वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमतें 750 डॉलर तक आई, रबी के लिए स्टॉक की स्थिति बेहतर
चालू रबी सीजन में डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक की कीमत और उपलब्धता के मोर्चे पर सरकार को राहत मिलती दिख रही है। वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमतों में लगातार कमी आई है। पिछले दिनों भारतीय कंपनियों ने 750 डॉलर प्रति टन की कीमत तक डीएपी के आयात सौदे किये हैं। एक कंपनी द्वारा रूस की कंपनी फासएग्रो के साथ इससे भी कम कीमत पर डीएपी आयात का सौदा करने की सूचना है। कीमतों में आई इस गिरावट के पहले भी कंपनियां लगातार डीएपी का करती रही हैं जिसके चलते चालू रबी सीजन में डीएपी की उपलब्धता बेहतर बनी रहने की संभावना है
चालू रबी सीजन में डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक की कीमत और उपलब्धता के मोर्चे पर सरकार को राहत मिलती दिख रही है। वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमतों में लगातार कमी आई है और पिछले दिनों भारतीय कंपनियों ने 750 डॉलर प्रति टन की कीमत तक डीएपी के आयात सौदे किये हैं। एक कंपनी द्वारा रूस की कंपनी फासएग्रो के साथ इससे भी कम कीमत पर डीएपी आयात का सौदा करने की सूचना है। कीमतों में आई इस गिरावट के पहले भी कंपनियां लगातार डीएपी का करती रही हैं जिसके चलते चालू रबी सीजन में डीएपी की उपलब्धता बेहतर बनी रहने की संभावना है। सरकार ने अभी तक रबी सीजन के लिए न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) की दरें घोषित नहीं की हैं। विनियंत्रित यानी गैर यूरिया उर्वरकों पर एनबीएस के तहत सब्सिडी दी जाती है। वहीं अमोनिया और यूरिया की कीमतों में कमी नहीं हो रही है। वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमत अभी भी 600 डॉलर प्रति टन के आसपास ही बनी हुई है।
उर्वरक उद्योग सूत्रों का कहना है कि कंपनियों ने 920 डॉलर से 960 डॉलर प्रति टन के बीच डीएपी का आयात किया है। अगर सरकार मौजूदा कीमतों पर एनबीएस की दरें तय करती है तो डीएपी आयातक कंपनियों को घाटा उठाना पड़ सकता है। फिलहाल सरकार डीएपी पर 50 हजार रुपये प्रति टन से अधिक की सब्सिडी दे रही है। मार्च, 2022 में उर्वरक कंपनियों ने डीएपी की किसानों के लिए बिक्री कीमत को 1200 रुपये प्रति बैग (50 किलो) से बढ़ाकर 1350 रुपये प्रति बैग किया गया था। उद्योग सूत्रों का कहना है कि इसके बावजूद ऊंची कीमतों पर आयात में घाटा उठाना पड़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक डीएपी का आयात चीन, सऊदी अरब की कंपनी माडेन, मोरक्को की कंपनी ओसीपी और रूस की कंपनी फासएग्रो से अधिक किया गया है। यह आयात सौदे 750 डॉलर से 820 डॉलर प्रति टन पर किया गये हैं। वहीं एक निजी कंपनी द्वारा 720 डॉलर प्रति टन की कीमत पर भी डीएपी आयात का सौदा कुछ दिन पहले करने की सूचना आ रही है। जो रूस की कंपनी फासएग्रो से किया गया है। हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के चलते वहां से उर्वरक आयात पर बीमा की लागत काफी बढ़ गई है।
लगातार आयात के चलते रबी सीजन के शुरू में ही करीब 50 लाख टन डीएपी की उपलब्धता का अनुमान उर्वरक उद्योग के सूत्र बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस साल रबी सीजन में देश में डीएपी की उपलब्धता के मामले में स्थिति काफी सहज है। भारत द्वारा अपनाई गई रणनीति के चलते मोरक्को की कंपनी और दुनिया की सबसे बड़ी फॉस्फोरिक एसिड आपूर्तिकर्ता कंपनी ओसीपी को कीमतें कम करनी पड़ी हैं।
