रूरल वॉयस-सॉक्रेटस बजट चर्चा में किसानों ने रखी राय, ग्रामीण विकास में अपनी प्राथमिकताएं भी बताईं
अगर देश को एक बड़े परिवार की तरह माना जाए तो केंद्रीय बजट पूरे देश के परिवार के बजट जैसा है। यह हर एक व्यक्ति को इस तरह प्रभावित करता है जिसे देखना-समझना हमेशा आसान नहीं होता, खासकर किसान जैसे नागरिकों के लिए जो उतने प्रबुद्ध नहीं माने जाते। अगर हम इस धारणा को बदलना चाहते हैं तो हमें किसानों के लिए ऐसे अवसर पैदा करने होंगे ताकि उन्हें प्रबुद्ध नागरिक के रूप में देखा जाए, जिन्हें केंद्रीय बजट की पूरी समझ हो।
एक भारतीय मध्यवर्गीय परिवार की कल्पना कीजिए। परिवार के सदस्य एक टेबल के चारों तरफ बैठे हैं और घर के बजट पर चर्चा कर रहे हैं। इस बीच यह बताना उचित होगा कि अंग्रेजी का इकोनॉमी (economy) शब्द ग्रीक शब्द ओइकोनोमिया oikonomia से बना है, जिसका अर्थ होता है घर का मैनेजमेंट। यह परिवार हर महीने इस बात पर चर्चा करता है कि पैसा किस तरह खर्च किया जाए। उनकी अपनी मुश्किलें हैं, साथ में इच्छाएं भी हैं। हर परिवार किसी न किसी स्तर पर इस तरह के दबाव को महसूस करता है और उसे खर्च की प्राथमिकता तय करने की जरूरत पड़ती है। अगर देश को एक बड़े परिवार की तरह माना जाए तो केंद्रीय बजट पूरे देश के परिवार के बजट जैसा है। यह हर एक व्यक्ति को इस तरह प्रभावित करता है जिसे देखना-समझना हमेशा आसान नहीं होता, खासकर किसान जैसे नागरिकों के लिए जो उतने प्रबुद्ध नहीं माने जाते।
अगर हम इस धारणा को बदलना चाहते हैं तो हमें किसानों के लिए ऐसे अवसर पैदा करने होंगे ताकि उन्हें प्रबुद्ध नागरिक के रूप में देखा जाए, जिन्हें केंद्रीय बजट की पूरी समझ हो। ठीक उसी तरह जैसे कृषि के अलावा अन्य क्षेत्र में बजट से प्रभावित होने वाले लोग अपनी धारणा रखते हैं। कृषि तथा इससे संबंधित क्षेत्र के प्रावधानों पर उनकी बातें कुछ हद तक बजट पर उनके समग्र विचार को प्रदर्शित करती हैं। बजट चर्चा 2023-24 हमें किसानों के नजरिए से बजट की बारीकियों का आत्मनिरीक्षण करने तथा उन पर एक स्वस्थ चर्चा करने का अवसर है।
साझेदारी
वित्त वर्ष 2023-24 के बजट पर संसद में हाल ही चर्चा संपन्न हुई। इस बजट ने किसानों की बात सुनने तथा आत्मनिरीक्षण करने के मकसद से रूरल वॉयस तथा सॉक्रेटस फाउंडेशन को किसानों, विशेषज्ञों तथा सांसदों के विविध समूहों को आमंत्रित करने का अवसर दिया। इस परिचर्चा का आयोजन 14 मार्च 2023 को किया गया। इसमें उत्तर तथा पूर्वी 7 राज्यों के 20 से ज्यादा कृषि तथा संबंधित क्षेत्र के किसानों ने हिस्सा लिया। बजट चर्चा का संचालन किसानों के मुद्दे उठाने वाले डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म रूरल वॉयस के मुख्य संपादक हरवीर सिंह ने किया। सॉक्रेटस ने इस चर्चा के लिए बाकी व्यवस्था की।
मुद्दे
जैसी कि आप कल्पना कर सकते हैं, इस आयोजन में कई तरह की कठिनाइयां भी पेश आईं। हम चाहते थे कि हमारी जूरी के सामने भारत की विविधता परिलक्षित हो तथा केंद्रीय बजट में कृषि तथा संबंधित क्षेत्रों के प्रावधानों का प्रतिनिधित्व हो, लेकिन हमें चिंता इस बात की थी कि पर्याप्त संख्या में किसान आएंगे या नहीं। आयोजन के लिए लॉजिस्टिक्स भी एक चिंता थी जिसमें काफी वक्त लगा। आयोजन स्थल पर बैठने की फिक्स्ड व्यवस्था होने के कारण भी शुरू में चुनौतियां आईं, लेकिन हमारी टीम ने इसे अपनी डिजाइन में शामिल करते हुए जगह का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया। संभावित जूरी के तीन सदस्यों ने आखिरी क्षणों में ना आने की सूचना दी जिससे हम काफी परेशान हो उठे, लेकिन चार नए किसान अंततः इस चर्चा में शामिल हुए।
आयोजन स्थल
