डीएपी और एमओपी का स्टॉक पिछले साल के आधे से भी कम,  सब्सिडी बढ़ने के बावजूद एनपीके के दाम में पूरा रोलबैक नहीं

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 30 सितंबर, 2021 को देश में डाईअमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले आधे से भी कम था। इसके चलते किसानों को इन उर्वरकों की उपलब्धता के संकट से जूझना पड़ रहा है। वहीं सरकार ने एनपीके के तीन ग्रेड 12:32:16, 10:26:26 और 20:20:0:13 पर 100 रुपये प्रति बैग की अतिरिक्त सब्सिडी देने का फैसला लिया है। इसके बावजूद एनपीके की बढ़ी कीमत का पूरा रौलबैक नहीं होगा, कंपनियों द्वारा एनपीके 12:32:16 ग्रेड का दाम 1450 और 1470 रुपये प्रति बैग (50 किलो) तय किया जा रहा है। वहीं सब्सिडी बढ़ोतरी के चलते डीएपी का बैग 1200 रुपये की पुरानी कीमत पर ही मिलेगा

डीएपी और एमओपी का स्टॉक पिछले साल के आधे से भी कम,  सब्सिडी बढ़ने के बावजूद एनपीके के दाम में पूरा रोलबैक नहीं
सांकेतिक फोटो

केंद्र सरकार द्वारा कॉम्पलेक्स उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाने के फैसले के बाद इनकी उपलब्धता सुधरने में कुछ समय लग सकता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 30 सितंबर, 2021 को देश में डाईअमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले आधे से भी कम था। इसके चलते किसानों को इन उर्वरकों की उपलब्धता के संकट से जूझना पड़ रहा है। यूरिया और कॉम्पलेक्स उर्वरकों में एनपीके ग्रेड के उर्वरकों का स्टॉक पिछले साल से कम तो है लेकिन इनके स्टॉक में बहुत अधिक गिरावट नहीं है। रबी फसलों की बुआई शुरू होने के चलते  इन उर्वरकों की किल्लत की खबरें उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से आ रही हैं। वहीं सरकार द्वारा डीएपी और एनपीके के तीन ग्रेड पर अतिरिक्त सब्सिडी देने से डीएपी की कीमत तो किसानों के लिए 1200 रुपये प्रति बैग (50 किलो) पर ही बनी रहेगी। लेकिन एनपीके के कुछ ग्रेड की कीमत में कंपनियों द्वारा की गई बढ़ोतरी का पूरा वापस होना संभव नहीं है। उर्वरक कंपनियों के मुताबिकि एनपीके के 12:32:16 ग्रेड के लिए कीमत 1450 रुपये और 1470 रुपये रहेगी। जो कीमत बढ़ोतरी से पूर्व की कीमत से अधिक है।

भले की सरकार सीधे कमी की बात को स्वीकार न करे लेकिन उर्वरकों के स्टॉक की स्थिति के कारण किसानों को मुश्किलों को सामना करना पड़ रहा है।  30 सितंबर, 2021 को देश में डीएपी का स्टॉक 20.75 लाख टन था जो पिछले साल इसी तिथि को 50.23 लाख टन था। वहीं एनपीके का स्टॉक भी 30 सितंबर को पिछले साल के 36 लाख टन के मुकाबले इस साल 32.41 लाख टन था। जबकि एमओपी का स्टॉक 30 सितंबर, 2021 को 9.63 लाख टन था जो इसके पहले साल इसी तिथि को 20.24 लाख टन था। यूरिया के स्टॉक में पिछले साल के मुकाबले अधिक कमी नहीं है। इस साल 30 सितंबर को यूरिया का स्टॉक 52.45 लाख टन था जबकि पिछले साल इसी समय यूरिया का स्टॉक 55.90 लाख टन था।

30 सितंबर को देश में उर्वरकों का स्टॉक                                (लाख टन में)

 

