स्टार्टअप्स से एक्सपोर्ट तक, अब एग्रीटेक स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने का समय
राज्य और भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं, उत्पाद विशिष्ट व्यवसाय समूहों और एक व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में स्टार्टअप्स की पहचान और इनक्यूबेट करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में कई कृषि इन्क्युबशन कार्यक्रम और सुविधाएं स्थापित की की गयी हैं। एक कदम आगे बढ़ते हुए, नाबार्ड ने महाराष्ट्र और राजस्थान से कृषि निर्यात की सुविधा के लिए विशिष्ट कार्यक्रम भी शुरू किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्टअप्स और कृषि व्यवसाय पारिस्थितिकी तंत्र के परिदृश्य में परिवर्तन के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं
भारत छोटे व्यवसायों का देश है। छोटे व्यवसाय देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं जो सामान्यतः शहरी क्षेत्रों में अधिकांश लोगों की आय और आजीविका को सुनिश्चित करते है। समाज का एक विशेष वर्ग उनके पेशे यानी छोटे व्यवसायों से भी जाना जाता है। इन्हें आम तौर पर मारवाडी़ या गुजराती व्यवसायी कहा जाता है। भारत में, छोटे और मंझले व्यवसाय सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों के वाहक हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। ये बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन करते हैं। वैश्वीकरण व उदारीकरण के मौजूदा परिप्रेक्ष्य में, छोटे और मंझले व्यवसायों को अपना अस्तित्व बनाए रखने और विकास के लिए अनगिनत चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हैं। आजकल अधिकांश व्यवसाय संचार माध्यमों, ऑनलाइन मार्केटप्लेस और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संचालित हो रहे हैं। इसी का परिणाम है कि स्टार्टअप व्यवसायों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
क्या हैं स्टार्टअप इंडिया के मायने
2015 में घोषित स्टार्टअप इंडिया का मुख्य उद्देश्य है- भारत में नवोदित उद्यमियों की पहचान और प्रोत्साहन, नियमों का सरलीकरण कर हैंडहोल्डिंग करना, वित्त पोषण सहायता और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना। 2021-22 में स्टार्टअप इंडिया को सीड फंड योजना, फंड ऑफ फंड्स, और क्रेडिट गारंटी योजना का संबल मिला। ये योजनाएं स्टार्टअप व्यवसाय के विभिन्न चरणों में सहायता प्रदान करने, पूंजी जुटाने और व्यापार में सरकारी जटिलता को कम करने में काफी उपयोगी साबित हो रही हैं।
2022 तक 84,000 से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप के साथ, भारत दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप तंत्र (इकोसिस्टम) के रूप में उभरा है। देश में उद्यमशीलता कौशल और आकार को देखते हुए, स्टार्टअप पहल छोटे व्यवसायों को मजबूत करने और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में सहायक हैं। यह नवोदित उद्यमियों के साथ ही लघु और छोटे व्यवसायों को वैश्वीकरण, उदारीकरण और डिजिटलीकरण की मुख्यधारा से जोड़ने में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। स्टार्टअप पहल शहरी क्षेत्रों में सफल रहे छोटे व्यवसायों को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने की दिशा में एक कदम मानी जा सकती है।
कृषि क्षेत्र में पहल
भारत में हाल के वर्षों में खाद्यान्न, फलों और सब्जियों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। हमारा कृषि और खाद्य निर्यात 2021-22 में 50 बिलियन डॉलर के जादुई आंकड़े को पार कर गया है। यद्यपि कृषि 500 बिलियन डॉलर के साथ राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत से अधिक का योगदान करती है। ये आंकड़े ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि व्यवसाय की क्षमता के प्रमाण हैं, जिन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान और दहाई अंकों में विकास के लिए इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।
हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और खाद्य व्यवसाय में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। राज्य और भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं, उत्पाद विशिष्ट व्यवसाय समूहों और एक व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में स्टार्टअप्स की पहचान और इनक्यूबेट करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में कई कृषि इन्क्युबेशन कार्यक्रम और सुविधाएं स्थापित की की गयी हैं। एक कदम आगे बढ़ते हुए, नाबार्ड ने महाराष्ट्र और राजस्थान से कृषि निर्यात की सुविधा के लिए विशिष्ट कार्यक्रम भी शुरू किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्टअप्स और कृषि व्यवसाय पारिस्थितिकी तंत्र के परिदृश्य में परिवर्तन के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।
स्टार्टअप योजना को कृषि व ग्रामीण व्यवसायों में प्रोहत्सान देने का समय आ गया है। इसके तहत 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की स्थापना, कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) की शुरुआत और तीन राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी समितियों की स्थापना जैसी अन्य मेगा योजनाओं के साथ स्टार्टअप योजना को जोड़ा जा सकता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में कृषि और खाद्य व्यवसायों, एकत्रीकरण, भंडारण, प्रसंस्करण और निर्यात को गति देना है। साथ ही गुणवत्ता और बाजार की चुनौतियों से निपटने के लिए स्टार्ट अप योजना के तहत हस्तकला, खादी और कृषि पर्यटन जैसे ग्रामीण व्यवसायों के आधुनिकीकरण पर ध्यान देने की भी जरूरत है।
पिछले दशक में, हमने नवीन विचारों, डिजिटल प्रौद्योगिकी और लागत प्रभावी समाधानों के साथ पुरानी कृषि प्रणाली को बदलने के लिए कृषि उद्यमियों और एग्रीटेक स्टार्टअप की एक नई लहर देखी है। नए एग्रीटेक स्टार्टअप किसानों, इनपुट डीलरों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं के बीच की कड़ी बन गए हैं। नवाचार और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर एग्रीटेक स्टार्टअप आईसीटी ऐप से लेकर फार्म ऑटोमेशन, मौसम की भविष्यवाणी से लेकर ड्रोन के उपयोग, इनपुट रिटेलिंग और उपकरण किराए पर लेने, मार्केट लिंकेज, ऑनलाइन सब्जी-फल मार्केटिंग तक नए कृषि व्यवसाय को जन्म दे रहे हैं।
चक दे भारत
तमाम कोशिशों के बावजूद, पिछले एक दशक में कुल मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स में कृषि और खाद्य स्टार्टअप का योगदान केवल 5 प्रतिशत है। अब ग्रामीण भारत में एग्रीटेक स्टार्टअप्स को प्रोहत्सान देने का समय आ गया हैं ताकि कृषि नवाचार और प्रौद्योगिकी से गुणवत्तापूर्वक उत्पादन करने, किसानों को उत्पादन की लागत कम करने और किसानों की उपज के लिए बाजार खोजने के लिए प्रौद्योगिकी अपनाने में मदद मिल सके। निंजाकार्ट, वेकूल, एग्रोस्टार, देहात, एब्सोल्यूट और जनरल एरोनॉटिक्स सहित कुछ सफल एग्रीटेक स्टार्टअप हैं, जो भारत में हमारे कृषि और खाद्य व्यवसाय करने के तरीके को बदल रहे हैं।
(भागीरथ चौधरी, संस्थापक निदेशक, दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र और नाबार्ड कृषि निर्यात सुविधा केंद्र, जोधपुर)