पांच में से चार राज्य जीतने के बाद भाजपा के लिए 2024 की राह हुई आसान
मोदी ने कहा, 2019 के चुनाव नतीजों के बाद कुछ ज्ञानियों ने कहा था कि 2019 की जीत में क्या है, यह तो 2017 में ही तय हो गई थी क्योंकि 2017 में यूपी यूपी का रिजल्ट आया था। मैं मानता हूं कि इस बार भी ये ज्ञानी जरूर कहने की हिम्मत करेंगे कि 2022 के नतीजों ने 2024 के नतीजे तय कर दिए हैं
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को 2024 के आम चुनाव से पहले का बड़ा मुकाबला माना जा रहा था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी कामयाब रही है। पांच में से चार राज्यों में जीत के बाद भाजपा के लिए 2024 की राह आसान हो गई है। पंजाब के रूप में पहली बार पूर्ण राज्य मिलने के बाद आम आदमी पार्टी की नजर अब इसी साल होने वाले हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनावों पर है। कांग्रेस के लिए यह निश्चित रूप से आत्मावलोकन का समय है क्योंकि अब उसके पास सिर्फ दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ रह गए हैं। महाराष्ट्र में वह शिवसेना और एनसीपी के साथ सरकार में है।
जीत के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “2019 के चुनाव नतीजों के बाद कुछ ज्ञानियों ने कहा था कि 2019 की जीत में क्या है, यह तो 2017 में ही तय हो गई थी क्योंकि 2017 में यूपी यूपी का रिजल्ट आया था। मैं मानता हूं कि इस बार भी ये ज्ञानी जरूर कहने की हिम्मत करेंगे कि 2022 के नतीजों ने 2024 के नतीजे तय कर दिए हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, यह उत्सव भारत के लोकतंत्र के लिए है। हमारी माताओं बहनों और युवाओं ने जिस तरह भाजपा को भरपूर समर्थन दिया वह अपने आप में बहुत बड़ा संकेत है। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं ने जीत का चौका लगाया है। उत्तर प्रदेश ने देश को अनेक प्रधानमंत्री दिए लेकिन 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले किसी मुख्यमंत्री को दोबारा चुने जाने का यह पहला उदाहरण है। गुड गवर्नेंस की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमने गवर्नेंस का डिलीवरी सिस्टम बेहतर किया। भाजपा गरीब को भरोसा देती है कि प्रत्येक गरीब तक सरकार की दी गई सुविधाएं जरूर पहुंचेंगी।
इस चुनाव की एक खास बात यह रही कि उत्तर प्रदेश में मायावती ने अपना नुकसान करके भाजपा को फायदा पहुंचाया है। चुनाव प्रचार के दौरान ज्यादातर समय वे चुप रहीं और जब भी बोलीं तब समाजवादी पार्टी के खिलाफ ही बोलीं। बसपा ने करीब सवा सौ सीटों पर ऐसे उम्मीदवार खड़े किए थे जो सपा के उम्मीदवार की जाति के ही थे। उनमें से 68 सीटें भाजपा ने जीती हैं। समाजवादी पार्टी को जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन का भी बहुत फायदा मिलता नहीं दिखा। किसान आंदोलन के बावजूद भाजपा बड़ी संख्या में जाट वोट हासिल करने में कामयाब रही।
उत्तर प्रदेशः भाजपा की सीटें घटीं, पर सरकार तो बनेगी
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को 255 सीटें मिली हैं। हालांकि यह 2017 के 312 की तुलना में 57 सीटें कम हैं। उसके सहयोगी अपना दल सोनेलाल को 12 और निषाद पार्टी को 6 सीटें मिली हैं। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की सीटों की संख्या 47 से बढ़कर 111 हो गई है। उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल को 8 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 6 सीटों पर जीत मिली है। बहुजन समाज पार्टी ने अब तक का अपने सबसे खराब प्रदर्शन किया है और उसे सिर्फ एक सीट पर जीत मिली है। यही हाल कांग्रेस का भी रहा जिसे सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली। 2 सीटें जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को मिली हैं।