2021

2020

2019

2018

एमओपी

9.63

20.24

22.86

15.90

यूरिया

52.45

55.90

68.85

68.96

डीएपी

20.75

50.23

65.96

47.98

एनपीके

32.41

36.00

51.42

40.68

स्रोत : उर्वरक विभाग 

कीमतों के मामले में देखें तो विनियंत्रित कॉम्प्लेक्स उर्वरकों में डीएपी और एनपीके के तीन ग्रेड पर अतिरिक्त सब्सिडी देने के सरकार के फैसले के बाद से डीएपी के बैग (50 किलो) पर 438 रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी के चलते किसानों को यह 1200 रुपये प्रति बैग की पुरानी कीमत पर ही मिलता रहेगा। वहीं सरकार ने एनपीके के तीन ग्रेड 12:32:16, 10:26:26 और 20:20:0:13 पर 100 रुपये प्रति बैग की अतिरिक्त सब्सिडी देने का फैसला लिया है। सरकार के अतिरिक्त सब्सिडी देने के बाद कंपनियों द्वारा 1700 रुपये प्रति बैग की बढ़ी कीमत में कटौती तो की जा रही है। लेकिन यह पूरी बढ़ी कीमत की वापसी नहीं है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि कंपनियों द्वारा एनपीके 12:32:16 ग्रेड का दाम 1450 और 1470 रुपये प्रति बैग (50 किलो) तय किया जा रहा है। एक उर्वरक कंपनी के पदाधिकारी ने रूरल वॉयस को बताया कि एनपीके के उक्त ग्रेड के लिए दाम 1470 रुपये तय किया गया है। वहीं एक सहकारी संस्था द्वारा इसे अभी तक 1185 रुपये प्रति बैग पर बेचा जा रहा था लेकिन अब वह इसका दाम 1450 रुपये प्रति बैग करने जा रही है। जो बाकी कंपनियों के दाम से कम है। पुरानी कीमत पर लगातार घाटा सहने के बाद यह दाम बढ़ाया जा रहा है।

एक उर्वरक कंपनी के पदाधिकारी ने रूरल वॉयस को बताया कि उन्हें कई माह से डीएपी के कच्चे माल की ऊंची कीमत के चलते 80 करोड़ रुपये प्रति माह का घाटा उठाना पड़ रहा था। हालांकि अब सरकार द्वारा डीएपी पर 438 रुपये प्रति बैग की अतिरिक्त सब्सिडी देने से इसे 1200 रुपये प्रति बैग पर बेचना संभव है।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) के फैसले के बाद उर्वरक विभाग द्वारा जारी मेमोरेंडम में न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम के तहत नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी), पोटाश (के)  और सल्फर (एस) की सब्सिडी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है और इनको 20 मई, 2021 को जारी अधिसूचना के स्तर पर ही रखा गया है।

उर्वरक उद्योग सूत्रों का कहना है कि सरकार चाहती है कि उर्वरक कंपनियां दाम नहीं बढ़ाएं और अपने मुनाफे की बजाय किसानों को उचित कीमत पर उर्वरक उलब्ध कराएं। यह डीएपी के मामले में तो संभव है क्योंकि सरकार ने उस पर 438 रुपये प्रति बैग की अतिरिक्त सब्सिडी देने का फैसला किया है। लेकिन एनपीके 12:32:16 के मामले में यह संभव नहीं हैं। अक्तूबर के पहले कंपनियां एनपीके के इस ग्रेड को 1185 से 1300 रुपये प्रति बैग की कीमत पर बेच रही थी। लेकिन अक्तूबर के शुरू से कई कंपनियों ने इसके दाम को बढ़ाकर 1700 और 1750 रुपये प्रति बैग तक कर दिया था।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की 12 अक्तबर की बैठक में डीएपी और एनपीके के तीन ग्रेड पर अतिरिक्त सब्सिडी देने का फैसला किया गया था। साथ ही फॉस्फेटिक उर्वरकों पर मई में बढ़ाई गई सब्सिडी को अक्तूबर से शुरू हो रहे रबी सीजन में जारी रखने का फैसला किया है। इसके साथ ही सरकार ने डीएपी के लिए 5716 करोड़ रुपये और एनपीके के तीन ग्रेड के लिए 837 करोड़ रूपये अतिरिक्त सब्सिडी देने का फैसला लिया है। इसके चलते सरकार पर 35115 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ आने का अनुमान है। उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि बचत के बाद रबी सीजन में सब्सिडी का शुद्ध वित्तीय बोझ 28655 करोड़ रूपये आयेगा।

वहीं इस बीच उर्वरकों की कमी से जूझने की खबरें देश के कई हिस्सों से आ रही हैं। सहरानपुर जिले के कांसेपुर गांव के एक किसान अरविंद कुमार ने रूरल वॉयस को बताया कि वह टाब्बर स्थित अपने गांव के सहकारी उर्वरक बिक्री केंद्र के कई दिन से चक्कर लगा रहे हैं लेकिन वहां पर डीएपी या यूरिया का स्टॉक नहीं है। यही स्थिति वह नजदीक के कस्बे नकुड़ की बताते हैं। रबी सीजन में गेहूं और आलू की बुआई के समय डीएपी, एनपीके और एमओपी की जरूरत पड़ती है। जबकि यूरिया की जरूरत फसल की बुआई के 25 से 30 दिन बाद पड़ती है। अगर कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की उपलब्धता की स्थिति नहीं सुधरती है तो इसका असर रबी  फसलों के उत्पादन पर पड़ सकता है। देश की सबसे बड़ी उर्वरक कंपनियों में शुमार कंपनी के एक पदाधिकारी ने रूरल वॉयस के साथ बातचीत में स्वीकार किया कि उपलब्धता की स्थिति सामान्य नहीं है। उनका कहना है कि सब्सिडी को लेकर देरी से हुए फैसले के चलते आयात और उत्पादन दोनों पर असर पड़ा है क्योंकि पिछले कुछ करीब साल भर में अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों के कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया और पोटाश की कीमत में भी 80 से 90 फीसदी तक का भारी इजाफा हुआ है।

 

Subscribe here to get interesting stuff and updates!