इस परिचर्चा का आयोजन इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की एनेक्सी बिल्डिंग में किया गया। मशहूर लोधी गार्डन के पास स्थित यह केंद्र भारत के प्रमुख सांस्कृतिक संस्थानों में गिना जाता है। सिंदूरी रंग के फूलों से सजे पलाश के पेड़ और पक्षियों की चहचहाहट ने किसानों को उत्साह से लबरेज कर दिया। जिस हाल में आयोजन हुआ वह काफी आरामदायक था। टेबल पर माइक लगे थे। बैठने की व्यवस्था कुछ इस तरह थी कि किसान खुद बोलने के लिए प्रेरित हो रहे थे। खिड़की से इंडिया इंटरनेशनल सेंटर का बागीचा दिख रहा था। पूरा माहौल एक गहन चर्चा के अनुकूल था।
बजट चर्चा संचालन का डिजाइन
संचालन का नजरिया किसानों को एक नागरिक के रूप में समझने का था ताकि वह पूरे बजट पर अपनी बात रख सकें, किसी विशेष हित समूह की तरह नहीं जो अपने सेक्टर की ही बात करता है। योजना कुछ इस प्रकार थी-
1.किसान और विशेषज्ञ सबसे पहले एक व्यापक नजरिए से बजट तथा आम लोगों के जीवन पर इसके प्रभावों की चर्चा करेंगे।
- उसके बाद चर्चा ग्रामीण भारत के लिए बजट प्रावधानों पर सीमित होगी।
- अंत में हम यह देखेंगे कि यह प्रावधान एक व्यक्ति के रूप में किसानों को किस तरह प्रभावित करते हैं।
इस परिचर्चा के मुख्य निष्कर्ष को सांसदों के सामने रखा जाएगा ताकि एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन सके जहां नागरिक, विशेषज्ञ और सांसद एक साथ बात कर सकें। इस प्रक्रिया का एक तरीका वह यात्रा है जिसमें एक नागरिक किसान हम से हम लोग, और फिर मैं तक की यात्रा करता है।
केंद्रीय बजट 2023 24 का पूर्व अनुकूलन
इस आयोजन से एक सप्ताह पहले बजट तथा ग्रामीण विकास से संबंधित विभिन्न स्कीमों के लिए आवंटन के बारे में किसानों को जानकारी दी गई। उनमें से जो लोग जूरी सदस्य बने उन्हें हमने अपनी बनाई माइक्रोसाइट तथा अन्य संसाधन मुहैया कराए ताकि इस आयोजन के लिए वे तैयार हो सकें। ज्यादातर किसान बजट के बारे में पहले नहीं जानते थे लेकिन उनमें इसे समझने की प्रबल इच्छा थी ताकि वे इस आयोजन को सफल बनाने में मदद कर सकें, कृषि समुदाय की विशेष जरूरतों तथा वरीयता के बारे में बहुमूल्य इनसाइट भी उपलब्ध कराएं।
ग्रामीण विशेषज्ञों की परिचर्चा
ग्रामीण विकास के हालात पर एक संवादमूलक परिचर्चा को डॉ. महिपाल ने आगे बढ़ाया। डॉ. महिपाल, इंडियन इकोनॉमिक सर्विस के पूर्व अधिकारी हैं। इस सत्र का समापन ‘बजट बनाए मंत्रालय’ गतिविधि के साथ हुआ जिसमें किसानों ने सघन रूप से हिस्सा लिया। बजट आवंटन में उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं बताईं। इस गतिविधि में एक अतिरिक्त बॉक्स भी शामिल था, जिसमें किसानों को ऐसी सेक्टोरल मंत्रालय की कल्पना करने को कहा गया जिसके बारे में उन्हें लगता है कि बजट में फोकस नहीं किया गया है।
ग्रामीण बजट मंत्रालय गतिविधि के नतीजे
बजट आवंटन गतिविधि ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े मंत्रालयों के बारे में किसानों की जागरूकता के स्तर को बताया। इस तथ्य को बैठक में मौजूद सांसदों के साथ साझा किया गया। ऊपर जो अतिरिक्त बॉक्स का जिक्र किया गया है, उसमें स्वास्थ्य और शिक्षा प्रमुख थीम के रूप में उभरे। बैलट बॉक्स में शामिल 10 मंत्रालयों में कृषि और किसान कल्याण के बाद स्वास्थ्य एवं शिक्षा को किसानों ने प्राथमिकता दी। संचार, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के आवंटन में भी थोड़ी रुचि किसानों ने दिखाई। इससे संकेत मिलता है कि किसान रासायनिक उर्वरक से दूर होना चाहते हैं। सरकार के बजट के विपरीत किसानों ने स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि विकास को वरीयता दी।
किसान कृषि बजट के नतीजे
