पेट्रोल में ब्लैंडिंग वाले हर तीसरे लीटर एथनॉल का उत्पादन मक्का से, एथेनॉल उत्पादन में खाद्यान्न की हिस्सेदारी हुई गन्ने से ज्यादा
देश में पेट्रोल में ब्लैंडिंग के लिए उपयोग होने वाले एथेनॉल का हर तीसरी लीटर मक्का से आ रहा है। मक्का की हिस्सेदारी इसी दर से बढ़ी तो यह गन्ना जूस से सीधे और चीनी के सहउत्पाद शीरे (मोलेसेस) से बनने वाले एथेनॉल की मात्रा को पार कर जाएगी। इसके साथ ही चालू एथेनॉल सप्लाई साल (ईएसएस) में नवंबर, 2023 से जून, 2024 के दौरान पेट्रोल में एथेनॉल की ब्लैंडिंग 13 फीसदी पर पहुंच गई है
देश में पेट्रोल में ब्लैंडिंग के लिए उपयोग होने वाले एथेनॉल का हर तीसरी लीटर मक्का से आ रहा है। मक्का की हिस्सेदारी इसी दर से बढ़ी तो यह गन्ना जूस से सीधे और चीनी के सहउत्पाद शीरे (मोलेसेस) से बनने वाले एथेनॉल की मात्रा को पार कर जाएगी। इसके साथ ही चालू एथेनॉल सप्लाई साल (ईएसवाई) में नवंबर, 2023 से जून, 2024 के दौरान पेट्रोल में एथेनॉल की ब्लैंडिंग 13 फीसदी तक पहुंच गई है।
मक्का के एथेनॉल में बढ़ते उपयोग के चलते ही मक्का के आयात की स्थिति बन गई है। हाल ही में पशुपालन एवं डेयरी सचिव अलका उपाध्याय ने खाद्य सचिव को पत्र लिखकर 35 लाख टन मक्का के शुल्क मुक्त आयात की सिफारिश की है। अभी तक की कुल 401 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति में 135 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन मक्का से हुआ है। वहीं, मक्का और मानव उपयोग के लिए अनुपयुक्त खाद्यान्न से उत्पादित हुए एथेनॉल की हिस्सेदारी 52 फीसदी पर पहुंच गई है।
इसके साथ ही खाद्यान्न से उत्पादित एथेनॉल की हिस्सेदारी गन्ने के जूस से सीधे और चीनी के सहउत्पाद बी-हैवी व सी-हैवी मोलेसेस की संयुक्त हिस्सेदारी से अधिक हो गई है। नवंबर, 2023 से जून, 2024 के दौरान कुल आपूर्ति हुए 401 करोड़ लीटर एथेनॉल का 52.7 फीसदी यानी 211 करोड़ लीटर एथेनॉल की तेल मार्केटिंग कंपनियों को आपूर्ति खाद्यान्न से उत्पादित एथेनॉल की हुई है। गन्ने के जूस और मोलेसेस से उत्पादित एथेनॉल की मात्रा इस अवधि के दौरान 190 करोड़ लीटर रही है। इसके पहले साल 2022-23 में खाद्यान्न से उत्पादित एथेनॉल की पेट्रोल में ब्लैंडिंग हिस्सेदारी 27.1 फीसदी रही थी।
केंद्र सरकार ने पेट्रोल में एथेनॉल की हिस्सेदारी को साल 2025 में 20 फीसदी पर ले जाने का लक्ष्य रखा है। देश भर में इसका औसत स्तर जून के अंत तक 13 फीसदी पर ही पहुंचा है। इसके पहले साल (2022-23) में ब्लैंडिंग का स्तर 12.1 फीसदी रहा था। वहीं 2021-22 में यह 10 फीसदी पर था।
चालू साल (2023-24) में यह नवंबर, 2023 में 10.2 फीसदी पर था, दिसंबर, 2023 में 11.2 फीसदी, जनवरी, 2024 में 12.2 फीसदी, फरवरी में 12.9 फीसदी, मार्च में 12.8 फीसदी, अप्रैल में 12.7 फीसदी, मई में 15.4 फीसदी और जून में 15.9 फीसदी रहा है।