वोटों के लिहाज से देखें तो भारतीय जनता पार्टी को 41.29 फ़ीसदी, प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी को 32.1 फ़ीसदी, बहुजन समाज पार्टी को 12.88 फ़ीसदी, और कांग्रेस को 2.33 फ़ीसदी वोट मिले हैं। बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के लिए यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है।
पंजाबः आप को तीन चौथाई से भी ज्यादा सीटें
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है। इसने 117 में से 92 सीटें जीतकर तीन चौथाई से भी अधिक बहुमत हासिल कर लिया है। प्रदेश की पारंपरिक पार्टियों कांग्रेस और अकाली दल को भी कभी इतना बड़ा बहुमत नहीं मिला था। 2017 में आप को 20 सीटें मिली थीं। कांग्रेस 77 सीटों से घटकर 18 पर सिमट गई। बहुजन समाज पार्टी को एक, भारतीय जनता पार्टी को दो और शिरोमणि अकाली दल को 3 सीटें मिली हैं। वोट प्रतिशत देखा जाए तो आम आदमी पार्टी को 42 फ़ीसदी, कांग्रेस को 22.98 फीसदी, भाजपा को 6.6 फ़ीसदी और बसपा को 1.77 फ़ीसदी वोट मिले हैं।
उत्तराखंडः सीटें घटीं, पर लगातार दूसरी बार बहुमत
उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार भाजपा बहुमत हासिल करने में कामयाब हुई है। उसकी सीटें तो कम हुई हैं लेकिन इसके बावजूद वह आराम से सरकार बनाने की स्थिति में है। उसे 44.33 फ़ीसदी वोट के साथ 47 सीटों पर जीत हासिल हुई है। कांग्रेस की सीटें बढ़ी हैं। उसे 19 जगहों पर जीत मिली। उसका वोट प्रतिशत 37.9 1 फ़ीसदी रहा। बहुजन समाज पार्टी 2 सीटें जीतने में कामयाब हुई। उसे 4.82 फ़ीसदी वोट मिले। दो निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते हैं। आम आदमी पार्टी कोई सीट तो नहीं जीत सकी लेकिन उसे 3.31 फ़ीसदी वोट जरूर मिले।
गोवाः समर्थन से बनेगी भाजपा सरकार
40 सीटों वाले गोवा में किसी दल को बहुमत नहीं मिला, लेकिन भारतीय जनता पार्टी 20 का आंकड़ा छूने में जरूर कामयाब हुई। यहां बहुमत के लिए 21 सीटें चाहिए। 3 निर्दलीय और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के दो विजेताओं ने भाजपा को साथ देने का फैसला किया है। भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस के अनुसार पांचों विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने का पत्र दिया है। प्रदेश में वोटों के बंटवारे के कारण कांग्रेस सिर्फ 11 जगहों पर सिमट कर रह गई। आम आदमी पार्टी को दो, गोवा फॉरवर्ड पार्टी को एक और रिवॉल्यूशनरी गोवन्स पार्टी को एक सीट मिली है।
वोट प्रतिशत देखें तो भाजपा को 33.31 फ़ीसदी, कांग्रेस को 23.46 फ़ीसदी, आम आदमी पार्टी को 6.77 फ़ीसदी, तृणमूल कांग्रेस को 5.21 फ़ीसदी, गोवा फॉरवर्ड पार्टी को 1.84 फ़ीसदी वोट मिले। तृणमूल को वोट तो आम आदमी पार्टी से थोड़े ही कम मिले, लेकिन वह एक भी सीट जीतने में नाकाम रही।
मणिपुरः बीरेन सिंह की वापसी, चौथे नंबर पर पहुंची कांग्रेस
मणिपुर में भाजपा के लिए इस बार उपलब्धि यह है कि उसे सरकार बनाने के लिए किसी के समर्थन की जरूरत नहीं है 60 सीटों वाली विधानसभा में वह 32 सीटें जीतने में कामयाब हुई है। 2017 में उसे नेशनल पीपुल्स पार्टी और नगा पीपुल्स फ्रंट तथा कुछ निर्दलीयों के साथ मिलकर सरकार बनाना पड़ा था। तब उसे सिर्फ 21 सीटें मिली थी और कांग्रेस 27 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। इस बार कांग्रेस 5 सीटें जीतकर चौथे नंबर पर पहुंच गई है। नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 7 और जनता दल यूनाइटेड ने 6 सीटें जीती हैं। नगा पीपुल्स फ्रंट को भी 5 सीटें मिली हैं। इसके अलावा कुकी पीपुल्स अलायंस पहली बार चुनाव लड़ कर दो सीटें जीतने में कामयाब हुई है। तीन सीटें निर्दलीयों को मिली हैं।
वोट प्रतिशत देखें तो भाजपा को 37.83 फ़ीसदी, कांग्रेस को 16.83 फ़ीसदी, जनता दल यूनाइटेड को 10.77 फ़ीसदी, नेशनल पीपुल्स पार्टी को 17.29 फ़ीसदी और नगा पीपुल्स फ्रंट को 8.09 फ़ीसदी वोट मिले हैं।