यूपी में धान खरीद चुनावी मुद्दा, अब तक 27 फीसदी धान ही एमएसपी पर खरीदा गया
पिछले वर्ष के बराबर उत्पादन भी होता है, तो उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा दिए आंकड़ो के अनुसार 10 जनवरी तक उत्तर प्रदेश में 46.50 लाख टन धान की खरीद एमएसपी पर की गई है। इस तरह राज्य में कुल धान उत्पादन का 27 फीसदी ही एमएसपी पर खरीदा गया है
आसन्न चुनाव वाले राज्यों उत्तर प्रदेश और पंजाब में किसानों के बीच धान खरीद बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा के 10 तक के आंकड़ो के अनुसार उत्तर प्रदेश में 6.56 लाख किसानों से 46.50 लाख टन धान एमएसपी पर खरीदा गया है। इस प्रकार, राज्य में कुल धान उत्पादन का केवल 27 फीसदी एमएसपी पर खरीदा गया है। जबकि पिछले साल किसान आंदोलन की एक मुख्य मांग यह थी कि सरकार किसानों की कुल उपज एमएसपी के आधार पर खरीदे या ऐसी व्यवस्था करे कि किसानों की उपज जहां बेची जाए उसे एमएसपी पर ही खरीदा जाए। इस खरीद का असर विधानसभा चुनाव में दिख सकता है।
राज्य में कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-20 में 169.48 लाख टन और वर्ष 2020-21 में 171.36 लाख टन धान का उत्पादन हुआ। इस साल इस सीजन में इसे से अधिक उत्पादन की उम्मीद है। पिछले वर्ष के बराबर उत्पादन भी होता है, तो अभी तक उत्तर प्रदेश में 46.50 लाख टन धान की खरीद एमएसपी पर की गई है। इस तरह राज्य में कुल धान उत्पादन का 27 फीसदी ही एमएसपी पर खरीदा गया है। एक साल से ज्यादा चले किसान आंदोलन की मुख्य मांग यही थी कि सरकार किसानों की उपज का शत-प्रतिशत एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था करे। इस आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने भी हिस्सा लिया था।
सहारनपुर जिले के नंदी फिरोजपुर गांव के एक किसान विनोद चौधरी का कहना है कि हमने अपना धान बेचने के लिए सरकारी पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। लेकिन जब धान खरीदने की बात आती है, तो धान केंद्र पर काम करने वाले कर्मचारियों ने धान की गुणवत्ता में कमी बता कर हमारी कुल उपज का 25 प्रतिशत ही खरीदा। मजबूरी में बाकी धान को बाहर बेचना पड़ा। उनका कहना था अधिकांश किसानों के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जा रहा है।
दूसरी ओर, पंजाब में अब तक 9.24 लाख किसानों से एमएसपी पर 186.85 लाख टन धान की खरीद की जा चुकी है। किसानों को 36623.64 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इस वर्ष जहां पंजाब में धान का उत्पादन 180 लाख टन से अधिक होने का अनुमान था, वहीं एमएसपी के आधार पर 100 फीसदी से अधिक धान की खरीद की गई है।
छत्तीसगढ़ में खरीफ में धान का उत्पादन 80 लाख टन से अधिक है। वर्तमान में एमएसपी के आधार पर 16.90 लाख किसानों से 67.65 लाख टन धान की खरीद की गई है। इस तरह राज्य सरकार ने कुल धान उत्पादन का लगभग 84 फीसदी खरीद लिया है।
दक्षिणी राज्य तेलंगाना में धान की खेती रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रही है। साल 2014-15 में धान का रकबा मात्र 12.23 लाख एकड़ था जो 2021 में रिकॉर्ड 63 लाख एकड़ हो गया। ऐसी बढ़ोतरी चंद्रशेखर राव की सरकार आने के पांच-छह साल बाद हुई है। खरीफ सीजन 2021 में तेलंगाना में धान का उत्पादन 148 लाख टन होने का अनुमान है। जहां 9.67 लाख किसानों से 65.54 लाख एमएसपी के आधार पर खरीद की गई है। इस प्रकार, इस राज्य में कुल उत्पादन का लगभग 44 प्रतिशत एमएसपी पर खरीदा गया है।
किसान एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोरन प्रधान का कहना है कि सरकार अपने वादे के मुताबिक धान की खरीद नहीं कर रही है। उत्तर प्रदेश में पहले किसान पंजीकरण के समय किसानों को परेशानी हो रही थी। उनका कहना है कि किसानों को एमएसपी पर बेचने के काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद बहुत कम किसान अपनी धान की उपज को एमएसपी पर मंडियों और क्रय केंद्रों में बेच पाते हैं। इस कारण किसान अपनी उपज को बाजारों में बहुत कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि किसान सरकार और धान खरीद केंद्रों से काफी नाखुश हैं क्योंकि किसानों ने अपनी मेहनत और इस महंगाई के समय पर ज्यादा खर्च करके अपनी उपज तैयार की है।
भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी होशियार सिंह का कहना है कि धान की खरीदारी एमएसपी पर बहुत कम हुई है। इससे यूपी के किसानों की परेशानी बढ़ गई है। हमने इस मामले की जानकारी धान क्रय केंद्र से जुड़े सरकारी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों को दे दी है। लेकिन सरकार इस मुद्दे पर सुनवाई नहीं कर रही है। हम 31 जनवरी को किसान संगठन धरना-प्रदर्शन के जरिए जोर-शोर से सरकार के सामने बात रखेंगे।
इस बार सरकार और विपक्ष के चुनावी मुद्दे में पहली बार किसान मुख्य केंद्र बना हुआ है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) को लेकर किसान राजनीति हमेशा तेज रही है। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के चलते किसान संगठनों ने राज्य सरकार पर गन्ने के दाम बढ़ाने का दबाव बनाने की रणनीति बनाई थी। अब धान खरीद में उनकी भूमिका तेज होती जा रही है। तेलंगाना, पंजाब और छत्तीसगढ़ किसानों की उपज को एमएसपी पर खरीदने में आगे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश के नाराज किसानों का रुख विधानसभा चुनावों में क्या रहता है।