानों का समर्थन करना चाहिए। अमूल डेयरी के एमडी अमित व्यास ने सम्मेलन में धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया।
इस अवसर पर डॉ. कुरियन अवॉर्ड, आईडीए पैट्रन अवॉर्ड और आईडीए फैलोशिप अवॉर्ड सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्रदान किए गए। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में बड़ी संख्या में भारत और विदेशों के डेयरी विशेषज्ञ और व्यवसायी, डेयरी सहकारी समितियां, दूध उत्पादक, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, नीति निर्माता और योजनाकार, शिक्षाविद और अन्य हितधारक एक साथ एक ही प्लेटफार्म पर एकत्रित हुए थे। इस दौरान एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था जिसमें दूध उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण और पैकेजिंग समाधानों की नई तकनीकों को भी प्रदर्शित किया गया था।