राष्ट्रीय जीएम नीति बनाने में किसान की राय को किया जाए शामिलः भारतीय किसान संघ

किसान संघ का कहना है कि भारत में जीएम फसलों की आवश्यकता नहीं है। रासायनिक खेती व जहरीला जीएम कृषि, किसान व पर्यावरण के लिए असुरक्षित हैं। जीएम फसलें जैव विविधता को नष्ट करती हैं और ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती हैं।

राष्ट्रीय जीएम नीति बनाने में किसान की राय को किया जाए शामिलः भारतीय किसान संघ

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा है कि जीएम फसलों के मामले में सरकार ने अभी तक किसान संगठनों से कोई संपर्क नहीं किया है। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में आदेश दिया था कि केंद्र सरकार सभी हितधारकों से बात करते हुए राष्ट्रीय जीएम नीति बनाए और इस कार्य को चार माह में पूर्ण करने की सीमा भी निर्धारित की थी। लेकिन अभी तक केंद्र सरकार या फिर इसके लिए बनी समिति ने किसान या किसान संगठनों से अभिमत लेने कोई संपर्क नहीं किया है, ऐसे में समिति की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में हैं। मिश्र ने कहा कि किसान मुख्य हितधारक हैं इसलिए उनकी राय को राष्ट्रीय जीएम नीति निर्माण में प्रमुख रूप से शामिल किया जाए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ राष्ट्रीय जीएम नीति को लेकर देशव्यापी जनजागरण आंदोलन के तहत देश के सभी सांसदों, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति के नाम 600 से अधिक जिलों में ज्ञापन सौंप रहा है।

किसान संघ की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत में जीएम फसलों की आवश्यकता नहीं है। रासायनिक खेती व जहरीला जीएम कृषि, किसान व पर्यावरण के लिए असुरक्षित हैं। जीएम फसलें जैव विविधता को नष्ट करती हैं और ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती हैं। बीटी कपास इसका उदाहरण हैं जिसके फेल होने से किसानों को हुए भारी नुकसान के कारण उन्हें आत्महत्या तक करनी पड़ी थी। भारत को कम यंत्रीकरण, रोजगार सृजन क्षमता वाली कृषि चाहिए, न कि जीएम खेती। अनेक देशों में इस पर प्रतिबंध हैं। 

लगभग बीस साल से चल रही सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जुलाई 2024 को अपने आदेश में कहा कि केंद्र सरकार सभी हितधारक जैसे किसान, कृषि, कृषि वैज्ञानिकों, राज्य सरकारों, किसान संगठन, उपभोक्ता संगठन आदि सभी की सलाह लेते हुए जीएम फसलों पर राष्ट्रीय जीएम नीति बनाए। 

मिश्र ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तीन माह बीत जाने के बावजूद सरकार द्वारा बनाई समिति ने किसी भी हितधारक से कोई सलाह नहीं ली है। इससे हितधारक चिंतित हैं कि कहीं न कहीं पीछे के रास्ते से चोरी छिपे जीएम फसलों को अनुमति देने की तैयारी की जा रही है। हितधारकों का आरोप है कि सरकार बिना किसी सलाह व प्रभावों का अध्ययन किए बिना खाद्य व पोषण सुरक्षा के नाम पर भारत में जीएम फसलों की अनुमति देना चाहती हैं। 

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल ने बताया कि जीएम तकनीक के नफा नुकसान को लेकर देश में विस्तृत चर्चा हो, राष्ट्रीय जीएम नीति बनाने में हितधारकों की राय को शामिल किया जाए। 

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