बासमती का न्यूनतम निर्यात मूल्य घटा, 1200 डॉलर से हुआ 950 डॉलर प्रति टन, निर्यातकों और किसानों को होगा फायदा
निर्यातकों की लगातार मांग को देखते हुए सरकार ने बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन करने का फैसला किया है। निर्यातकों का कहना था कि एमईपी ज्यादा होने से भारत निर्यात बाजार में अपनी हिस्सेदारी खो रहा है और इसका फायदा पाकिस्तान को मिल रहा है। पाकिस्तान 800 डॉलर प्रति टन पर बासमती चावल का निर्यात कर रहा है।
निर्यातकों की लगातार मांग को देखते हुए सरकार ने बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन करने का फैसला किया है। निर्यातकों का कहना था कि एमईपी ज्यादा होने से भारत निर्यात बाजार में अपनी हिस्सेदारी खो रहा है और इसका फायदा पाकिस्तान को मिल रहा है। पाकिस्तान 800 डॉलर प्रति टन पर बासमती चावल का निर्यात कर रहा है।
27 अगस्त को सरकार ने बासमती चावल का एमईपी 1200 डॉलर प्रति टन कर दिया था। इसके पीछे यह तर्क दिया गया था कि बासमती चावल की आड़ में निर्यातक गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात कर रहे हैं। सरकार ने घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बाद से ही निर्यातक बासमती का एमईपी घटाने की मांग कर रहे थे। अपनी मांग के समर्थन में उन्होंने किसानों से बासमती धान की खरीदारी भी बंद कर दी थी जिससे बाजार में बासमती धान की कीमतों में 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट आई थी। हालांकि, बाद में जब खरीदारी शुरू हुई तो भाव में उछाल आने लगा।
निर्यात संवर्धन संगठन कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है, "बासमती चावल के निर्यात के लिए अनुबंध के पंजीकरण की मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 अमेरिकी डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया गया है।" एपीडा को केवल उन्हीं अनुबंधों को पंजीकृत करने का निर्देश दिया गया है जिनका मूल्य 950 अमेरिकी डॉलर प्रति टन और उससे अधिक है। एपीडा जल्द ही इस बारे में सूचना जारी करेगा।
कीमत के हिसाब से 2022-23 में भारत का बासमती चावल का कुल निर्यात 4.8 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि मात्रा के हिसाब से यह 45.6 लाख टन था। चावल निर्यातक संघ के मुताबिक, पिछले 2-3 वित्तीय वर्षों में बासमती के लिए भारत की औसत निर्यात प्राप्ति 800-900 डॉलर प्रति टन रही है।
चावल की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने और घरेलू आपूर्ति बढ़ने देने के लिए सरकार ने पिछले साल सितंबर टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल जुलाई में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और गैर-बासमती सेला (पारबॉयल्ड) चावल के निर्यात पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया था।
विदेश व्यापार नीति के अनुसार, एपीडा को बासमती चावल के निर्यात के सभी अनुबंधों को पंजीकृत करना अनिवार्य है। एपीडा इन चावलों के निर्यात के लिए पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाण-पत्र जारी करता है। खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली बासमती धान की फसल बाजार में आनी शुरू हो गई है। एमईपी घटने से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को बेहतर दाम मिल सकेंगे।