सरकार ने 2018-19 में एथेनॉल ब्लैंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) को तेज करने के लिए कई अहम कदम उठाये। इसके तहत सरकार ने चीनी मिलों को बी-हैवी मोलेसेस और गन्ने के जूस से सीधे एथेनॉल बनाने पर अतिरिक्त इंसेंटिव दिया। इसके साथ ही डिस्टिलरी क्षमता स्थापित करने के लिए जहां मंजूरी प्रक्रिया को सरल किया गया वहीं इसके लिए कर्ज पर ब्याज छूट का भी प्रावधान किया गया। इसके चलते चीनी मिलों द्वारा नई डिस्टिलरी स्थापित करने के साथ ही क्षमता में भारी बढ़ोतरी की गई। वहीं खाद्यान्न आधारित डिस्टीलरी को भी बढ़ावा दिया गया और उसी का नतीजा है कि चालू एथेनॉल आपूर्ति साल में जून के अंत तक ईबीपी के लिए आपूर्ति किया गया हर तीसरा लीटर एथेनॉल मक्का से आ रहा है। साथ ही चीनी मिल कंपनियों ने शीरे की आपूर्ति नहीं होने वाले समय में कई बड़े चीनी मिल ग्रुप्स ने डिस्टीलरी में खाद्यान्न को सप्लीमेंटरी फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करने का प्रावधान भी किया है। जिनमें त्रिवेणी इंजीनियरिंग, डीसीएम श्रीराम, धामपुर शुगर मिल्स, बलरामपुर चीनी और ईआईडी पैरी प्रमुख हैं।
एथेनॉल उत्पादन के लिए डिस्टीलरीज को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से डेमेज्ड और ब्रोकन चावल मिल रहा था। लेकिन जुलाई, 2023 में एफसीआई ने इसे बंद कर दिया। इसके चलते अब कंपनियां को खुले बाजार से खाद्यान्न खरीद रही हैं। वहीं चीनी उत्पादन में कमी की आशंका के चलते सरकार ने दिसंबर में गन्ने के जूस और बी-हैवी मोलेसेस से एथेनॉल बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। बी-हैवी मोलोसेस के लिए बाद में कुछ छूट दी गई।
इस स्थिति के चलते ही मक्का से बनने वाले एथेनॉल की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई। वहीं सरकार ने मक्का से बनने वाले एथेनॉल की कीमत एक्स डिस्टीलरी कीमत को बढ़ाकर 71.86 रुपये प्रति लीटर कर दिया। वहीं सी-हैवी मोलेसेस से बनने वाले एथेनॉल की कीमत को 56.28 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 60.73 रुपये प्रति लीटर, बी-हैवी मोलेसेस के लिए कीमत को 65.61 रुपये प्रति लीटर डेमेज्ड ग्रेन के एथेनॉल की कीमत 64 रुपये प्रति लीटर कर दी।
मक्का का इस्तेमाल पोल्ट्री फीड और पशु आहार के अलावा एथेनॉल उत्पादन में भी होता है। पोल्ट्री इंडस्ट्री का मानना है कि इस साल देश में मक्का उत्पादन 360 लाख टन के आसपास रहेगा जबकि एथेनॉल ब्लेंडिंग सहित मक्का की कुल आवश्यकता 410 लाख टन है। इसमें से करीब 234 लाख टन मक्का की आवश्यकता लाइवस्टॉक फीड इंडस्ट्री को है। इस तरह देश में उत्पादित करीब 60 फीसदी से अधिक मक्का का इस्तेमाल पोल्ट्री और फीड इंडस्ट्री में किया जाता है।
पिछले दो साल से देश में मक्का की बुवाई का क्षेत्र 107 लाख हेक्टेयर के आसपास स्थिर रहा है जबकि मक्का का उत्पादन 2022-23 में 380 लाख टन से घटकर 2023-24 में 357 लाख टन रह गया। इस प्रकार मक्का की पैदावार 35.45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से घटकर 33.21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रह गई है। पिछले साल मक्का उत्पादक राज्यों में कमजोर मानसून और बारिश में कमी के चलते मक्का की उपज प्रभावित हुई। यही वजह है कि मक्का का उत्पादन घटा और मक्का आयात की नौबत आ गई है।