किसानों ने बजट पर अपने विचारों को रंगीन शीट पर अंकित किया। ओडिशा की एक आदिवासी महिला किसान अनीमा मिंज ने मोटे अनाज की मार्केटिंग और प्रोसेसिंग बेहतर करने पर जोर दिया, खासकर मिलेट के लिए। उनका कहना था कि इससे आय के बेहतर अवसर मिलेंगे। इस चर्चा में भाग लेने वाले अन्य किसानों ने कृषि क्षेत्र के विकास में फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) की भूमिका को भी बताया। जैविक खेती की प्रशंसा करते हुए कुछ किसानों ने जैविक खाद की भूमिका को रेखांकित किया। यह खाद खेतों में मौजूद गाय के गोबर, गोमूत्र, नीम के पत्ते, गुड जैसी चीजों से बनती है।
कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े सवालों पर हई चर्चा पर किसानों ने संतुष्टि जताई। भविष्य में बजट तैयार करने के दौरान किसानों की आकांक्षाओं को शामिल करने की जरूरत भी महसूस की गई। किसानों ने प्राकृतिक खेती, कृषि से संबंधित क्षेत्र जैसे मछली पालन, डेरी, बागवानी, पशुपालन, कोऑपरेटिव को प्रमोशन तथा एनआरएलएम के लिए जेंडर बजटिंग के प्रावधानों पर भी संतुष्टि जताई। किसानों के साथ कमेंट बोर्ड एक्टिविटी के कुछ महत्वपूर्ण परिणाम इस प्रकार रहे-
-बीमा और सब्सिडी स्कीमों के लिए आवंटन में कमी।
-किसानों की आय दोगुनी करने के मामले में किसानों का नजरिया यह रहा कि बजट ऐसा करने के बजाय किसानों की लागत को दोगुना कर रहा है।
-बजट में ऑर्गेनिक खेती के लिए तैयार मॉडल मार्केट का अभाव है।
-शिक्षा और स्वास्थ्य को कृषि के साथ जोड़ा जाना चाहिए और इसमें आदिवासी किसानों पर विशेष फोकस किया जाना चाहिए।
-सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया जाए।
-उर्वरक, बीज तथा कृषि मशीनरी पर दी जाने वाली सब्सिडी के बारे में किसानों को जानकारी दी जाए।
कृषि बजट पर सांसदों के विचार
सांसदों ने किसानों के लिए इनपुट के मसले पर संसद में चर्चा की बात कही। भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही ने सुझाव दिया कि सरकार की मूल्य नीति की नियमित समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि कृषि फायदे का सौदा बन सके। बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली और बीआरएस के लोकसभा सांसद नागेश्वर राव ने कृषि क्षेत्र के लिए ज्यादा आवंटन की बात कही। जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने एमएसपी की गारंटी तथा मनरेगा में मजदूरी बढ़ाने की किसानों की मांग का समर्थन किया।
अनेक किसानों ने स्वीकार किया कि बजट प्रस्तुति से उन्हें एक स्वस्थ भागीदारी चर्चा में मदद मिली। इस आयोजन से हमें (रूरल वॉयस और सॉक्रेटस) तथा वहां मौजूद सांसदों को सप्लाई चेन और मार्केटिंग में किसानों के सामने आने वाली दिक्कतों को समझने का मौका मिला। उदाहरण के लिए, प्राकृतिक खेती करने वाले किसान सिर्फ कृषि से संबंधित क्षेत्र नहीं, बल्कि रेल, रक्षा और संचार के क्षेत्र में बजट आवंटन को लेकर भी चिंतित नजर आए।
निष्कर्ष
बजट चर्चा ने जूरी में शामिल किसानों तथा श्रोताओं को बजट की बारीकियों को समझने का एक अलग अवसर दिया, खासकर ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के लिए। हमने उनके लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया जहां वे विशेषज्ञों से सवाल कर सकते हैं, संसद के सदस्यों के साथ विमर्श कर सकते हैं तथा सरकार के बारे में अपना फीडबैक दे सकते हैं। सांसदों को ग्रामीण भारत के सोचने के तरीके तथा उनकी चिंताओं के अलावा ग्रामीण भारत पर बजट के असर के बारे में जानने का अवसर मिला। रूरल वॉयस और सॉक्रेटस को इस आयोजन से भविष्य में ऐसे और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए एक तरह की दिशा मिली।
( इस आलेख को सॉक्रेटस फाउंडेशन की टीम ने तैयार किया है जिनमें आलोक श्रीवास्तव, जोनाथन डेविड सईमलिएह, नितिन वेमुला, प्रचुर गोयल, राजेश कस्तुरीरंगन और शिविका भान शामिल हैं। लेख में उपयोग किये गये इलस्ट्रेशन टीम की सदस्य नित्या जडेजा ने बनाये हैं)