सपा में अब तक सिर्फ 30 फीसदी मुस्लिम-यादव प्रत्याशी, पार्टी ने दलितों और अगड़ों को भी दिया है टिकट
पार्टी ने प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से इस हफ्ते 159 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया। इनमें सिर्फ 49 यानी 30 फ़ीसदी प्रत्याशी ही मुस्लिम और यादव हैं। बाकी प्रत्याशी अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों के साथ अगड़ी जातियों के भी हैं
समाजवादी पार्टी ने इस बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों और यादवों की पार्टी होने की छवि तोड़ने की कोशिश की है। पार्टी ने प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से इस हफ्ते 159 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया। इनमें सिर्फ 49 यानी 30 फ़ीसदी प्रत्याशी ही मुस्लिम और यादव हैं। बाकी प्रत्याशी अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों के साथ अगड़ी जातियों के भी हैं।
मुस्लिम-यादव वोट बैंक हमेशा समाजवादी पार्टी के पक्ष में रहा है। पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने भी इस फार्मूले को आजमाया था। इस वोट बैंक के चलते ही 1992 के बाद मुलायम सपा को प्रदेश की नंबर एक पार्टी बनाने में कामयाब हुए थे। इस मुस्लिम-यादव यानी एम-वाय फैक्टर के चलते उत्तर प्रदेश में तीन बार समाजवादी पार्टी की सरकार बनी- दो बार मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में और एक बार अखिलेश यादव के नेतृत्व में।
अब जब उत्तर प्रदेश में मतदान शुरू होने में दो हफ्ते का समय रह गया है, तो अखिलेश ने एम-वाय की पुरानी छवि को तोड़ने की कोशिश की है और अन्य वर्ग के प्रत्याशियों को भी टिकट दिया है।
एम-वाय फैक्टर के चलते ही भारतीय जनता पार्टी 2017 से पहले लगातार 15 वर्षों तक सत्ता से बाहर रही। लेकिन 2017 के चुनावों में उसने समाजवादी पार्टी के मुस्लिम-यादव वोट बैंक का मुकाबला करने के लिए अगड़ी जातियों, गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग और गैर-जाटव दलितों को अपने साथ लिया। भाजपा को इसका फायदा भी मिला और वह प्रदेश की 75 फ़ीसदी सीटें जीतने में कामयाब हुई। दूसरे शब्दों में कहें तो समाजवादी पार्टी के एम-वाय वोट बैंक पर भाजपा का अगड़ा-ओबीसी-दलित फार्मूला भारी पड़ गया।
समाजवादी पार्टी इस बार गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग को भी अपने साथ लेने की कोशिश कर रही है। इसी रणनीति के तहत उसने योगी सरकार में मंत्री रहे भाजपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी में शामिल कराया है। अन्य पिछड़ा वर्ग के अलावा वह अगड़ी जातियों में भी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। अभी तक उसने जो 159 उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें 31 दलित और 24 अगड़ी जातियों के हैं।
समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन का ऐलान किया है। राष्ट्रीय लोक दल ने अभी तक 33 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। इस तरह सपा और रालोद गठबंधन 192 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुका है। इन 192 टिकट में से 20 फीसदी यानी 36 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार हैं। इनमें ज्यादातर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। यहां कई विधानसभा क्षेत्रों में 30 से 40 फ़ीसदी आबादी मुसलमानों की है।
उत्तर प्रदेश में फरवरी और मार्च में 7 चरणों में मतदान होना है। मतदान की तारीख 10, 14, 20, 23 तथा 27 फरवरी और 3 तथा 7 मार्च हैं। मतगणना 10 मार्च को होगी। चुनाव आयोग के अनुसार प्रदेश में 15 करोड़ से अधिक मतदाता हैं।