प्याज की कीमत थामने को नाफेड ने नासिक में शुरू की खरीद, किसानों को मिलेगी राहत
प्याज के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के लासलगांव, शोलापुर, नासिक और सतारा की मंडियों में औसत भाव 400-600 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। कहीं-कहीं भाव 200 रुपये प्रति क्विंटल भी गया है लेकिन सबसे खराब गुणवत्ता वाले प्याज का।
एक तरफ दुनिया के कई देश प्याज की कमी से परेशान हैं, वहीं भारत के किसान पैदावार ज्यादा होने से कीमतों में कमी का सामना कर रहे हैं। भारतीय किसानों की हालत यह हो गई कि उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है। इसे देखते हुए देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में सोमवार को किसानों ने प्याज की नीलामी रोककर विरोध जताया। महाराष्ट्र की कई और मंडियों में किसानों के संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में इस मुद्दे पर खूब हंगामा भी हुआ। वहीं केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय ने एहतियाती कदम उठाते सरकारी एजेंसी नाफेड को किसानों से सीधे प्याज खरीदने के निर्देश दिए हैं।
नाफेड ने अपने ट्विटर हैंडल पर मंगलवार को एक ट्वीट कर बताया है कि प्याज की गिरती कीमतों को थामने के लिए उसने सोमवार से नासिक जिले में आठ केंद्रों पर किसानों से लाल प्याज की सीधी खरीद शुरू कर दी है। अब तक 637.83 मीट्रिक टन प्याज की खरीद हो चुकी है। जल्द ही और खरीद केंद्रों की शुरुआत की जाएगी। एक अन्य ट्वीट में नाफेड ने बताया है कि इन केंद्रों से प्याज को महाराष्ट्र से बाहर खपत वाली मंडियों में भेजा जा रहा है ताकि गिरती कीमतों में स्थिरता लाई जा सके। आमतौर पर नाफेड खरीफ की लाल प्याज की खरीद नहीं करता है क्योंकि इसे 1-2 महीने से ज्यादा स्टोर कर नहीं रखा जा सकता है। नाफेड बफर स्टॉक के लिए रबी सीजन के प्याज की ही खरीद करता है। मगर सरकार के निर्देश के बाद उसने लाल प्याज की खरीद शुरू की है। रबी सीजन के प्याज की खरीद अप्रैल से शुरू होगी।
प्याज के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के लासलगांव, शोलापुर, नासिक और सतारा की मंडियों में औसत भाव 400-600 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। कहीं-कहीं भाव 200 रुपये प्रति क्विंटल भी गया है लेकिन सबसे खराब गुणवत्ता वाले प्याज का। महाराष्ट्र के किसान संगठन स्वाभिमानी शेतकारी संगठन ने भी प्याज की गिरती कीमतों को थामने के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस से बातचीत में कहा कि मंडियों में प्याज का थोक भाव 400-600 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है जबकि लागत 1,500 रुपये आती है। दुनिया के कई देश प्याज की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में सरकार को निर्यात बढ़ाने के उपाय करने चाहिए जिसका फायदा किसानों को मिल सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमी को देखते हुए सरकार के पास निर्यात बढ़ाने का पूरा मौका है लेकिन पता नहीं सरकार निर्यात बढ़ाने के ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और खाड़ी देशों को भारत से सबसे ज्यादा प्याज निर्यात होता है। मगर घरेलू कीमतें बढ़ने पर प्याज निर्यात पर पाबंदी लगाने की सरकार की नीतियों से इन देशों ने नया विकल्प ढूंढ लिया है। इसकी वजह से पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भारत से प्याज का आयात घटा दिया है और ईरान से आयात बढ़ाया है। राजू शेट्टी ने इस बात पर भी चिंता जताई कि अभी तो रबी सीजन का प्याज बाजार में आया ही नहीं है। जो प्याज मंडियों में पहुंच रही है वह खरीफ सीजन की पिछैती प्याज है। अभी कीमतों का यह हाल है तो जब रबी की प्याज की आवक बढ़ेगी तब क्या होगा कहना मुश्किल है। मालूम हो कि खरीफ की प्याज जिसे लाल प्याज भी कहा जाता है, को एक-दो महीनों से ज्यादा स्टोर कर नहीं रखा जा सकता है। जबकि रबी की प्याज को 6-7 महीनों तक कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है। इसलिए आमतौर पर नाफेड भी वही प्याज खरीदता है।
प्याज के कुल उत्पादन में खरीफ की हिस्सेदारी 15-20 फीसदी ही है। वर्ष 2021-22 में रबी की प्याज का रकबा 19.40 लाख हेक्टेयर था जो चालू वर्ष 2022-23 में बढ़कर करीब 21 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में रिकॉर्ड 317 लाख टन प्याज की पैदावार हुई थी जिसमें से रबी सीजन की हिस्सेदारी करीब 210 लाख टन थी। प्याज के निर्यात में भी तेजी आई है, इसके बावजूद किसानों को भाव नहीं मिल रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों (अप्रैल-दिसंबर 2022) में 52.38 करोड़ डॉलर का प्याज निर्यात किया गया है। इस दौरान निर्यात में 16.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि दिसंबर में प्याज निर्यात लगभग 50 फीसदी बढ़कर 5.21 करोड़ डॉलर का हो गया। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने साफ किया है कि भारत से किसी भी देश में प्याज निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है। केवल प्याज के बीज का निर्यात प्रतिबंधित है और विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से प्राधिकरण के तहत इसकी मंजूरी है।