पिछले साल पहले खरीफ सीजन में और उसके बाद रबी सीजन में डीएपी की किल्लत के चलते किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। वही सरकार को भी भारी इसके वितरण के लिए काफी प्लानिंग और मशक्कत करनी पड़ी थी और सब्सिडी में भारी बढ़ोतरी करनी पड़ी थी।
वहीं यूरिया की कीमतें कम नहीं हो रही है। इसकी बड़ी वजह रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते गैस की कीमतों में आई भारी तेजी है। अभी भी यूरिया की कीमतें 600 डॉलर प्रति टन के आसपास हैं और अमोनिया की कीमतें 1000 से 1100 डॉलर प्रति टन के आसपास बनी हुई हैं। घरेलू यूरिया उर्वरक कंपनियों के लिए गैस की कीमत 2219.44 रुपये प्रति एमएमबीटीयू तक पहुंच गई हैं। अमोनिया का उपयोग कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के उत्पादन में होता है। इसलिए केवल डीएपी की कीमत कम होने से इनकी कीमत में कमी आना जरूरी नहीं है।
इस स्थिति के बीच अभी तक सरकार ने चालू रबी सीजन के लिए एनबीएस दरों की घोषणा नहीं की है। ऐसे में उर्वरक कंपनियों का कहना है कि अगर सरकार हाल की कीमतों को आधार बनाकर सब्सिडी तय करेगी तो कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि उनके पास 860 डॉलर प्रति टन तक की कीमत पर आयात किया गया डीएपी है जबकि सब्सिडी उर्वरकों की बिक्री के आधार पर तय होती है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक 27 अप्रैल, 2022 की बैठक में खरीफ सीजन-2022 (01 अप्रैल 2022 से 30 सितम्बर 2022 तक) के लिए फॉस्फेट और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों से संबंधित उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
सरकार के फैसले के मुताबिक डीएपी और इसके कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि को मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा वहन किया गया। केंद्र सरकार ने डीएपी पर 1650 रुपये प्रति बैग की मौजूदा सब्सिडी के स्थान पर 2501 रुपए प्रति बैग की सब्सिडी देने का फैसला किया गया जो पिछले उसके पहले साल की सब्सिडी दरों की तुलना में 50 फीसदी अधिक है। एनबीएस की नई दरों के बाद डीएपी पर सब्सिडी का स्तर 50013 रुपये प्रति टन हो गया है। वहीं मार्च में कंपनियोंं ने डीएपी की कीमत में 150 रुपये प्रति बैग की बढ़ोतरी कर इसे 1350 रुपये प्रति बैग (50 किलो) कर दिया था।
उर्वरक विभाग द्वारा अप्रैल में जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक एनबीएस की नई दरों के तहत नाइट्रोजन (एन) पर 91.96 रुपये प्रति किलो, फॉस्फोरस (पी) पर 72.74 रुपये प्रति किलो, पोटाश (के) पर 25.31 रुपये प्रति किलो और सल्फर (एस) पर 6.94 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी दी गई। यह दरें खरीफ सीजन 2022 में 1 अप्रैल, 2022 से 30 सितंबर, 2022 तक के लिए लागू होंगी। इन दरों के चलते म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) पर सब्सिडी 15186 रुपये प्रति टन और सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) पर सब्सिडी 7513 रुपये प्रति टन हो गई है। कॉम्प्लेक्स उर्वरकों, एनपी, एनपीके, एनपीएस और एसएस के विभिन्न वेरिएंट के लिए सब्सिडी की दरें 20448 रुपये प्रति टन से लेकर 46116 रुपये प्रति टन के बीच हो गई हैं।
इसलिए अब सरकार एनबीएस की जो दरें रबी सीजन के लिए तय करेगी वह सब्सिडी का नया स्तर होगा। डीएपी की कीमतों में कमी होने के चलते सरकार सब्सिडी बचाने के लिए एनबीएस की दरों को कम कर सकती है।