फसलों की उत्पादकता बढ़ाने की सरकार की पहल सराहनीयः जीएस1 इंडिया सीईओ
स्वामीनाथन के अनुसार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की पहल ने भी इस ट्रेंड में योगदान किया है। उनका कहना है, हमें विश्वास है कि किसानों को कर्ज और सब्सिडी की पहुंच बढ़ाकर तथा ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देकर भारत में कृषि उत्पादन की क्वालिटी यानी गुणवत्ता और क्वांटिटी यानी मात्रा दोनों को बेहतर किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभावों के बावजूद भारत फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में कामयाब रहा है।
भारत के कृषि क्षेत्र ने बीते 6 वर्षों के दौरान सालाना 4.6% की दर से वृद्धि हासिल की है। इससे कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को देश के सतत विकास और खाद्य सुरक्षा में योगदान करने में मदद मिली है। जीएस1 इंडिया के सीईओ एस. स्वामीनाथन ने रूरल वॉयस के साथ एक ईमेल इंटरव्यू में कहा, हाल के वर्षों में भारत कृषि उत्पादों का शुद्ध निर्यातक बनकर उभरा है। वर्ष 2021-22 में निर्यात 50.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह सकारात्मक ट्रेंड फसलों तथा मवेशियों की उत्पादकता बढ़ाने के सरकार के निरंतर प्रयासों और खाद्य सुरक्षा की समस्या को ज्यादा सक्षम तरीके से निपटाने के कारण आया है।
स्वामीनाथन के अनुसार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की पहल ने भी इस ट्रेंड में योगदान किया है। उनका कहना है, हमें विश्वास है कि किसानों को कर्ज और सब्सिडी की पहुंच बढ़ाकर तथा ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देकर भारत में कृषि उत्पादन की क्वालिटी यानी गुणवत्ता और क्वांटिटी यानी मात्रा दोनों को बेहतर किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभावों के बावजूद भारत फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में कामयाब रहा है।
उनका कहना है कि नकली कीटनाशकों और कमतर क्वालिटी के कृषि इनपुट उपज की क्वालिटी और कृषि क्षेत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित करते हैं। स्वामीनाथन के अनुसार जरूरी कदम उठाकर इन समस्याओं को जमीनी स्तर पर दूर किया जा सकता है और देश के विकास में कृषि क्षेत्र के योगदान को बढ़ाया जा सकता है।
स्वामीनाथन ने इंटरव्यू में कहा कि फसलों की उत्पादकता सुधारने और भारतीय कृषि क्षेत्र की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए उच्च क्वालिटी के इनपुट, जिनमें बीज, उर्वरक, कीटनाशक और सक्षम सिंचाई प्रणाली शामिल हैं, जरूरी है। बीज, पानी, मिट्टी, कीटनाशक जैसे जैसे बार-बार इस्तेमाल होने वाले इनपुट के साथ ट्रैक्टर और हल जैसे पूंजीगत इनपुट कृषि क्षेत्र की उत्पादकता सुधार सकते हैं। इसके अलावा इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट जैसे इको फ्रेंडली इनपुट हानिकारक कीटनाशकों का इस्तेमाल घटाने और सस्टेनेबल खेती के तरीके को बढ़ावा देने में मददगार हो सकते हैं।
जीएस1 इंडिया के सीईओ ने कहा, यह देखना सुखद है कि भारत सरकार किस तरह उच्च क्वालिटी के कृषि इनपुट अपनाने में नीतियों और सब्सिडी के जरिए मदद कर रही है। इस तरह की पहल में निवेश सस्टेनेबल खेती के तरीके को बढ़ावा दे सकता है और हमारे देश को दीर्घावधि में आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।
एग्री इनपुट को बढ़ावा देने की सरकार समर्थित पहल उन बाधाओं को भी दूर कर सकती है जो भारत को उसकी वास्तविक ग्रोथ हासिल करने से रोकती हैं। यहां तक कि कृषि इनपुट इंडस्ट्री अफोर्डेबल तथा अच्छी क्वालिटी के कृषि इनपुट तक किसानों की पहुंच बढ़ाने और बड़े पैमाने पर कृषि उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
स्वामीनाथन के अनुसार वे अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और बेहतरीन तौर-तरीके अपना कर अपने उत्पादों की क्वालिटी सुरक्षित कर सकते हैं और साथ ही अपनी सप्लाई चेन मैनेजमेंट में पारदर्शिता और जवाबदेही ला सकते हैं। उनके अनुसार, मेरा अनुभव कहता है कि इंडस्ट्री के खिलाड़ी इको फ्रेंडली खेती और पूंजीगत इनपुट को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
स्वामीनाथन ने इस बात का भी जिक्र किया कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने नकली और गैर स्वीकृत उत्पादों को बाजार तक पहुंचने से रोकने के लिए एक क्यूआर कोड एप्लीकेशन लॉन्च किया है। इससे किसानों को अच्छी क्वालिटी के कृषि इनपुट प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, कृषि मंत्रालय की तरफ से शुरू की गई क्यूआर कोड एप्लीकेशन की पहल एक निहायत जरूरी कदम है। हमें लगता है कि यह अच्छा डिजाइन किया हुआ सिस्टम है जो नकली और खराब क्वालिटी के कृषि उत्पादों को बाजार में पहुंचने से रोक सकता है। इससे किसान खराब क्वालिटी के कृषि इनपुट से बच सकते हैं और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकते हैं।
जीएस1 के सीईओ ने कहा कि क्यूआर कोड की मदद से कृषि रसायनों के वितरण में पारदर्शिता लाई जा सकती है। इससे किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज, उर्वरक तथा अन्य महत्वपूर्ण कृषि इनपुट मिल सकेंगे। इससे किसानों को कृषि इनपुट प्रोडक्ट के बारे में जानकारी मिल सकेगी। वह यह जान सकेंगे कि उनके स्रोत क्या है, रियल टाइम में उनकी उपलब्धता देख सकेंगे और इससे उन्हें अपना स्टॉक बनाए रखने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि क्यूआर कोड सिस्टम को बेहतर और आसान बनाने के लिए हम डिजिटाइजेशन बढ़ाने के पक्ष में हैं। हालांकि इस पहल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि पूरे देश में उसे कितनी तेजी से और कितने व्यापक स्तर पर अपनाया जाता है। जब अधिक से अधिक कंपनियां अपने प्रोडक्ट के लिए जवाबदेह होंगी तो भविष्य में पूरी सप्लाई चेन में पारदर्शिता का स्तर भी बढ़ेगा।
जीएस1 इंडिया एक स्टैंडर्ड संगठन है, जिसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने अन्य शीर्ष ट्रेड बॉडी के साथ मिलकर स्थापित किया है। यह भारत में जीएस मानकों को लागू करने तथा बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। इसने हाल ही दिल्ली में कृषि क्षेत्र में क्यूआर कोड लागू करने पर राष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया। उस कॉन्फ्रेंस में इसने लीवरेजिंग क्यूआर कोड टू ट्रांसफॉर्म द एंग्री इनपुट सप्लाई चेन शीर्षक से एक श्वेत पत्र भी जारी किया।