गेहूं और सरसों के साथ सब्जियों की बुवाई के लिए आईएआरआई ने जारी की एडवाइजरी

आईएआरआई ने गेहूं और सरसों किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें नमी और उच्च गुणवत्ता वाले बीज, दीमक नियंत्रण उपाय और उर्वरक के सही उपयोग से उपज सुधारने के सुझाव दिए गए हैं। गेहूं और सरसों की विशेष किस्मों के साथ-साथ बीज और मिट्टी उपचार की सलाह दी गई है।

गेहूं और सरसों के साथ सब्जियों की बुवाई के लिए आईएआरआई ने जारी की एडवाइजरी

देश के कई राज्यों में रबी फसलों की बुवाई शुरू हो गई है। रबी की दो मुख्य फसलों, गेहूं और सरसों की बुवाई के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने एडवाइजरी जारी की है। किसानों को सलाह दी गई है की वे अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की बुवाई करें। एडवाइजरी में दीमक की समस्या से निपटने के उपाय और उर्वरकों के सही इस्तेमाल की जानकारी भी दी गई है, ताकि उत्पादन बढ़ सके।

गेहूं की बुवाई के लिए सलाह

गेहूं की बुवाई के लिए किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीजों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। बीज की दर 100 किलो प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए। आईएआरआई के वैज्ञानिकों ने कुछ विशेष किस्में सुझाई हैं, जैसे एच.डी. 3385, एच.डी. 3386, एच.डी. 3298, एच.डी. 2967, एच.डी. 3086, एच.डी. सी.एस.डब्लू. 18, डी.बी.डब्लू. 370, डी.बी.डब्लू. 371, डी.बी.डब्लू. 372, और डी.बी.डब्लू. 327।  

जिन खेतों में दीमक की समस्या है, वहां बुवाई से पहले क्लोरपाइरीफॉस (20 ई.सी.) का 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटेशियम (एन.पी.के) के लिए अनुशंसित उर्वरक की मात्रा क्रमशः 120 किलो, 50 किलो और 40 किलो प्रति हेक्टेयर रखें।

सप्ताह भर में पूरी करें सरसों की बुवाई 

किसानों को अगले सप्ताह तक सरसों की बुवाई पूरी करने की सलाह दी गई है। इसमें कहा गया है कि बुवाई से पहले सल्फर के लिए मिट्टी की जांच करें और कमी वाले क्षेत्रों में 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर डालें। बीज की दर 1.5-2 किलो प्रति एकड़ होनी चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने पूसा विजय, पूसा सरसों-29, पूसा सरसों-30, पूसा सरसों-31, और पूसा सरसों-32 की बुवाई करने की सलाह दी है। बुवाई से पहले बीजों को 2-2.5 ग्राम केप्टान कीटनाशक से उपचारित करना भी आवश्यक है।

सब्जियों के लिए भी एडवाइजरी जारी

मटर की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी गई है कि मौसम को देखते हुए बुवाई में देरी न करें, क्योंकि इससे उपज कम हो सकती है और फसल पर कीटों का असर बढ़ सकता है। बेहतर अंकुरण के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। मटर के लिए पूसा प्रगति और आर्केल किस्मों की बुवाई की सलाह दी गई है, जिन्हें बुवाई से पहले केप्टान और राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना चाहिए।

गाजर की बुवाई के लिए क्यारी में पूसा रुधिरा किस्म का उपयोग करने की सलाह दी गई है। बुवाई से पहले मिट्टी में नमी बनाए रखें और गोबर की खाद, पोटाश और फास्फोरस का प्रयोग करें। मशीन से गाजर की बुवाई करने से बीज की बचत होती है और उपज बढ़ती है।

सरसों साग, बथुआ, मूली, पालक, मेथी, धनिया और शलजम जैसी हरी पत्तेदार फसलों की बुवाई के लिए यह समय उपयुक्त है। फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली और टमाटर के पौधों की रोपाई भी क्यारियों में की जा सकती है।

वर्तमान मौसम में मिर्च और टमाटर में रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा दें, और यदि संक्रमण अधिक हो, तो रोग नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें। गुलाब की प्रूनिंग और कटाई के बाद कटे हुए हिस्सों पर बाविस्टीन का लेप लगाकर पौधों को फफूंद रोगों से बचाएं।

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