वैश्विक चुनौतियों के बावजूद कृषि क्षेत्र के कारण 2025 में भारत की विकास दर मजबूत रहेगीः यूएन रिपोर्ट
ऐसे समय जब वैश्विक अर्थव्यवस्था लगातार अनिश्चितताओं का सामना कर रही है, भारत का कृषि क्षेत्र इसकी मजबूत आर्थिक वृद्धि का आधार बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स 2025’ (WESP 2025) रिपोर्ट में भारत के अनुमानित 6.6% जीडीपी विकास दर में कृषि की अहम भूमिका को रेखांकित किया गया है। इस विकास दर के साथ भारत की इकोनॉमी 2025 में सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ देगी। यह खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, ग्रामीण जीवन स्तर को बढ़ावा देने और वैश्विक व्यापार में योगदान देने की इस क्षेत्र की क्षमता को दर्शाता है।
WESP 2025 रिपोर्ट वैश्विक कृषि के लिए एक चुनौतीपूर्ण तस्वीर पेश करती है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और लंबे समय तक चलने वाले आर्थिक झटके वैश्विक खाद्य प्रणालियों को बाधित कर रहे हैं। वैश्विक मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और चरम मौसम की घटनाओं के कारण विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य महंगाई बनी हुई है। अपनी विशाल कृषि अर्थव्यवस्था के साथ भारत इन वैश्विक चुनौतियों से प्रभावित भी है और उन्हें समाधान देने की अच्छी स्थिति में भी है। इस क्षेत्र की मजबूती और इनोवेशन खाद्य संकट से निपटने में इसे महत्वपूर्ण बनाती है।
भारतीय कृषि की ताकत
भारत का कृषि क्षेत्र मजबूत निर्यात और विविध उत्पादन के दम पर अपनी स्थिरता साबित कर रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत चावल, चाय, मसालों और समुद्री उत्पादों का प्रमुख निर्यातक है, जो इसके व्यापार संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। अपनी विशाल जनसंख्या के कारण भारत खाद्य कीमतों को स्थिर रखने और आवश्यक वस्तुओं तक पहुंच सुनिश्चित करने की नीतियों को प्राथमिकता देता है। डिजिटल मार्केट प्लेस और उन्नत सिंचाई प्रणाली जैसी प्रौद्योगिकी-आधारित पहल भारतीय किसानों को बाजारों से जोड़ने और उनकी पैदावार में सुधार करने में मदद कर रही हैं।
जलवायु और महंगाई की चुनौतियां
रिपोर्ट कृषि उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों को भी रेखांकित करती है। अन्य विकासशील देशों की तरह भारत भी अनियमित मानसून और ला नीना जैसे प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील है। इनका 2025 में फसल उत्पादन पर प्रभाव पड़ने की आशंका है। इसके अलावा, खाद्य महंगाई लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। भारत सहित आधे से अधिक विकासशील देशों में खाद्य महंगाई 5% से अधिक है, जिससे सबसे कमजोर आबादी के लिए खाद्य पदार्थों पर खर्च गंभीर मुद्दा बना हुआ है।
नीति और निवेश के अवसर
जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है, भारत सरकार कृषि क्षेत्र को लक्षित सब्सिडी, बुनियादी ढांचे के विकास और इनोवेशन के माध्यम से समर्थन दे रही है। नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश, विशेष रूप से कृषि से जुड़े क्षेत्रों जैसे सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई में, इनपुट लागत को कम करने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है। इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सुधार से भारत को अपना निर्यात बढ़ाने का अवसर मिलता है, विशेष रूप से प्रोसेस्ड फूड और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट जैसे उच्च मांग वाले क्षेत्रों में।
WESP 2025 रिपोर्ट नवीकरणीय ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक मांग पर भी जोर देती है। भारत के लिए यह कृषि प्रणालियों को कम ऊर्जा खपत वाले तरीकों, जैसे बैटरी-पावर्ड कोल्ड स्टोरेज और खराब होने वाले उत्पादों के लिए बैटरी आधारित लॉजिस्टिक्स के साथ एकीकृत करने के अवसर प्रस्तुत करता है।
वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था में भारत
रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में भारत की नेतृत्व वाली भूमिका वैश्विक कृषि में इसके बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट करती है। 2025 में इस क्षेत्र की अनुमानित 5.7% आर्थिक वृद्धि काफी हद तक भारत के कृषि प्रदर्शन पर निर्भर है। खाद्य सुरक्षा, प्रौद्योगिकी साझा करने और व्यापार समझौतों पर पड़ोसी देशों के साथ सहयोगात्मक प्रयास भारत की स्थिति को एक क्षेत्रीय कृषि केंद्र के रूप में और मजबूत कर सकते हैं।
भारत का कृषि क्षेत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। WESP 2025 रिपोर्ट जलवायु-लचीली खेती में अधिक निवेश, संसाधनों के समान वितरण और बढ़ती उत्पादन लागत पर अंकुश लगाने वाली नीतियों की आवश्यकता पर जोर देती है। इनोवेशन और सस्टेनेबिलिटी पर ध्यान केंद्रित करके भारत न केवल अपनी आबादी का पेट भरने में बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा और व्यापार में योगदान करने में भी नेतृत्व कर सकता है।
भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था
वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी गति के बावजूद भारत मजबूत आर्थिक विकास का स्तंभ बना हुआ है। यह वृद्धि घरेलू खपत और निवेश की स्थिरता से प्रेरित है, जो वैश्विक रिकवरी में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। WESP 2025 रिपोर्ट वैश्विक अर्थव्यवस्था की एक मिश्रित तस्वीर पेश करती है। इस वर्ष वैश्विक विकास दर 2023 और 2024 के समान, 2.8% पर स्थिर रहने की संभावना है। हालांकि मुद्रास्फीति में गिरावट है और केंद्रीय बैंकों की तरफ से मौद्रिक नीतियों में राहत दी जा रही है, लेकिन भू-राजनीतिक तनाव, भारी कर्ज का बोझ और जलवायु संबंधी चुनौतियां प्रगति को धीमा कर रही हैं। विकासशील देशों, विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों (LDCs) के लिए, सुधार असमान बना हुआ है, जहां सीमित राजकोषीय संसाधन और ऋण संकट उनकी विकास क्षमता को बाधित कर रहे हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.6% की मजबूत विकास दर के पूर्वानुमान के साथ अलग नजर आती है। यह प्रदर्शन अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, जैसे चीन (4.8%) और अमेरिका (1.9%) की धीमी विकास दर के विपरीत है। भारत में बुनियादी ढांचे के विकास और डिजिटल परिवर्तन पर फोकस निवेश को बढ़ावा दे रहा है, जबकि इसका युवा कार्यबल सतत आर्थिक गतिविधियों में योगदान दे रहा है।