यूरिया की बिक्री घटने से स्टॉक 10 साल में सर्वाधिक 100 लाख टन के पार पहुंचा
उत्पादन बढ़ने के साथ ही बिक्री में आई गिरावट यूरिया स्टॉक बढ़ने की वजह है। देश में यूरिया का स्टॉक पिछले एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। इससे उर्वरक कंपनियों की चिंता बढ़ गई है।
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पिछले खरीफ सीजन में कमजोर मानसून समेत कई कारणों के चलते देश में यूरिया की बिक्री में कमी दर्ज की गई है। वहीं लगातार आयात और कुछ नये संयंत्रों में उत्पादन शुरू होने के चलते देश में यूरिया का स्टॉक 100 लाख टन के पार पहुंच गया है। इस साल 31 मार्च को यूरिया का स्टॉक 88 लाख टन था जबकि पिछले साल इसी समय यूरिया का स्टॉक 65 लाख टन पर था। उर्वरक उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उत्पादन बढ़ने के साथ ही बिक्री में आई गिरावट यूरिया स्टॉक बढ़ने की वजह है। देश में यूरिया का स्टॉक पिछले एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। इससे उर्वरक कंपनियों की चिंता बढ़ गई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पिछले साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने के दावे के बावजूद खरीफ सीजन में देश के कई हिस्सों में बहुत कम बारिश हुई थी। इसके चलते खरीफ सीजन में अधिकांश फसलों का उत्पादन गिर गया। बारिश में कमी का सीधा असर यूरिया की खपत पर पड़ा। वहीं रबी सीजन में भी देश का बड़ा हिस्सा सर्दियों में होने वाली बारिश से अछूता रहा। इसका असर भी यूरिया की खपत पर पड़ा है। कम बारिश के चलते जहां खरीफ में फसलों का उत्पादन गिरा, वहीं रबी सीजन में भी दलहन, तिलहन समेत अधिकांश फसलों का उत्पादन कम रहने के अनुमान हैं। गेहूं के मामले में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है हालांकि, मध्य प्रदेश में फसल के कमजोर रहने की सूचना आ रही है और चालू रबी मार्केटिंग सीजन (आरएमएस) 2024-25 में अभी तक गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल से कम चल रही है।
यूरिया की खपत में कमी को लेकर उर्वरक कंपनियां समीक्षा कर रही हैं। लेकिन कृषि क्षेत्र की पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में कमजोर वृद्धि दर कृषि उत्पादन में गिरावट की हकीकत को बयां करने के लिए काफी है। कमजोर कृषि उत्पादन का उर्वरकों की खपत से सीधा संबंध है। सरकार लगातार यूरिया की खपत कम करने की कोशिश करती रही है और इसी रणनीति के तहत यूरिया के बैग का वजन 45 किलो किया गया था। इसके बावजूद पिछले दो साल में यूरिया की खपत बढ़ी थी। लेकिन अब बकाया स्टॉक के आंकड़ों को देखते हुए लगता है कि 2023-24 में यूरिया बिक्री 2022-23 के मुकाबले कम रहेगी।
देश में हर साल करीब 350 लाख टन यूरिया की खपत होती है। इसमें से करीब 240 से 250 लाख टन का उत्पादन देश में होता है और 100 लाख टन से अधिक यूरिया का आयात किया जाता है। उद्योग सूत्रों ने रूरल वॉयस को बताया कि इस साल जहां यूरिया की बिक्री में कमी आई वहीं आयात भी जारी रहा। इसके अलावा एचयूआरएल और मैटिक्स जैसी उत्पादन इकाइयों में उत्पादन शुरू होने से सप्लाई बढ़ी है। इसके चलते ही यूरिया का स्टॉक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है। इस स्थिति में लगता है कि आने वाले दिनों में यूरिया आयात में कमी आ सकती है। खरीफ सीजन के लिए यूरिया की अधिक मांग करीब दो माह बाद ही निकलेगी। ऐसे में उपलब्ध स्टॉक में और अधिक बढ़ोतरी हो सकती है।